टेस्ट क्रिकेट में मैन ऑफ़ द मैच मिलना एक उपलब्धि होती है। सचिन तेंदुलकर और मुथैया मुरलीधरन, दो ऐसे खिलाड़ी रहे जिन्होंने अपनी टीम के लिए कई टेस्ट में यादगार प्रदर्शन किया और मैन ऑफ़ द मैच हुए। जैक्स कैलिस भी एक ऐसे खिलाड़ी थे जिन्होंने अपनी ऑलराउंड योग्यता के कारण कई बार मैन ऑफ़ द मैच अवॉर्ड जीता। कैलिस के नाम 23 मैन ऑफ़ द मैच हैं, जो एक विश्व रिकॉर्ड भी है।
वैसे इस लिस्ट में सचिन का नाम काफी नीचे है और वो संयुक्त 7वें नंबर पर हैं। मुरलीधरन ने 19, वसीम अकरम और शेन वॉर्न ने 17, कुमार संगकारा और ऑस्ट्रेलिया के सबसे सफलतम कप्तान रिकी पोंटिंग ने 16 मैन ऑफ़ द मैच अवॉर्ड जीते हैं। सचिन के नाम 14 अवॉर्ड हैं और वेस्टइंडीज के महान तेज़ गेंदबाज कर्टली एम्ब्रोज और स्टीव वॉ उनकी बराबरी पर हैं। सचिन के बाद भारत की तरफ से राहुल द्रविड़ (11) और अनिल कुंबले (10) का नंबर आता है।
दूसरी तरफ न्यूज़ीलैंड के नाथन एस्टल अपने समय के टॉप बल्लेबाज थे और उन्होंने सबसे तेज़ दोहरा शतक का रिकॉर्ड भी बनाया था। हालाँकि सालों तक कीवियों के लिए 81 टेस्ट खेलने वाले एस्टल को सिर्फ एक बार मैन ऑफ़ द मैच का अवॉर्ड मिला।
आइये नज़र डालते हैं अपने जमाने के ऐसे टॉप क्रिकेटरों पर जिन्हें अपने टेस्ट करियर में एक भी 'मैन ऑफ़ द मैच अवॉर्ड' नहीं मिला
#5 मोइन खान, पाकिस्तान (69 मैच)
90 के दशक में मोइन खान पाकिस्तान टीम के अहम सदस्य थे और विश्व के सर्वश्रेष्ठ विकेटकीपरों में शामिल थे। इसके अलावा वो 1992 की विश्व कप विजेता टीम के सदस्य भी थे। अपने समय में मोइन खान और राशिद लतीफ़ के बीच टीम में जगह को लेकर काफी जोरदार मुकाबला रहता था लेकिन मोइन खान को उनकी बल्लेबाजी के कारण तरजीह दी जाती थी। निचले क्रम में उन्होंने पाकिस्तान के लिए काफी उपयोगी पारियां खेली हैं।
पाकिस्तान के लिए मोइन ने 69 टेस्ट मैच खेले जिसमें उन्होंने 4 शतक और 28.55 की औसत से 2741 रन बनाये थे। काफी बढ़िया पारी खेलने और विकेट के पीछे अहम योगदान देने के बावजूद मोइन खान को कभी भी मैन ऑफ़ द मैच का अवॉर्ड नहीं मिला था।
#4 सैयद किरमानी, भारत (88 मैच)
महेंद्र सिंह धोनी के बाद अगर टेस्ट खेलने की बात करें तो सैयद किरमानी भारत के दूसरे सबसे अनुभवी विकेटकीपर हैं। किरमानी ऐसे भारतीय टीम के सदस्य रह चुके हैं जिन्होंने 1983 का विश्व कप जीतकर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपने आगमन का ऐलान किया था। इसके अलावा भारत के बाहर कई टेस्ट सीरीज भारतीय टीम ने जीते और किरमानी टीम के अहम सदस्य थे।
हालाँकि उस समय विकेटकीपरों को सिर्फ कीपिंग के लिए ही टीम में रखा जाता था, लेकिन उन्होंने बल्ले से भी काफी अहम योगदान दिया है। निचले क्रम पर बल्लेबाजी करते हुए उन्होंने 1983 विश्व कप में एक शानदार पारी खेली थी। उन्होंने कपिल देव के साथ ज़िम्बाब्वे के विरुद्ध 9वें विकेट के लिए 126 रन जोड़े थे और ये 2010 तक एक विश्व रिकॉर्ड था। किरमानी ने 2 शतक और 27.04 की औसत से टेस्ट में 2759 रन बनाये लेकिन उन्हें कभी भी मैन ऑफ़ द मैच नहीं चुना गया।
# बॉब विलिस, इंग्लैंड (90 मैच)
बॉब विलिस इंग्लैंड के महान तेज़ गेंदबाजों में एक थे। विलिस ने इंग्लैंड के लिए 90 टेस्ट खेले और आज भी सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले इंग्लिश गेंदबाजों में चौथे स्थान पर हैं। 1981 के एशेज में उन्होंने एक पारी में 43 रन देकर 8 विकेट लिए जिसे आज भी टेस्ट क्रिकेट की एक पारी में की गई सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी में से एक माना जाता है।
1978 में उन्हें विस्डन क्रिकेटर ऑफ़ द ईयर चुना गया था। 90 टेस्ट में विलिस ने 25.20 की औसत से 325 विकेट लिए, जिनमें 16 बार पारी में 5 विकेट शामिल है। वैसे इतने बेहतरीन प्रदर्शन के बावजूद आश्चर्यजनक तरीके से उन्हें कभी भी मैन ऑफ़ द मैच का अवॉर्ड नहीं मिला।
#2 इयान चैपल, ऑस्ट्रेलिया (75 मैच)
जिस तरह से इयान चैपल इन दिनों कमेंट्री में जलवा दिखा रहे हैं, वैसे ही अपने जमाने में वो एक बेहतरीन बल्लेबाज भी थे। उनके अलावा उनके दो भाई, ग्रेग और ट्रेवर चैपल भी ऑस्ट्रेलिया के लिए खेल चुके हैं। इयान चैपल ने बिल लौरी के बाद ऑस्ट्रेलियाई टीम के कप्तानी की जिम्मेदारी संभाली थी। अपनी कप्तानी में वो सफल रहे थे लेकिन केरी पैकर के 'वर्ल्ड सीरीज क्रिकेट' आने से वो उधर चले गए।
1974-75 के एशेज में उनकी कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड को 4-1 से हराया था। इसके अलावा उनकी कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया 1975 के विश्व कप के फाइनल में पहुंची थी, जहाँ उन्हें वेस्टइंडीज ने हराया था। इयान चैपल ने ऑस्ट्रेलिया के लिए 75 टेस्ट खेलकर 42.42 की औसत से 5345 रन बनाये थे। उन्होंने 14 शतक भी लगाये जिनमें उनका सर्वाधिक स्कोर 196 रहा। लेकिन इतने दिनों तक ऑस्ट्रेलिया टीम के अहम सदस्य रहने वाले इयान चैपल को कभी मैन ऑफ़ द मैच नहीं मिला।
#1 जोएल गार्नर, वेस्टइंडीज (58 मैच)
70 से 80 के दशक में वेस्टइंडीज की तेज़ गेंदबाजी ने दुनिया भर के बल्लेबाजों के नाक में दम कर रखा था। माइकल होल्डिंग, मैल्कम मार्शल और एंडी रोबर्ट्स के साथ 6 फीट, 8 इंच लम्बे जोएल गार्नर वेस्टइंडीज की गेंदबाजी आक्रमण की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। जो बल्लेबाज इन्हें खेल चुके हैं, वो इनकी कातिलाना गेंदबाजी के बारे में बता सकते हैं। क्लाइव लॉयड की कप्तानी में उस समय की कैरिबियाई टीम को रोकना नामुमकिन था।
जोएल गार्नर ने 58 टेस्ट मैचों में 20.97 की औसत से 259 विकेट लिए थे और वेस्टइंडीज को कई मैचों में जीत दिलाई थी। उन्होंने पारी में 7 बार 5 विकेट लिए हैं और उनकी सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी 56 रन देकर 6 विकेट लिए थे। हालाँकि इतने बेहतरीन रिकॉर्ड के बावजूद गार्नर को कभी भी मैन ऑफ़ द मैच का अवॉर्ड नहीं मिला। लेकिन उन्हें दो बार मैन ऑफ़ द सीरीज से नवाज़ा जा चुका है।