अगर जॉर्ज आरआर मार्टिन को अनिश्चितता के मामले में कोई हरा सकता है तो वो और कोई नहीं बल्कि अपने भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी हैं। धोनी ने हमेशा वही किया जो वो करते आए हैं- शांत रहकर देश के लिए सर्वश्रेष्ठ काम किया। वह पहले भी कई बार कप्तान के रूप में दमदार अंदाज में मैदान में उतरे हैं। मगर अब उन्होंने कप्तानी छोड़ दी- वो भी जब तब धोनी ने पाया कि उनकी जगह कप्तानी के लिए सही विकल्प उपलब्ध है और चैंपियंस ट्रॉफी शुरू होने में अभी एक वर्ष का समय भी है, जिससे भारत 2019 में होने वाले विश्व कप की तैयारियां अच्छे से कर सकता है। धोनी ने अपनी जगह भी खतरे में डाल दी है, उन्होंने अपने आप को विशेषज्ञ विकेटकीपर बल्लेबाज के रूप में उपलब्ध रखने की बात कही है। इससे चयनकर्ताओं के दिमाग में भी उलझन पैदा हो गई है कि क्या धोनी 2019 विश्व कप तक खेलेंगे या फिर वह पहले ही संन्यास लेंगे। या फिर उन्हें अब ऋषभ पंत को आजमाना चाहिए ताकि 2019 विश्व कप से पहले उन्हें अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट की अच्छे से समझ हो जाए। मगर यह बहस किसी और दिन की जा सकती है। भारत को शायद मैदान पर धोनी जैसा और कोई कप्तान नहीं मिलेगा। धोनी ने हर वो चीज जीती जो क्रिकेट कप्तान के लिए बहुत ही मायने रखती है। वह विश्व के एकमात्र कप्तान है जिन्होंने आईसीसी टेस्ट मेस, आईसीसी एकदिवसीय विश्व कप, आईसीसी टी20 विश्व कप और चैंपियंस ट्रॉफी जीती। यह कल्पना करना भी मुश्किल है कि कोई और कप्तान इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल कर पाएगा या नहीं। यह उपलब्धि धोनी की अलग सोच के कारण मिली। हम खेल के छोटे प्रारूपों में धोनी की 5 सबसे बड़ी ट्रॉफी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके लिए भारत हमेशा उनका आभारी रहेगा :
#5 2011 आईसीसी एकदिवसीय विश्व कप, भारत
इयान चैपल ने धोनी को पिछले 30 वर्षों में क्रिकेट का सबसे शानदार लीडर करार देते हुए इस टूर्नामेंट का जानदार अंत किया। चैपल ने कहा कि धोनी ने उस टीम से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन निकाला जिसका गेंदबाजी आक्रमण ज्यादा मजबूत नहीं था, जो कि किसी भी एकदिवसीय टीम का सबसे बेहतर पहलू होता है। धोनी की कप्तानी में भारत पहली टीम बनी, जिसने अपने देश में ख़िताब जीता हो। धोनी ने ऐसा लगातार बदलते गेंदबाजी क्रम के साथ किया। सिर्फ ज़हीर की लगातार मैच खेले जबकि पियूष चावला के बाद अश्विन को आजमाया गया, युवराज ने वैकल्पिक गेंदबाज की भूमिका अदा की और नेहरा चोटिल होने के कारण फाइनल में नहीं खेल सके। इन सभी चुनौतियों से परे धोनी ने गौतम गंभीर के साथ फाइनल में दबावभरे मुकाबले में शानदार पारी खेलकर भारत को विश्व चैंपियन बनाया। धोनी की यह पारी महत्व और परिस्थिति को देखते हुए सर्वकालिक महान एकदिवसीय पारियों के शीर्ष 10 में शामिल हुई। लीग चरण में भारत को दक्षिण अफ्रीका से शिकस्त झेलना पड़ी जबकि इंग्लैंड के खिलाफ बड़े स्कोर के बावजूद मुकाबला ड्रॉ रहा। मगर टीम ने सही समय पर लय हासिल की और ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान के बाद फाइनल में श्रीलंका को हराकर ख़िताब जीत लिया। धोनी ने अंत के लिए अपना विशेष प्रदर्शन सुरक्षित कर रखा था। वानखेड़े के छोटे मैदान पर बल्लेबाजों के लिए मददगार पिच के संसाधनों का धोनी ने बखूबी इस्तेमाल किया, जहां श्रीलंका उन्हें हरा सकता था, लेकिन ऐसा हो नहीं सका। एक जेंटलमैन जैसे धोनी ने संगकारा को जाने दिया जबकि पहली बार वह टॉस गंवा चुके थे। उनका सबसे भावनात्मक पल पूरे टूर्नामेंट के दौरान सिर्फ एक बार देखने को मिला जब फाइनल में श्रीलंका के खिलाफ एक चुनौतीपूर्ण लेने गए। धोनी ने गुस्से में बल्ला अपने पेड पर मारा। युवराज से ऊपर अपने आप को तरजीह देते हुए मुरलीधरन का सामना करने का कारण देकर धोनी ने कई आलोचनाओं को दावत दी थी- ऐसे हैं आपके और हमारे धोनी। #4 2007 आईसीसी टी20 विश्व कप, दक्षिण अफ्रीका
भारत की प्रयोगात्मक टीम थी और उस समय किसी को इस बात का अंदाजा नहीं था कि टी20 कितना बड़ा प्रारूप बनने वाला है। 26 वर्षीय धोनी के हाथों में टीम की कप्तानी सौंप दी गई थी और किसी को इस टूर्नामेंट से ज्यादा उम्मीद नहीं थी। धोनी को पता था कि उन लोगों को गलत साबित किया जा सकता है जो कोई उम्मीद ही नहीं कर रहा है। झारखंड से ताल्लुक रखने वाले धोनी की रणजी टीम का कोई उल्लेख नहीं होता था जब तक वह चर्चा का केंद्र नहीं बने। मगर चयनकर्ताओं का फैसला मास्टरस्ट्रोक साबित हुआ जिसमें भारत के भविष्य के सभी स्टार खिलाड़ी मौजूद थे। धोनी ने आईसीसी टी20 विश्व कप का उद्घाटन संस्करण जीता- भारत ने 24 वर्ष के बाद विश्व कप ख़िताब जीता। युवराज की पारियां, भारत का पाकिस्तान के साथ मैच टाई होना तथा बॉल-आउट, घरेलू टीम के खिलाफ अप्रत्याशित जीत, सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया को मात और पाकिस्तान को फाइनल में हराना। यह सब उस कहानी का हिस्सा है जहां एक लीजेंड का जन्म हुआ। यह सफलता एक दशक तक नहीं रुकी, कप्तान ने अपने खाते में सभी प्रमुख ट्रॉफी रखी। और हम जोगिंदर शर्मा से डलाया गया ओवर कैसे भूल सकते हैं? #3 2013 चैंपियंस ट्रॉफी, इंग्लैंड एंड वेल्स
चैंपियंस ट्रॉफी में भारत के साथ लंबे समय तक अनहोनी होती रही है। 2000 में केन्या में हुए टूर्नामेंट में भारत ने दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया जैसी दिग्गज टीमों को मात दी, लेकिन फाइनल में न्यूजीलैंड से हार गई। 2002 में भारत को श्रीलंका के साथ ट्रॉफी साझा करना पड़ी क्योंकि फाइनल बारिश की भेंट चढ़ गया। इसके बाद भारत को फाइनल में पहुंचने के लिए 11 साल का समय लगा। धोनी के नेतृत्व में भारत ने सभी मैच जीतते हुए फाइनल में प्रवेश किया। हालांकि फाइनल को धोनी के मास्टरस्ट्रोक की जरुरत थी और अहम पल पर जब इंग्लैंड खिताबी जीत की तरफ बढ़ रहा था। तब धोनी ने ख़राब फॉर्म से जूझ रहे इशांत शर्मा को गेंद थमाई। इंग्लैंड की टीम 5 रन से मुकाबला हार गई और धोनी ने सीमित ओवरों के सभी प्रमुख ख़िताब अपने खाते में जोड़ लिए। मुश्किल लगता है कि कोई और कप्तान इसकी बराबरी कर पाएगा। #2 2008 कॉमनवेल्थ बैंक सीरीज, ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया में टूर्नामेंट जीतना सबसे मुश्किल चुनौतियों में से एक हैं। 80 और 90 के दशक में सिर्फ एक ही टीम ऑस्ट्रेलिया को उसके घर में कड़ी चुनौती देती थी उसका नाम है वेस्टइंडीज। जब 2000 में ऑस्ट्रेलिया बेहद दमदार टीम बनी तो बहुत ही कम टीमें उनकी बादशाहत को चुनौती दे सकी। दक्षिण अफ्रीका ने 2001/02 में सीबी सीरीज जबकि इंग्लैंड ने 2006/07 में जीती थी। 2007/08 में गांगुली ने युवा रोहित शर्मा और गौतम गंभीर की जगह टीम में बनाई और इन्होंने सभी को गौरवान्वित किया। भारत को तीसरा फाइनल खेलने की जरुरत नहीं पड़ी और पहले दोनों फाइनल जीत लिए। सचिन तेंदुलकर ने पहले फाइनल में नाबाद शतक जमाकर भारत को जीत दिलाई। इसके बाद दूसरे फाइनल में सचिन तेंदुलकर (91) की पारी और प्रवीण कुमार (4 विकेट) के शानदार प्रदर्शन के दम पर धोनी ने ख़िताब अपने नाम किया। #1 2010 एशिया कप, श्रीलंका
उप-महाद्वीप टीमों के लिए एशिया कप गौरव का मामला है। भारत और श्रीलंका दोनों ने 5-5 बार यह ख़िताब जीता है, पाकिस्तान ने दो बार ख़िताब जीता। धोनी के लिए यह यादगार टूर्नामेंटों में से एक है क्योंकि विश्व कप और चैंपियंस ट्रॉफी के बाद उप-महाद्वीप टीमों के लिए यह प्रतिष्ठित टूर्नामेंट हैं। दूसरा 2010 से पहले भारत ने 1995 में एशिया कप जीता था- 1988 से 1990/91 तक भारत ने खिताबी हैटट्रिक लगाई थी। भारत को 15 वर्ष का समय लग गया एशिया कप का ख़िताब जीतने में। इस दौरान श्रीलंका ने तीन जबकि पाकिस्तान ने एक बार टूर्नामेंट ख़िताब जीता था। श्रीलंका की सभी तीन जीत भारत के खिलाफ आई थी। भारत ने इसका बदला श्रीलंका से उसके घर में लिया। भारत ने 2016 में एशिया कप का टी20 प्रारूप भी जीता। धोनी ने बांग्लादेश के खिलाफ फाइनल में सिर्फ 6 गेंदों में 20* रन बनाए और दर्शाया कि वह बॉस हैं।