उन बच्चों को क्रिकेट के खेल से रू-ब-रू कराने की ज़रूरत कतई नहीं पड़ती जो अपने पिता को ही बचपन से अपना आर्दश बना लेते हैं। उनके के लिए पिता ही उनकी ज़िंदगी के पहले कोच साबित होते हैं जो अपना तजुर्बा और क्रिकेट का ज्ञान दोनों उनसे साझा करते हैं। क्रिकेट इतिहास में पिता और बेटे ने पहले भी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपने देश के लिए खेला है। इसकी कई मिसालें मिलती हैं जैसे क्रिस ब्रॉड के बेटे स्टुअर्ट ब्रॉड, पीटर पोलॉक के बेटे शॉन पोलॉक, ज्यॉफ मॉर्श के बेटे शॉन मार्श और मिचेल मार्श। भारत में भी ऐसे उदाहरण मौजूद हैं जैसे लाला अमरनाथ के बेटे सुरिंदर और मोहिंदर अमरनाथ, योगराज सिंह के बेटे युवराज सिंह, सुनील गावस्कर के बेटे रोहन गावस्कर, रॉजर बिन्नी के बेटे स्टुअर्ट बिन्नी। यहां हम भविष्य के उन 5 क्रिकेटर के बारे में बता रहे हैं जो अपने पिता के नक्श-ए-कदम पर चलते हुए क्रिकेट के की दुनिया में नाम कमा सकते हैं।
#5 जैक लेहमैन
जैक लेहमैन ऑस्ट्रेलिया के पूर्व क्रिकेटर और कंगारू टीम के मौजूदा कोच डैरेन लेहमैन के बेटे हैं। जैक ने घरेलू स्तर पर काफ़ी बढियां खेल दिखाया है। जैक की उम्र फ़िलहाल 24 साल की है वो अपने पिता की तरह मध्य क्रम में बल्लेबाज़ी करते हैं। घरेलू टीम साउथ ऑस्ट्रेलिया की तरफ़ से उन्होंने 32 प्रथम श्रेणी मैच खेले हैं जिनमें उनका औसत 42 के क़रीब है। जैक ऑस्ट्रेलिया के ए टीम के रेग्युलर सदस्य हैं और उन्होंने बिग बैश लीग भी खेला है। ऐसी उम्मीद थी कि वो मौजूदा एशेज़ सीरीज़ के लिए ऑस्ट्रेलिया की राष्ट्रीय टीम में चुने जाएंगे, लेकिन ऑस्ट्रेलिया के चयनकर्ताओं ने मध्य क्रम में बल्लेबाज़ी के ज़्यादा अनुभव वाले बल्लेबाज़ो को कंगारू टीम में जगह दी। हांलाकि वो दिन दूर नहीं है जब हम जैक को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलते देख पाएंगे।
#4 थानदो नटिनी
थानदो नटिनी दक्षिण अफ़्रीका के पूर्व गेंदबाज़ मखाया नटिनी के बेटे हैं। वो अपने पिता की ही तरह तेज़ गेंदबाज़ी करते हैं। हाल में ही उन्हें साउथ अफ़्रीका के अंडर-19 टीम में शामिल किया गया है जो अगले साल न्यूज़ीलैंड में अंडर-19 वर्ल्ड कप खेलेगी। थानदो की उम्र फ़िलहाल 17 साल है, उन्होंने 8 यूथ वनडे मैच खेले हैं जिसमें उन्होंने 10 विकेट हासिल किए हैं। बेहद मुमकिन है कि थानदो अपने पिता की कामयाबी को दोहरा पाएंगे। मखाया प्रोटियाज़ टीम के तीसरे सबसे कामयाब टेस्ट गेंदबाज़ हैं जिन्होंने अपनी टीम के लिए 390 विकेट हासिल किए हैं।
#3 अर्जुन तेंदुलकर
अर्जुन विश्व के महानतम क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के बेटे हैं। धीरे-धीरे वो ख़बरों में भी आ रहे हैं क्योंकि उन्होंने यूथ लेवल क्रिकेट में अपने प्रदर्शन से सबका दिल जीता है। अर्जुन अपने पिता की तरह हरफ़नमौला खिलाड़ी हैं जो बाएं हाथ से पेस गेंदबाज़ी करते हैं, साथ ही साथ बल्लेबाज़ी में भी कमाल दिखाते हैं। वो मुंबई अंडर-19 टीम के सदस्य हैं। कई मौकों पर वो टीम इंडिया के लिए नेट पर गेंदबाज़ी करते हुए देखे गए हैं। इस साल की शुरुआत में अर्जुन ने नेट पर इंग्लैंड टीम के लिए भी गेंदबाज़ी करते हुए देखे गए हैं। उनकी एक यॉर्कर गेंद से इंग्लैड के जॉनी बेयरस्टो को चोट भी लगी थी, वो भी ऐसे मौक़े पर जब बेयरस्टो साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ टेस्ट सीरीज़ खेलने वाले थे। चूंकि अर्ज़ुन में तेज़ गेंदबाज़ी करने की क़ाबिलियत है तो ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि वो जल्द ही चयनकर्ताओं की नज़र में आएंगे और बाएं हाथ के पेस गेंदबाज़ के तौर पर टीम इंडिया में चुने जाएंगे।
#2 ऑस्टिन वॉ
स्टीव वॉ को क्रिकेट की दुनिया में सबसे चहेता और सबसे पसंदीदा कप्तान की तौर पर देखा जाता है। जो सम्मान स्टीव को हासिल है उसे पाना इतना आसान नहीं होता। स्टीव के पास तेज़ दिमाग़, नेतृत्व करने की क्षमता और शानदार बल्लेबाज़ी करने का हुनर मौजूद था। अपनी इसी क़ाबिलियत की बदौलत स्टीव वॉ ने बतौर कप्तान कंगारू टीम को टेस्ट और वनडे में सबसे उंचे स्थान पर पहुचाया था। स्टीव के बेटे ऑस्टिन वॉ जनवरी 2018 में न्यूज़ीलैंड में होने वाले अंडर-19 वर्ल्ड कप के लिए ऑस्ट्रेलिया की टीम में शामिल हो गए हैं। ऑस्टिन अपने पिता की तरह ही हरफ़नमौला क्रिकेटर हैं। वो मध्य क्रम में बल्लेबाज़ी करते हैं और साथ ही साथ मिडियम पेस गेंदबाज़ी में भी कमाल दिखाते हैं। दिसंबर 2017 में घरेलू मैच में ऑस्टिन ने 19 रन देकर वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया की टीम के 5 बल्लेबाज़ों को पवेलियन की राह दिखाई थी। गेंदबाज़ी के अलावा उनमें बल्लेबाज़ी का हुनर कूट कूट कर भरा है। उन्होंने अपनी अंडर-17 और अंडर-19 टीम के लिए काफ़ी रन बनाए हैं।
#1 टैगनारायण चंद्रपॉल
टैगनारायण चंद्रपॉल वेस्टइंडीज़ के महान बल्लेबाज़ शिवनारायण चंद्रपॉल के बेटे हैं। वो बाएं हाथ से ओपनिंग करते हैं, वह साल 2014 के अंडर-19 वर्ल्ड कप में वेस्टइंडीज़ टीम के सदस्य थे। 21 साल के इस बल्लेबाज़ ने घरेलू क्रिकेट में गयाना टीम के लिए 16 प्रथम श्रेणी मैच खेले हैं। प्रथम श्रेणी में उनक बल्लेबाज़ी औसत महज़ 25.20 का है, फिर भी उन्हें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में खेलने का मौका मिल सकता है, बशर्ते वो और ज़्यादा मेहनत करें। शिवनारायण भी अपने बेटे पर बहुत मेहनत कर रहे हैं। शिवनाराण वेस्टइंडीज़ के दूसरे सबसे ज़्यादा टेस्ट रन बनाने वाले बल्लेबाज़ हैं। टैगनारायण जिस तरह से घरेलू क्रिकेट में रन बना रहे हैं उसको देखकर यही लगता है कि वो जल्द ही वेस्टइंडीज़ टीम का हिस्सा होंगे. लेखक- मीत संपत अनुवादक – शारिक़ुल होदा