1997 के एशेज के तीसरे टेस्ट में पहुंचने से पहले ऑस्ट्रेलिया सीरीज में 0-1 से पिछड़ रहा था और परिणामस्वरूप उस परिस्थिति में था जो सामान्य रूप से एशेज सीरीज के दौरान नहीं होता है। मैनचेस्टर की हरी पिच पर ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। स्टीव वॉ के 108 रन की पारी की बदौलत विपरीत परिस्थतियों में भी ऑस्ट्रेलिया 235 रन बनाने में कामयाब रही। इस प्रकार इंग्लैंड को पहली पारी में एक शानदार बढ़त का अवसर दिखाई दे रहा था। उनकी शुरुआत भी अच्छी रही और एक समय उनका स्कोर 74/1 था। लेकिन शेन वॉर्न ने इंग्लैंड की बल्लेबाजी लाइन-अप को 6/48 के आंकड़े के साथ तहस-नहस कर दिया। मेजबान टीम सिर्फ 162 रन बनाकर सिमट गई और इस तरह ऑस्ट्रेलिया को 73 रनों की बढ़त हासिल हुई। वॉर्न ने दूसरी पारी में बल्ले से भी योगदान दिया और महत्वपूर्ण 53 रन बनाए। इससे इंग्लैंड को 468 रन का लक्ष्य मिला, जो वह हासिल नहीं कर पाई। दूसरी पारी में भी वॉर्न ने 3 विकेट लिए जिससे इंग्लैंड की टीम 200 रन पर आलऑउट हो गई। इससे सीरीज 1-1 की बराबरी पर आ गई। हालांकि दोनों पारियों में शतक जमाने वाले स्टीव वॉ को मैन ऑफ द मैच का पुरस्कार मिला। जबकि वार्न के ऑलराउंड प्रदर्शन को भूला दिया गया।