टेस्ट क्रिकेट इतिहास में 5 बार अपनी दोनों पारियों में 100 से कम के स्कोर पर आउट होने वाली टीमें

हालांकि क्रिकेट को बल्लेबाजों का खेल कहा जाता है, लेकिन यह कहना भी गलत नहीं होगा कि कम से कम टेस्ट क्रिकेट गेंदबाजों का खेल है। टेस्ट मैच में पिच का मिज़ाज हर दिन बदलता है ऐसे में मैच के शुरुआती दिनों में तेज़ गेंदबाज़ों को और अंतिम दिन स्पिनरों को मदद मिलती है। इसके अलावा पर्याप्त ओवर होने के कारण गेंदबाज़ को अपनी गेंदबाज़ी में विविधता लाने का मौका मिलता है। टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में हमने कई टीमों को बहुत कम स्कोर पर ही पैवेलियन वापिस लौटते देखा है। बल्लेबाजी पक्षों के इतने कम कम स्कोरों पर धराशाई होने के कई रिकॉर्ड भी बने हैं। हालांकि एक टेस्ट मैच की दोनों पारी में किसी भी टीम का 100 से भी कम रनों पर आउट होना अपने आप में एक रिकॉर्ड है। इसके पीछे खराब पिच को एक कारण माना जा सकता है लेकिन अंततः खराब बल्लेबाज़ी ही इसका मुख्य कारण है। तो आइये जानते हैं टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में 5 बार अपनी दोनों पारियों में 100 से कम के स्कोर पर आउट होने वाली टीमों के बारे में:

1888 में ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड को दोनों पारियों में 53 और 62 रनों पर किया ढेर

1888 में ऑस्ट्रेलिया के इंग्लैंड दौरे में ऑस्ट्रेलिया का दबदबा रहा था। लॉर्ड्स में हुए उस मैच में ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड को क्रिकेट के हर क्षेत्र में मात दी थी। यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि उन दिनों में, पिचों को ढका नहीं जाता था, जिससे गेंदबाज़ों को इसका लाभ मिलता था। उन दिनों में, हालाँकि बहुत ही कम स्कोरिंग मैच होते थे लेकिन इंग्लैंड का प्रदर्शन तो बहुत ही खराब था। इस टेस्ट मैच में ऑस्ट्रेलिया के पहली पारी में 116 रन पर आल आउट होने के बाद, ऑस्ट्रेलिया ने 53 रनों पर मेजबान टीम को ढेर कर दिया था। तेज़ गेंदबाज चार्ल्स टर्नर ने 5 विकेट लिए। हालांकि, दूसरी पारी में ऑस्ट्रेलिया ने सिर्फ 60 रन बनाए और इंग्लैंड को जीतने के लिए 124 रनों का लक्ष्य दिया। लेकिन टर्नर और जॉन फेरिस की जोड़ी ने 47 ओवरों में ही इंग्लैंड की पूरी टीम को 62 रनों पर चलता किया।

ऑस्ट्रेलिया ने शारजाह 2002 में पाकिस्तान को दोनों पारियों में 59 और 53 रनों पर भेजा पैवेलियन

यह आधुनिक टेस्ट क्रिकेट में सबसे खराब बल्लेबाजी प्रदर्शनों में से एक था। 2002 में पाकिस्तान ने शारजाह में ऑस्ट्रेलिया की मेजबानी की और श्रृंखला के दूसरे टेस्ट में मेहमान टीम ने धारदार गेंदबाजी करते हुए पाकिस्तान की पहली पारी 59 रनों पर समेत दी। पिच में कोई खराबी नहीं थी क्योंकि ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए 310 रन बनाए थे लेकिन अपनी पहली पारी में 251 रनों से पिछड़ने के बाद पाकिस्तान को दूसरी पारी में बड़े स्कोर की दरकार थी, हालांकि उनकी पूरी टीम दवाब में खेलते हुए सिर्फ 53 रनों पर ढेर हो गयी। शेन वॉर्न ने प्रत्येक पारी में 4 विकेट लिए और पाकिस्तानी टीम का यह प्रदर्शन टेस्ट क्रिकेट इतिहास में सबसे खराब बल्लेबाजी प्रदर्शन में से एक रहा।

ऑस्ट्रेलिया ने 1946 में न्यूजीलैंड को बेसिन रिजर्व में 42 और 54 रनों पर किया ढेर

1946 में न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुयी श्रृंखला के पहले टेस्ट में दोनों टीमों की क्षमता में जो अंतर् है, वो साफ़ दिखाई दिया। बेसिन रिजर्व में हुए इस मैच में न्यूज़ीलैंड का यह प्रदर्शन उनके क्रिकेट इतिहास का सबसे खराब प्रदर्शन था। न्यूजीलैंड ने पहले बल्लेबाजी की लेकिन उन्हें बिल ओ'रेली और अर्नेस्ट तोशाख की कहर बरपाती गेंदों का सामना करना पड़ा, जिन्होंने क्रमश: 5 और 4 विकेट लिए। मेजबान टीम ने भी वापसी करते हुए ऑस्ट्रेलिया को 199 के स्कोर पर ऑल आउट कर दिया और ऐसा लगा कि मैच एकतरफा नहीं होगा। लेकिन दूसरी पारी में भी कीवी बल्लेबाज़ों ने निराश किया और ऑस्ट्रेलिया की सटीक और धारदार गेंदबाज़ी के सामने पूरी टीम केवल 54 रनों पर ढेर हो गयी। रे लिंडवॉल, कीथ मिलर, अर्नेस्ट तोशाख और बिल ओ'रेली जैसे गेंदबाज़ों ने ऑस्ट्रेलिया की 103 रनों से हुयी जीत में अहम भूमिका निभाई।

1889 में इंग्लैंड ने न्यूलैंड्स में दक्षिण अफ्रीका को दोनों पारियों में 47 और 43 रनों पर किया आउट

यह पहला मौका था जब दक्षिण अफ्रीका ने अपना पहला अंतरराष्ट्रीय टेस्ट मैच खेला था। न्यूलैंड्स में श्रृंखला के दूसरे टेस्ट ने, एक अनुभवहीन टीम और एक विश्वस्तरीय टीम में गहरे अंतर को उजागर किया था। इस टेस्ट में इंग्लिश टीम ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए 292 रनों का अच्छा स्कोर बनाया, लेकिन जवाब में दक्षिण अफ्रीकी टीम 47 ओवरों में सिर्फ 47 रन बनाकर पैवेलियन वापिस लौट गयी। उस समय के बाएं हाथ के बेहतरीन स्पिनर जॉन ब्रिग्स ने 19 .1 ओवर गेंदबाज़ी करते हुए केवल 17 रन दिए और 7 खिलाडियों को पैवेलियन वापिस भेजा। इसके बाद इंग्लैंड ने मेजबान टीम को फॉलो-ऑन पर मजबूर कर दिया और मेजबानों को पारी की हार से बचने के लिए कम से कम 245 रन बनाने की जरूरत थी। हालांकि, दूसरी पारी शुरू होने के बाद यह इंग्लैंड के गेंदबाज़ों को ज़्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी। जॉन ब्रिग्स ने फिर से चतुराई से गेंदबाज़ी करते हुए लगभग पूरी टीम को ही ढेर कर दिया था। उन्होंने दूसरी पारी में 14.2 ओवरों के अपने स्पेल में 8 विकेट अपने नाम किये और दक्षिण अफ्रीका की पूरी टीम को 28.2 ओवर में 43 रनों पर आल आउट करने में अहम भूमिका निभाई। इन 10 विकेटो में एक खिलाडी रन आउट हुआ था, जबकि बाकी बल्लेबाजों को गेंदबाजों ने पैवेलियन का रास्ता दिखाया। शायद यह दक्षिण अफ्रीका के बल्लेबाजों की अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में अनुभवहीनता और तकनीकी कमज़ोरियों का ही परिणाम था कि इंग्लिश टीम ने यह मैच एक पारी और 202 रन से जीता।

1932 में मेलबर्न में ऑस्ट्रेलिया ने दक्षिण अफ़्रीका को महज़ 36 और 45 रन पर भेजा पैवेलियन

1932 में जब दक्षिण अफ्रीकी टीम ने ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया, तब तक दक्षिण अफ्रीका एक अनुभवी और परिपक्व टीम बन चुका था लेकिन मेलबर्न में 5वें टेस्ट में उन्होंने टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में सबसे ख़राब बल्लेबाजी प्रदर्शन किया। दक्षिण अफ्रीका को पहले बल्लेबाज़ी करते हुए तेज़ गेंदबाज़ लॉरेंस नैश की गति या बर्ट आयरनमोंगर की घूमती गेंदों का सामना करना पड़ा और पूरी टीम ने इन दो गेंदबाज़ों के आगे घुटने दिए। नैश ने 4 विकेट लिए, जबकि आयरनमोंगर ने 5 लेकर दक्षिण अफ्रीका को 22.2 ओवरों में केवल 36 रनों पर आउट कर दिया। जब मेजबान टीम बल्लेबाजी के लिए मैदान में उतरी तो उनके लिए भी बल्लेबाज़ी आसान नहीं थी लेकिन फिर भी उन्होंने स्कोर बोर्ड पर 153 रन टांग दिए। 117 टेस्ट क्रिकेट में कोई ज़्यादा स्कोर नहीं है लेकिन फिर भी मेहमान टीम वापसी करने में नाकाम रही। स्पिनर आयरनमोंगर की गेंदबाज़ी दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाज़ों के लिए एक पहेली बन गयी, जिन्होंने महत्वपूर्ण 6 विकेट हासिल किये और मेहमान टीम को दूसरी पारी में 31.3 ओवरों में सिर्फ 45 रनों पर ढेर कर दिया। गौरतलब है की यह टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में किसी भी टीम का सबसे कम स्कोर है। लेखक: एस समद्दर अनुवादक: आशीष कुमार

Edited by Staff Editor
Sportskeeda logo
Close menu
WWE
WWE
NBA
NBA
NFL
NFL
MMA
MMA
Tennis
Tennis
NHL
NHL
Golf
Golf
MLB
MLB
Soccer
Soccer
F1
F1
WNBA
WNBA
More
More
bell-icon Manage notifications