एशेज़ इतिहास के 5 ऐसे शानदार प्रदर्शन जिन्हें नहीं मिली प्रतिष्ठा

MOEEN ALI

एशेज की लड़ाई हर बार रोचक और रोमांचक होती है। सालों से इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच की यह कड़ी प्रतिद्वंदिता उनके खिलाड़ियों को भी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करती रहती है। ऐसे कई खिलाड़ी रहे हैं जिन्होंने दबाव के बीच अपने खेल के स्तर को ऊंचा उठाया है। लेकिन कुछ ऐसे भी खिलाड़ी होते हैं, जो चुपचाप अपना काम करते हैं पर उनके प्रदर्शन को वह प्रतिष्ठा नहीं मिल पाती। ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि उनका प्रदर्शन कई बड़े नामों के बीच दब जाता है। तो आज चर्चा एशेज के इतिहास में किए गए ऐसे ही 5 प्रदर्शनों पर, जिन पर किसी का ध्यान नहीं गया और जिन्हें कमतर आंका गया। मोइन अली (पहला टेस्ट, 2015) - 77 & 15, 2/71 & 3/59 2013-14 का एशेज इंग्लैंड के लिए एक दुःस्वप्न की तरह था। मेजबान इंग्लैंड उन यादों को जितनी जल्दी हो सके मिटाना चाहता था। लेकिन उन्हें पहले टेस्ट में ही खराब शुरूआत मिली, जब खेल के पहले घंटे के अंत तक उनका स्कोर 43/3 था। हालांकि इसके बाद जो रूट के 134 और स्टोक्स की 52 रन की मदद से इंग्लैंड ने अपने पारी को संभाला। इन दोनों बल्लेबाजों के आउट होने के बाद इंग्लैंड 293/6 की अजीब स्थिति में फंस गया और ऐसा लग रहा था कि मेजबान टीम 350 से कम पर ही आउट हो जाएगी। लेकिन 8वें नंबर पर आए मोइन अली ने ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजी आक्रमण का जमकर सामना किया। बाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने 88 गेंदों में 11 चौके और एक छक्के की मदद से 77 रन बनाए और इंग्लैंड को 293/6 से 430 के विशाल स्कोर तक पहुंचा दिया। अली यहां ही नहीं रूके, गेंदबाजी में उन्होंने पिच पर जमे स्टीव स्मिथ (33) और कप्तान क्लार्क (38) को आउट कर ऑस्ट्रेलिया को 308 रन पर रोकने में मदद की। दूसरी पारी में, अली ने बल्ले से ज्यादा योगदान नहीं दिया लेकिन गेंदबाजी में उन्होंने 3 विकेट चटकाएं। उन्होंने पिच के टूटने का जमकर फायदा उठाया और ऑस्ट्रेलिया को 242 रन पर ढेर करने में अहम भूमिका अदा की। इस तरह इंग्लैंड को सीरीज में 1-0 की बढ़त हासिल हुई। हालांकि मैन ऑफ द मैच जो रूट के दोनों पारियों में शानदार बल्लेबाजी के कारण अली के प्रदर्शन पर किसी का ध्यान नहीं गया। इयान बॉथम (पहला टेस्ट, 1985) - 3/86 और 4/107, 60 और 12 Related image 1975 के बाद 1982-83 में पहली बार एशेज हारने के बाद इंग्लैंड एशेज पर फिर से कब्ज़ा करना चाहता था। ऑस्ट्रेलिया ने लीड्स में टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। मेजबान इंग्लैंड ने पहले दिन कुछ ख़राब गेंदबाजी की, जिसके कारण मेहमानों ने टेस्ट मैच पर अपना नियंत्रण करना शुरू कर दिया। वे एक समय 200/2 रन पर पहुंच गए थे, लेकिन इसके बाद इंग्लैंड के गेंदबाजों के सामूहिक प्रयास से ऑस्ट्रेलिया केवल 331 रन ही बना सका। इयान बॉथम ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और 3 विकेट लिए। इंग्लैंड की पारी की भी शुरूआत कुछ खास नहीं रही लेकिन मार्क रॉबिन्सन के 175 रन की पारी ने इंग्लैंड को स्थिरता प्रदान की। इसके बाद बॉथम के तेज 51 गेंदों पर 60 रन की बदौलत इंग्लैंड ने 533 रन का एक बड़ा स्कोर खड़ा किया। दूसरी पारी में डरहम के इस ऑलराउंडर ने फिर से 4 विकेट लिए और ऑस्ट्रेलिया की टीम 324 रन पर ही सिमट गई। इसके बाद इंग्लैंड ने 123 रन के लक्ष्य को बहुत आसानी से प्राप्त कर लिया और 1-0 की बढ़त हासिल की। रॉबिन्सन को उनके 175 रन के लिए प्लेयर ऑफ द मैच से सम्मानित किया गया जबकि बॉथम के हरफनमौला प्रदर्शन को सुर्खियों में जगह नहीं मिली। शेन वॉर्न (तीसरा टेस्ट, 1997) - 6/48 और 3/63, 53 (दूसरा पारी) Image result for Shane Warne (1997 Ashes) 1997 के एशेज के तीसरे टेस्ट में पहुंचने से पहले ऑस्ट्रेलिया सीरीज में 0-1 से पिछड़ रहा था और परिणामस्वरूप उस परिस्थिति में था जो सामान्य रूप से एशेज सीरीज के दौरान नहीं होता है। मैनचेस्टर की हरी पिच पर ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। स्टीव वॉ के 108 रन की पारी की बदौलत विपरीत परिस्थतियों में भी ऑस्ट्रेलिया 235 रन बनाने में कामयाब रही। इस प्रकार इंग्लैंड को पहली पारी में एक शानदार बढ़त का अवसर दिखाई दे रहा था। उनकी शुरुआत भी अच्छी रही और एक समय उनका स्कोर 74/1 था। लेकिन शेन वॉर्न ने इंग्लैंड की बल्लेबाजी लाइन-अप को 6/48 के आंकड़े के साथ तहस-नहस कर दिया। मेजबान टीम सिर्फ 162 रन बनाकर सिमट गई और इस तरह ऑस्ट्रेलिया को 73 रनों की बढ़त हासिल हुई। वॉर्न ने दूसरी पारी में बल्ले से भी योगदान दिया और महत्वपूर्ण 53 रन बनाए। इससे इंग्लैंड को 468 रन का लक्ष्य मिला, जो वह हासिल नहीं कर पाई। दूसरी पारी में भी वॉर्न ने 3 विकेट लिए जिससे इंग्लैंड की टीम 200 रन पर आलऑउट हो गई। इससे सीरीज 1-1 की बराबरी पर आ गई। हालांकि दोनों पारियों में शतक जमाने वाले स्टीव वॉ को मैन ऑफ द मैच का पुरस्कार मिला। जबकि वार्न के ऑलराउंड प्रदर्शन को भूला दिया गया। ब्रैड हैडिन (पहला टेस्ट, 2013) - 94 और 53 Image result for Brad Haddin (1st Test – 2013/14 ashes) ऑस्ट्रेलिया ने लगभग 7 वर्षों से एशेज नहीं जीता था। वे लगातार तीन सीरीज हार चुके थे। 2013/14 में भी उनकी शुरूआत अच्छी नहीं रही और वे पहले टेस्ट के पहले दिन 132/6 के स्कोर पर थे। उन्हें बल्लेबाजी के लिए अच्छी दिख रही पिच पर प्रतिस्पर्धी स्कोर खड़ा करने की जरूरत थी। ब्रैड हैडिन ने इसे पूरा करने का जिम्मा अपने सिर लिया। हैडिन ने 94 रन की आक्रमक पारी खेली और अपने टीम के स्कोर को 295 रन तक ले गए। इसके बाद जॉनसन और हैरिस की जोड़ी ने सिर्फ 136 रन पर इंग्लैंड को ऑलआउट कर दिया। दूसरी पारी में भी हैडिन ने 53 रन बनाए, जिससे ऑस्ट्रेलिया की कुल बढ़त 561 रन की हो गई और कंगारूओं ने यह मैच आसानी से जीत लिया। इस मैच में जॉनसन ने 9 विकेट लिए और उन्हें प्लेयर ऑफ द मैच का पुरस्कार भी मिला। वहीं हैडिन की संकटमोचक पारी अखबार की सुर्खियों में दब के रह गई। मोंटी पानेसर और जेम्स एंडरसन (पहला टेस्ट, 2009) Image result for Monty Panesar and James Anderson (1st Test - 2009 ashes) ऑस्ट्रेलिया ने 2009 एशेज की शुरूआत प्रभावशाली अंदाज में की। इंग्लैंड के 435 रन के जवाब में उन्होंने अपनी पहली पारी में 674 रन का एक विशाल स्कोर खड़ा किया और 239 रन की बढ़त हासिल की। दूसरी पारी में भी ऑस्ट्रेलिया का यह वर्चस्व कायम रहा जब उन्होंने पांचवें और अंतिम दिन इंग्लैंड के स्कोर को 70/5 कर दिया। अभी दिन के लगभग 80 ओवर शेष थे और इंग्लैंड के बल्लेबाजों को मैच ड्रा कराने के लिए दृढ़ संकल्प की जरूरत थी। पॉल कॉलिंगवुड ने लगभग 6 घंटे तक बल्लेबाजी करते हुए 74 रन की पारी खेली। लेकिन जब करीब 12 ओवर शेष था तभी कॉलिंगवुड चलते बने और इंग्लैंड की ड्रॉ की संभावना लगभग खत्म हो गई। लेकिन इसके बाद नंबर 10 एंडरसन और नंबर 11 मोंटी पनेसर ने गजब की दृढ़ता दिखाई और लगातार 12 ओवर खेल कर इंग्लैंड के लिए मैच ड्रा करा दिया। इस सीरीज में इंग्लैंड ने 2-1 से जीत हासिल की और एशेज को फिर से हासिल कर लिया। मूल लेखक - साहिल जैन अनुवादक एवं संपादक - सागर

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