5 मौके जब बाएं हाथ के तेज गेंदबाज के सामने भारतीय टीम जूझती नज़र आई

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किसी भी बाएं हाथ के गेंदबाज को गेंदबाजी करते देखना काफी सुखद अनुभव है। ऐसे में गेंदबाज हमेशा टीम के लिए कारगर साबित होते हैं और कप्तान उन्हें प्रमुख हथियार के रूप में इस्तेमाल करता है क्योंकि इनकी सीधी गेंद लगता है कि दाहिने हाथ के बल्लेबाज को छोड़ते हुए जा रही है। इसी वजह से बाएं हाथ के गेंदबाज हमेशा बल्लेबाजों के लिए परेशानी खड़ी करते हैं और भारतीय बल्लेबाज भी इससे अनछुए नहीं हैं।

आकाश चोपड़ा ने एक बार सही ही कहा था कि अगर आप बाएं हाथ के गेंदबाज या बल्लेबाज हैं तो आपके लिए क्रिकेट ज्यादा आसान हो जाता है।

आईये अब कुछ ऐसे मौके देखते है जब बाएं हाथ के गेंदबाजों ने भारतीय टीम के लिए परेशानी खड़ी की

#1 भारत बनाम पाकिस्तान (कोका-कोला कप फाइनल, 1998/99)

फाइनल से पहले भारतीय टीम का आत्मविश्वास काफी ऊंचा था क्योंकि टीम सारे लीग मुकाबले जीतकर फाइनल में पहुंची थी। वहीं इंग्लैंड की टीम पहले तीनों मैच हारने के बाद सीरीज से बाहर हो चुकी थी, जिसमें दो मैच वह भारत के खिलाफ ही हारी थी। अब फाइनल मुकाबले में सामने थी भारत और पाकिस्तान की टीमें।

टॉस जीतकर भारतीय टीम पहले बल्लेबाजी करने उतरी लेकिन 'सुल्तान ऑफ स्विंग' कहे जाने वाले वसीम अकरम ने पहले ही ओवरों में लगातार दो विकेट लेकर भारतीय टीम की कमर तोड़ दी। उन्होंने पहले सलामी बल्लेबाज सदगोपन रमेश और फिर राहुल द्रविड़ का शिकार किया।

रमेश ओवर की तीसरी गेंद पर आउट हो गए। पहली गेंद उन्हें विकेट के सामने लगी लेकिन वो बच गए लेकिन जब तीसरी गेंद पर फिर ऐसा ही हुआ तो अंपायर में अपनी उंगली खड़ी कर दी। अगली ही गेंद पर अकरम ने राहुल द्रविड़ को भी एलबीडबल्यू आउट कर भारतीय टीम को मैच से लगभग बाहर ही कर दिया।

वसीम अकरम ने अपनी स्विंग गेंदबाजी से पाकिस्तान को विजेता बनने में मदद की। अपने 8 ओवर में उन्होंने 11 रन देकर 3 विकेट लिए और मैन ऑफ दी मैच का ख़िताब जीता।

#2 भारत बनाम श्रीलंका (कोका-कोला कप फाइनल 2000)

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श्रीलंकाई टीम हमेशा भारत के लिए चुनौती पेश करती है। इस मैच में टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए श्रीलंका की टीम ने 299 रन बनाये। कप्तान सनथ जयसूर्या ने अपना सर्वाधिक व्यक्तिगत स्कोर 189 बनाया और कई कीर्तिमान भी तोड़े।

उस समय के क्रिकेट में 300 का लक्ष्य काफी बड़ा था और भारत को शुरुआती झटके देकर चामिंडा वास ने काम नामुमकिन कर दिया।

वास ने तीसरे ओवर में भारतीय कप्तान सौरव गांगुली का शिकार किया फिर अगले ही ओवर उन्होंने सचिन तेंदुलकर को बोल्ड कर दिया। वास यहीं नहीं रुके उन्होंने 3 और भारतीय बल्लेबाजों को पवेलियन भेजते हुए कुल 5 विकेट हासिल किए।

जयसूर्या की पारी से दबाव में आई भारतीय टीम वास के झटकों से उबर नहीं पाई और पूरी टीम 54 के स्कोर पर पवेलियन लौट गई। इस मैच में चामिंडा वास ने 14 रन देकर 5 विकेट हासिल किए और उस समय यह उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था।

#3 भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया (डीएलएफ कप, 2006)

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यह वह समय था जब ऑस्ट्रेलिया की टीम क्रिकेट जगत पर राज करती थी। रिकी पोंटिंग की कप्तानी वाली इस टीम को हराने का सपना सभी टीमें देखती थी।

डीएलएफ कप के इस तीसरे मैच में ऑस्ट्रेलिया की टीम 244 रन ही बना पाई। हरभजन सिंह ने भारत की तरफ से किफायती गेंदबाजी की लेकिन बारिश की वजह से भारत को 29 ओवरों में 179 का लक्ष्य मिला।

मिचेल जॉनसन ने उस मैच में अपने स्विंग और गति से भारतीय बल्लेबाजी को तहस नहस कर दिया। सबसे पहले उन्होंने राहुल द्रविड़ का शिकार किया फिर अन्य बल्लेबाजों के आने-जाने की कतार लग गयी।

भारतीय बल्लेबाजों के पास जॉनसन के स्विंग और गति का कोई जवाब नहीं था और टीम का स्कोर 35/5 हो गया जिसमें 4 विकेट जॉनसन ने झटके थे। इसी स्कोर पर जब रैना और धोनी क्रीज पर थे तभी बारिश फिर से आ गयी और मैच का कोई नतीजा नहीं निकल पाया और भारतीय टीम बच गयी।

मैच के बाद कप्तान पोंटिंग ने कहा " जॉनसन ने पहले मैच और आज के मैच में महत्वपूर्ण सफलतायें दिलाई है। उनके पास गति है, बाएं हाथ के गेंदबाज हैं और वह गेंद को स्विंग भी करा सकते हैं। हम उन्हें ज्यादा से ज्यादा मैच देना चाहते हैं। जहां तक मुझे लगता है वह हर मैच के साथ सीख रहे हैं।"

#4 भारत बनाम बांग्लादेश (दूसरा एकदिवसीय, 2015)

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बांग्लादेश की टीम को हमेशा से छुपा रुस्तम माना जाता है लेकिन लगातार 5 घरेलू सीरीज जीतकर उन्होंने इस बात को गलत साबित कर दिया। पाकिस्तान से लेकर भारत, दक्षिण अफ्रीका, ज़िम्बाब्वे और अफगानिस्तान को बांग्लादेश ने शिकस्त दी।

भारत के खिलाफ 3 मैचों की सीरीज का पहला मैच जीतने के बाद बांग्लादेश की टीम दूसरे मैच में मजबूत इरादों के साथ उतरी और इस मैच को जीतकर सीरीज पर भी कब्जा कर लिया। बांग्लादेश की इस जीत के हीरो रहे मुस्तफिजुर रहमान।

उनकी सटीक यॉर्कर और धीमी गति की गेंदों ने किसी भी बल्लेबाज को खुलकर खेलने का मौका ही नहीं दिया। शुरुआत में ही मुस्तफिजुर ने रोहित शर्मा का शिकार कर लिया उसके बाद जब रैना और धोनी पिच पर टिक गए थे तभी मुस्तफिजुर ने उनका विकेट झटकने के बाद निचले क्रम के बल्लेबाजों को सस्ते में निपटा दिया।

इस मैच में उन्होंने 10 ओवरों में 43 रन देकर 6 विकेट झटके। इसके बाद बांग्लादेश के बल्लेबाजों ने उनकी मेहनत को बर्बाद नहीं होने दिया और लक्ष्य हासिल कर लिया। इसके साथ ही बांग्लादेश ने भारत के खिलाफ पहली द्विपक्षीय सीरीज भी अपने नाम किया।

इसी सीरीज के पहले मैच में मुस्तफिजुर ने 5 विकेट लिए थे और दूसरे मैच में 6 विकेट और ज़िम्बाब्वे के ब्रायन विटोरी के बाद पहले दोनों मैच में 5 या उसके ज्यादा विकेट लेने वाले वो पहले गेंदबाज बने थे।

#5 भारत बनाम पाकिस्तान (चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल, 2017)

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पाकिस्तान ने चैंपियंस ट्रॉफी के अपने पहले ही मैच में भारत के हाथों 124 रनों की हार झेली थी। इसके साथ ही उनका आत्मविश्वास काफी नीचे चला गया और उनकी काफी निंदा ही हुई। इस समय तक किसी को उम्मीद नहीं थी कि पाकिस्तान अंत मे इस ट्रॉफी का विजेता बनेगा।

फाइनल मुकाबले में टॉस जीतकर भारत ने पाकिस्तान को बल्लेबाजी के लिए बुलाया क्योंकि कोहली की टीम को लगता था कि उनकी टीम किसी भी लक्ष्य का पीछा कर सकती है। लेकिन, उस दिन पाकिस्तान की टीम के इरादे कुछ और ही थे। फखर ज़मान के पहले एकदिवसीय शतक की मदद से पाकिस्तान की टीम 338 रनों तक पहुंच गई। जबरदस्त फॉर्म में चल रहे रोहित शर्मा और शिखर धवन लक्ष्य का पीछा करने उतरे लेकिन उस दिन मोहम्मद आमिर के मंसूबे कुछ और ही थे।

पहले ओवर में ही अंदर स्विंग होती गेंद पर उन्होंने रोहित शर्मा को एलबीडबल्यू आउट किया फिर तीसरे ओवर में आमिर की गेंद पर विराट के बल्ले का बाहरी किनारा लेकर गेंद स्लिप में गयी लेकिन अज़हर अली ने कैच छोड़ दिया लेकिन अगली ही गेंद पर आमिर ने कोहली का शिकार कर लिया।

उसके बाद आमिर ने शिखर धवन को भी पवेलियन भेजा। उनके इस शुरुआती झटके से भारतीय टीम उबर ही नहीं पाई और पाकिस्तान ने फाइनल मैच जीतकर पहली बार चैंपियंस ट्रॉफी अपने नाम किया।

लेखक- धीरेंद्र शेनॉय

अनुवादक- ऋषिकेश सिंह