टेस्ट मैचों में मुरली विजय ने इस साल भारतीय टीम के लिए अच्छी बल्लेबाजी की है। हालांकि दूसरे छोर पर उनके साथी सलामी बल्लेबाज मैच दर मैच बदलते रहे। लगभग हर मैच में नया जोड़ीदार मिलने के बावजूद मुरली विजय का सभी खिलाड़ियों के साथ तालमेल काफी अच्छा रहा। इस चीज का मुरली विजय की बल्लेबाजी पर कोई असर नहीं पड़ा और हर मैच में उन्होंने अपना स्वभाविक खेल ही खेला। चोट के बाद जब उन्होंने वापसी की तो अपनी बल्लेबाजी से सबको प्रभावित किया। वेस्टइंडीज दौरे पर उनकी अंगुलियों में चोट लग गया, जिसकी वजह से आगे के कुछ मैचों में वो टीम से बाहर हो गए। लेकिन जब वो तरोताजा होकर लौटे तो उसके बाद से उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया। दूसरे सलामी बल्लेबाजों के प्रदर्शन में उतार-चढ़ाव आता रहा लेकिन विजय ने टीम के लिए लगातार अच्छा प्रदर्शन किया। उनके आंकड़े इस बात की गवाही भी देते हैं। इस साल 14 पारियों में उन्होंने 4 बार 50 रन का आंकड़ा छुआ, इसके अलावा 2 बड़े शतक भी लगाए।