टेस्ट सीरीज़ में न्यूज़ीलैंड को हराकर और पाकिस्तान को रैंकिंग में पछाड़ कर टीम इंडिया वर्ल्ड की नंबर 1 टीम है। इस बार भारतीय फैंस को ये उम्मीद होगी की ये रैंकिंग लंबे समय तक बरकरार रहेगी और पिछली दो बार की तरह नहीं होगा जब टीम इंडिया बेहद कम समय तक नंबर 1 स्थान काबिज़ रख सकी, सबसे पहले जब जनवरी में इंग्लैंड ने साउथ अफ्रीका को हराया और फिर दूसरी बार जब पाकिस्तान ने इंग्लैंड के साथ 2-2 से सीरीज़ बराबर कर रैंकिंग में भारत को पछाड़ा था और फिर जब भारतीय टीम वेस्टइंडीज़ में आखिरी टेस्ट जीतने में सफल नहीं हुई ।
विराट कोहली की कप्तानी में नंबर 1 बनने से पहले, साल 2009 में धोनी की कप्तानी में भी टीम नंबर 1 बनी थी। तब दिसंबर 2009 से लेकर अगस्त 2011 तक पूरे 21 महीनों तक टीम नंबर वन पर रही थी । हालांकि कोहली की कप्तानी में तो नंबर वन टीम की अभी शुरुआत ही है।
आईए धोनी की कप्तानी में और विराट की कप्तानी में नंबर वन बनी टीम में 5 बड़े अंतर पर नजर डालते हैं:
#1 कोहली की कप्तानी की शुरुआत कठिन स्थिति में हुई
जब साल 2008 में धोनी ने कुंबले से कप्तानी की जिम्मेदारी ली तब वो घरेलू सीरीज़ का आखिरी टेस्ट था जिसमें भारतीय टीम श्रृंखला में 1-0 से आगे थी ।
वैसे तो टेस्ट टीम की कप्तानी करना कोई आसान काम नहीं हैं और ज्यादातर कप्तान बताएंगे की अपनी घरेलू सरजमीन पर होग क्राउड के सपोर्ट के सामने कप्तानी करना , विदेशी धरती पर कप्तानी करने से काफी आसान हैं और वो भी तब जब आप सीरीज़ में 1-0 से आगे हों और सीरीज़ में हार संभव ही न हो।
इसके बिलकुल उलट विराट कोहली को कप्तानी की जिम्मेदारी बेहद मुश्किल परिस्थिति में मिली। पहली बार कोहली ने दिसंबर 2014 में एडिलेन में टीम की कमान संभली जब धोनी पहले दो टेस्ट के लिए उपस्थित नहीं थे। कप्तानी का डेब्यू वो भी डाउन अंडर जहां दर्शक विरुद्ध हों और सीरीज़ का पहला टेस्ट मैच हो काफी कठिन काम है।
कोहली ने कप्तानी का आगाज़ टेस्ट की दोनों पारी में शतक जड़ कर किया हालांकि वो टीम की हार नहीं टाल सके । इसके बाद बतौर फुट टाइम कप्तानी का जिम्मा कोहली ने पहली बार सीरीज़ के चौथे टेस्ट में संभाला जहां उन्होंने एक बार फिर शतक जमाया और अपनी कप्तानी की पहली 3 पारियों में शतक जमाने वाले वो पहले खिलाड़ी बन गए।
#2 धोनी के पास स्थापित टीम थी
किस्मत से धोनी के पास जबरदस्त टीम थी और जब उन्होंने कप्तानी का डेब्यू किया तो टीम में विख्यात बल्लेबाज़ी शामिल थी जिसमें सहवाग , विजय , द्रविड़ , लक्षमण और गांगुली जैसे खिलाड़ी शामिल थे, निश्चित ही ज्यादातर कप्तानों के लिए ये सपना सच होने से भी बड़ी उपलब्धी होगी । धोनी किस्मत वाले थे कि उन्हें पहली बार भारतीय टीम की कप्तानी का जिम्मा टीम में इतने बलशाली बल्लेबाज़ों के रहते मिला।
गेंदबाज़ी में भी टीम उज्जवल थी क्योंकि टीम में जहीर खान और हरभजन जैसे अनुभवी गेंदबाज़ शामिल थे और उनको सपोर्ट करने के लिए अमित मिश्रा और ईशांत शर्मा भी थे।
इस तरह के अनुभवी खिलाड़ी से भरी टीम की कमान मिलने से जाहिर तौर पर कप्तानी करना और प्लान को अमलीजामा पहनाना और नंबर वन की सीढ़ी चढ़ने का रास्ता तैयार करना भी आसान हो जाता है और वो भी तब जब आपको सुधाव देने के लिए टीम में कई दिग्गज शामिल हों तो नए और युवा कप्तान के लिए रास्ता काफी आसान हो जाता है।
इसके बिलकुल उलट विराट ने कप्तानी की शुरुआत की और उनके कप्तानी के डेब्यू पर नजर डालें तो विराट जब धोनी की उनुपस्थिति में पहली बार फुल टाइम कप्तान बने तो टीम में रहाणे, रोहित शर्मा, वरुण एरॉन, शमी, साहा, लोकेश राहुल, उमेश यादव और कर्ण शर्मा जैसे युवा खिलाड़ी थे जिन्हें टेस्ट क्रिकेट का बेहद कम अनुभव था।
अपने कप्तानी करियर का आगाज़ करना वो भी तब जब टीम के ज्यादातर खिलाड़ियों के पास 10 से 15 टेस्ट का ही अनुभव हो काफी मुश्किल है बजाय की जब टीम के ज्यादातर खिलाड़ियों को 50 से ज्यादा टेस्ट का अनुभव हो।
#3 कोहली 5 गेंदबाज़ खिलाने के पक्ष में
जब से कोहली ने टीम की कमान संभाली है उसी दिन से उन्होंने एक बात साफ कर दी कि वो टेस्ट क्रिकेट में आक्रामक रणनीति के साथ मैदान में उतरेंगे और उस खास प्लान में से एक टीम के अंतिम 11 में 5 गेंदबाज़ों के साथ मैदान में उतरना भी शामिल है।
जबिक धोनी हमेशा 7 बल्लेबाज़ों और 4 गेंदबाज़ों के प्लान के साथ उतरते रहे थे, लेकिन विराट 5 स्पेश्लिस्ट गेंदबाज़ों के साथ उतरना ही पसंद करते हैं जब तक कि पिच बल्लेबाज़ी के लिए कोई खास मुश्किल न हो और टीम में छठे बल्लेबाज़ की जरुरत न हो।
आंकड़े भी कोहली के हक में हैं। कोहली ने भारत के लिए 17 टेस्ट मैच में टीम की कमान संभाली है और उनमे से 9 बार कोहली ने टीम में 5 गेंदबाज़ों की जगह दी यानी 50% से ज्यादा समय विराट 5 गेंदबाज़ों के साथ उतरे , जबकि धोनी के 60 मैचों के कप्तानी के दौरान उन्होंने बेहद कम मौकों पर ऐसा किया ।
उन 9 मुकाबलों में जिनमें कोहली ने 5 गेंदबाज़ों को टीम में मौका दिया भारत को 5 बार जीत मिली तो 3 मैच ड्रॉ रहे, जबकि एक बार हार का सामना करना पड़ा , जो ये साबित करता है कि 5 गेंदबाज़ खिलाने से नतीजा निकालने में अहम भूमिका निभाते हैं और इससे विरोधी टीम को 2 बार आउट करने के चांस बढ़ जाते हैं।
ये एक ऐसा दौर है जहां कोहली के स्टाइल की टीम धोनी की टीम से बिलकुल अगल है।
#4 बतौर बल्लेबाज़ कोहली के आंकड़े धोनी से बेहतर
कहा जाता है कि कई खिलाड़ियों कप्तानी का ज्यादा भार महसूस करने लगते हैं और जिससे उनके व्यक्तिगत प्रदर्शन पर प्रभाव पड़ता है और उनके आंकड़े गिरने लगते हैं।
लेकिन ऐसा कोहली और धोनी दोनों के साथ नहीं हुआ और दोनों खिलाड़ियों के कप्तान रहते और न रहते हुए प्रदर्शन पर बल्लेबाज़ी पर प्रभाव नहीं पड़ा। लेकिन जब दोनों की तुलना की जाए तो देखने में आया है कि कोहली को कप्तानी मिलने से पहले का बल्लेबाज़ी प्रदर्शन और कप्तानी के बाद का प्रदर्शन धोनी से काफी बेहतर है।
धोनी के बल्लेबाज़ी आंकड़े ( बतौर कप्तान)
मैच 60
पारियां 96
रन 3454
औसत 40.63
शतक 5
अर्धशतक 24
धोनी के बल्लेबाज़ी आंकड़े ( नॉन-कैप्टन)
मैच 30
पारियां 48
रन 1422
औसत 33.07
शतक 1
अर्धशतक 9
ओवरऑल :
मैच 90
पारियां 144
रन 4876
औसत 38.09
शतक 6
अर्धशतक 33
कैप्टन और नॉन कैप्टन में बल्लेबाज़ी औसत में अंतर : +7.56
कैप्टन बनने के बाद और ओवरऑल औसत में अंतर : +2.54
कोहली के बल्लेबाज़ी आंकड़े ( बतौर कप्तान)
मैच 17
पारियां 27
रन 1456
औसत 53.92
शतक 6
अर्धशतक 2
कोहली के बल्लेबाज़ी आंकड़े ( नॉन-कैप्टन)
मैच 31
पारियां 55
रन 2098
औसत 41.13
शतक 7
अर्धशतक 10
ओवरऑल :
मैच 48
पारियां 82
रन 3554
औसत 45.56
शतक 13
अर्धशतक 12
कैप्टन और नॉन कैप्टन में बल्लेबाज़ी औसत में अंतर : +12.79
कैप्टन बनने के बाद और ओवरऑल औसत में अंतर : +8.36
आंकड़ो से साफ देखा जा सकता है कि कप्तान बनने के बाद टेस्ट क्रिकेट में कोहली के खेल का स्तर काफी ऊपर गया है और वो बल्लेबाज़ी में दूसरों के लिए उद्धारण पेश कर रहे हैं।
हालाहि में कोहली दोहरा शतक जड़ने वाले पहले भारतीय कप्तान बने हैं और कप्तान बनने के बाद पहली तीन पारियों में शतक जड़ने वाले कोहली विश्व के पहले कप्तान हैं।
धोनी के आंकड़े भी टेस्ट टीम का कप्तान बनने के बाद सुधरे हैं लेकिन कोहली के कप्तान बनने से पहले और कप्तान बनने के बाद के आकड़ों में हैरान कर देने वाला अंतर है।
#5 धोनी की कप्तानी में नबर 1 रहने का रिकॉर्ड खास नहीं था
धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया दिसंबर 2009 में नंबर 1 बनी और अगस्त 2011 में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज़ खत्म होने तक नंबर 1 पर बरकरार रही।
चलिए दो भागों में टीम के रिकॉर्ड पर नजर डालते हैं - धोनी के कप्तान बनने से नंबर 1 टीम बनने तक और फिर नंबर 1 बनने से रैंकिंग खोने तक ।
कप्तान बनने से नंबर 1 टीम तक का सफर
मैच 8
जीत 5
हार 0
ड्रॉ 3
जीत /हार अनुपात ---
नंबर वन टीम बनने के बाद :
मैच 21
जीत 8
हार 7
ड्रॉ 6
जीत /हार अनुपात 1.142
जैसे कि हम देख सकते हैं जब से टीम इंडिया नंबर वन बनी उसके बाद से धोनी की कप्तानी में टीम ने जितने मैच जीते उतने ही हारे और जीत/हार का अनुपात सिर्फ 1.142 है।
कोहली की कप्तानी में जनवरी में टीम नंबर वन बनने के बाद ज्यादा दिन तक वहां बरकरार तो नहीं रही लेकिन जिस प्वाइंट पर गौर करने की जरूरत है वो है की तब से लेकर भारतीय टीम अभी तक एक भी टेस्ट नहीं हारी है।
भारतीय टीम जनवरी में नंबर वन बनने के बाद से अब तक 7 टेस्ट खेल चुकी है जिसमें 5 बार भारत को जीत मिली है तो 2 मुकाबले ड्रॉ रहे हैं।
असल में पिछले साल अगस्त में श्रीलंका से हारने के बाद जहां चंदीमल ने गज़ब का प्रदर्शन किया था और हेराथ ने जादुई स्पेल डालकर भारतीय टीम का सफाया किया था , भारतीय टीम अभी तक कोई भी मैच नहीं हारी है।
कोहली के आंकड़े :
कप्तान बनने से नंबर 1 टीम तक का सफर
मैच 10
जीत 5
हार 2
ड्रॉ 3
जीत /हार अनुपात 2.50
नंबर 1 टीम बनने से आज तक का सफर
मैच 7
जीत 5
हार 0
ड्रॉ 2
जीत /हार अनुपात ---
ओवरऑल :
मैच 17
जीत 10
हार 2
ड्रॉ 5
जीत /हार अनुपात 5.00