ऑस्ट्रेलियाई टीम पिछले हफ्ते मुंबई पहुंच गयी है। कंगारूओं का मुकाबला 10 में से 9 टेस्ट मैच जीतने वाली भारतीय टीम से है। जब ऑस्ट्रेलियाई टीम भारतीय दौरे के लिए घोषित हुई, तो सभी ने इस टीम से चमत्कार की उम्मीद की। क्योंकि भारत पिछली बार अपनी धरती पर साल 2012 में हारा था। ऑस्ट्रेलियाई टीम की घोषणा हुई तो कई सवाल पैदा हो गये जिनके जवाब किसी के पास नहीं है। आज इस लेख में हम आपको उन्हीं सवालों के बारे में बता रहे हैं। क्या मैक्सवेल टीम की उम्मीदों पर खरा उतरेंगे? पिछले साल मैक्सवेल की खराब फॉर्म की वजह से उन्हें टीम से बाहर कई बार किया गया। 26 वर्षीय इस आक्रामक बल्लेबाज़ ने वास्तव में घरेलू स्तर पर भी अच्छा खेल नहीं दिखाया है। लेकिन उन्हें टीम में शामिल किया गया है। शेफील्ड शील्ड कप में मैक्सवेल ने 129 रन बनाये थे और एक विकेट लिया था। मैक्सवेल का चयन सिर्फ एक कारण से हुआ होगा वह है उनकी आक्रामक बल्लेबाज़ी। जो भारतीय परिस्थितियों में अच्छी साबित हो सकती है। यहाँ तक मैक्सवेल ने जो तीन टेस्ट मैच खेले हैं, उसमें से दो टेस्ट उन्होंने दिल्ली और हैदराबाद में खेले थे। जहाँ उन्होंने चार पारियों में 39 रन बनाये थे। वास्तव में तीन टेस्ट मैचों में विक्टोरिया के इस बल्लेबाज़ के बल्लेबाज़ी क्रम 5 बदलाव हुए थे। जिनमें वह सलामी बल्लेबाज़ से लेकर आठवें नंबर पर भी बल्लेबाज़ी करने आये थे। ऐसे में वह अच्छा नहीं खेल पाए थे। साथ ही उन्हें साल 2013 में अबुधाबी टेस्ट से बाहर कर दिया गया था। चार साल बाद अब जब मैक्सवेल टेस्ट टीम में वापस आये हैं, ऐसे में माना जा रहा है कि वह छठे क्रम पर बल्लेबाज़ी करने उतरेंगे। साथ ही जरूरत पड़ने पर वह स्पिन गेंदबाज़ी भी करेंगे। ऐसे में भारतीय स्पिनरों के सामने मैक्सवेल कैसा खेलते हैं, ये देखना दिलचस्प होगा। क्या गेंदबाज़ 20 विकेट ले लेंगे? ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों के ऊपर ये किसी सवालिया निशान से कम नहीं है कि वह 20 विकेट लेने में सक्षम हैं कि नहीं। पिछले 8 टेस्ट मैचों में वह दो बार ही ऐसा कर पाए हैं। माइकल क्लार्क की कप्तानी में साल 2013 में ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों ने 4 टेस्ट मैचों में एक बार भी 20 विकेट नहीं लिए थे। लिहाजा टीम 4-0 से हार गयी थी। हैदराबाद में दूसरे टेस्ट मैच के बाद शेन वाटसन, मिचेल जॉनसन और जेम्स पैटीसन को कोच मिकी आर्थर ने ऑफ फील्ड असाइनमेंट नहीं पूरा करने की वजह से सस्पेंशन भी झेलना पड़ा था। मौजूदा समय में जो गेंदबाज़ ऑस्ट्रेलियाई टीम में हैं, उनका बचाव डैरेन लेहमन ने किया है। साथ ही कहा है, “हमारे स्पिनर भी हैं, हमें बीस विकेट लेने में मदद करेंगे। इसके अलावा हम रन बनाकर टीम इंडिया पर दबाव बनाने की कोशिश करेंगे।” लेकिन अगर ऑस्ट्रेलिया भारत में जीत हासिल करना चाहता है, तो उसे पूरी क्षमता के साथ 20 विकेट लेना होगा। मिचेल स्टार्क, जोश हेजलवुड और नाथन लियोन की भूमिका इसलिए काफी अहम हो जाती है। इसके अलावा ये एक बड़ा सवाल भी है। हैंड्सकाम्ब या वेड? ऑस्ट्रेलियाई टीम में कौन विकेटकीपर की भूमिका में होगा ये भी एक बड़ा सवाल है। ऑस्ट्रेलिया के मुख्य चयनकर्ता ट्रेवोर होन्स ने अपनी पहली प्राथमिकता मैथ्यू वेड को बताया था। लेकिन अगर कोई दिक्कत हुई तो पीटर हैंड्सकाम्ब इस भूमिका में होंगे। साल 2013 में वेड की कीपिंग स्किल पर सवाल उठे थे। इसके अलावा उनकी उम्र भी बढ़ती जा रही है। वेड ने पिछली बार 5 कैच टपकाए थे। वापसी करने के बाद चार टेस्ट मैचों में वेड ने 12 के करीब औसत से 50 रन बनाये हैं। इस वजह से हैंड्सकाम्ब के लिए टीम में जगह बनती हुई दिखाई देती है। 25 वर्षीय युवा खिलाड़ी ने अपने करियर के शुरूआती 4 टेस्ट मैचों में 399 रन बनाये हैं। उनका औसत 99 का है। हैंड्सकाम्ब इन सभी मैचों में बतौर विशेषज्ञ बल्लेबाज़ के रूप में खेले हैं। हो सकता है वह भारत में भी इसी भूमिका में नजर आयें। लेकिन बहुत खबरिया चैनलों का मानना है कि हैंड्सकाम्ब बतौर विकेटकीपर भी खेलते हुए नजर आ सकते हैं। उनके 50 फीसदी फैन्स भी यहीं चाहते हैं। इससे स्मिथ को एक अन्य विशेषज्ञ बल्लेबाज़ को खिलाने का मौका मिल जायेगा। क्या स्पिनर सफल होंगे? साल 2012 में अंतिम बार इंग्लैंड ने भारत को हराया था। मोंटी पनेसर और ग्रेम स्वान ने 37 विकेट लिए थे। लेकिन सामान्य तौर पर ये माना गया है कि भारतीय पिचों पर टीम इंडिया को स्पिन के जाल में उलझाना आसान नहीं है। लेकिन ऑस्ट्रेलियाई चयनकर्ताओं ने ग्लेन मैक्सवेल को मिलाकर 5 स्पिनरों को टीम में शामिल किया है। वास्तव में साल 2008 और 2013 में भी ऑस्ट्रेलिया की टीम स्पिन गेंदबाज़ थे उन्होंने विकेट के एवज में काफी रन लुटा दिया था। जेसन क्रेजा ने नागपुर में 2008 डेब्यू करते हुए 358 रन देकर 12 विकेट लिए थे। इसके लावा साल 2013 में मौजूदा ऑस्ट्रेलियाई टीम के स्पिन गेंदबाज़ नाथन लियोन शामिल थे। लेकिन उनका औसत भी तीन टेस्ट में 40 का था। शेन वार्न ने साल 2007 में क्रिकेट को अलविदा कहा, उसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने दर्जनों स्पिनरों को अजमाया। लेकिन कोई भी उपमहाद्वीप में सफल नहीं हुआ। ऐसे में इस बार स्पिनरों की सफलता पर सवालिया निशान लगा हुआ है। क्या वार्नर और स्मिथ भारत में भी अपनी शानदार फॉर्म जारी रखेंगे? अगर ऑस्ट्रेलिया दुनिया की नम्बर एक टेस्ट टीम भारत के सामने टेस्ट सीरिज में बेहतर खेलती है। तो इसमें वार्नर और स्मिथ का प्रदर्शन सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण साबित होगा। वार्नर ने इस साल वनडे और टेस्ट में शानदार खेल दिखाया था। 11 टेस्ट मैचों में उनके नाम 748 रन दर्ज हैं। बाएं हाथ का ये बल्लेबाज़ लगातार बेहतरीन खेल रहा है लेकिन उनका रिकॉर्ड विदेशों में उतना अच्छा नहीं है। दो साल हो गये उन्होंने विदेश में टेस्ट मैचों में शतक नहीं बनाये हैं। पिछली बार भारत के सामने ही वह 195 रन ही बना पाए थे। वहीं दूसरी तरफ स्टीव स्मिथ का रिकॉर्ड एशिया महाद्वीप में वार्नर से बेहतर है। 7 मैचों में उन्होंने 41 से जयादा के औसत से 582 रन बनाये हैं। 40 का औसत बताता है कि वह स्पिनरों के सामने संघर्ष करते रहे हैं। खासकर रंगना हेराथ ने उन्हें पिछले साल टेस्ट सीरिज में 5 बार आउट किया था। जहाँ ऑस्ट्रेलिया 3-0 से हारी थी। यद्यपि भले ही वार्नर और स्मिथ ने इधर खूब रन बनाये हैं। लेकिन ये भी सच है कि उन्हें कोहली एंड कंपनी से भिड़ना आसान नहीं होगा।