13288 टेस्ट रन और 10889 एकदिवसीय रन बनाने और करीब 50 अंतरराष्ट्रीय शतक जड़ने के बावजूद, राहुल द्रविड़ हमेशा भारत के छुपे हुए नायक कहलाते हैं। वह सिर्फ बार-बार मैदान पर उतरते, और फिर बिना किसी शोर के चुपचाप अपना काम कर चले जाते थे, फिर भी उनका एक बड़ा प्रभाव पड़ता था। वह हमेशा सुर्खियों से दूर रहना चाहते थे। द्रविड़ हमेशा एक टेस्ट खिलाड़ी के रूप जाने जाते रहे। लेकिन वह बार-बार एकदिवसीय क्रिकेट में भी स्कोर बनाते रहे और सफलता के तरीकों को ढूढ़ने में सफल रहे। यही नहीं, भारत के इस नंबर-3 खिलाड़ी के नाम वनडे क्रिकेट में एक भारतीय द्वारा संयुक्त रूप से दूसरा सबसे तेज अर्धशतक भी है। हालांकि, भले ही वह कई शानदार जीत का हिस्सा रहे, लेकिन द्रविड़ के हिस्से में कुछ बड़ी हार भी आयी थी, खासकर जब वह कप्तान थे। आईये एक नज़र डालते हैं एकदिवसीय प्रारूप में उनकी कप्तानी में टीम इंडिया की 5 ऐसी हारों पर जिसकी टीस आज भी भारतीय फ़ैंस के ज़ेहन में है:
#5 श्रीलंका के विरुद्ध - 2005 (इंडियन ऑयल कप फाइनल)
जुलाई-अगस्त 2005 में श्रीलंका, वेस्टइंडीज और भारत एक त्रिकोणीय श्रृंखला में शामिल हुए थे जिसे इंडियन ऑयल कप नाम दिया गया था। भारत ने दो जीत के साथ अच्छी शुरुआत की, लेकिन श्रीलंका के खिलाफ अपने तीसरे मैच में हार गये। हालाँकि ग्रुप मैच में वेस्टइंडीज के खिलाफ 7 रनों से जीत दर्ज करके फाइनल में जगह बना ली। फाइनल में श्रीलंका ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। अपनी पारी में शुरूआती विकेट खोने के बावजूद, मेजबानों ने 281/9 का बहुत अच्छा स्कोर बनाया। महेला जयवर्धने (83), रसेल अर्नोल्ड (64) और सनथ जयसूर्या (67) ने अर्धशतकीय पारियाँ खेलीं। 282 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत की ओर से वीरेन्दर सहवाग ने सिर्फ 22 गेंद में 48 रन बनाये और भारत ने 7वें ओवर में 62 रन बना लिये। इसके बाद सहवाग के आउट होने के बावजूद, भारत अच्छी तरह से लक्ष्य की ओर बढ़ता दिखा क्योंकि वे 35 ओवर में 185/2 पर पहुंच गये थे। द्रविड़ और युवराज के मैदान पर अच्छी बल्लेबाजी के जारी रहते और कुछ और बल्लेबाजों के आगे आने के चलते 15 ओवर में 97 रन एक बड़ा काम नहीं था। लेकिन भारत के कई विकेट गिर गए और अंत में वो लक्ष्य से 18 रन पीछे रह गए और श्रीलंका के गेंदबाजों ने अपनी टीम के लिये इंडियन ऑयल कप जीता लिया।
#4 2007, इंग्लैंड के ख़िलाफ़ (नेटवेस्ट सीरीज़ 7 वां वनडे)
वर्ष 2007, भारत के लिए उतार-चढाव भरा वर्ष रहा था और विशेष रूप से राहुल द्रविड़ के लिए। विश्व कप में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद, जहां भारतीय टीम ग्रुप स्टेज में ही बाहर हो गयी थे। लेकिन इसके बाद भारत ने 21 वर्षों के बाद इंग्लैंड में एक टेस्ट श्रृंखला जीती। एकदिवसीय मैचों की श्रृंखला में इंग्लैंड और भारत दोनों ने एक दूसरे को कड़ी टक्कर दी और 7-मैच की श्रृंखला 3-3 पर रुकी थी। आखरी मैच में भारत ने टॉस जीता और लॉर्ड्स में पहले बल्लेबाजी की। भारतीय बल्लेबाजों में से कोई भी अपनी शुरूआत को बड़े स्कोर में बदल नही पाया और भारत महज 187 पर ही ढेर हो गया था, जिसमें महेंद्र सिंह धोनी ने 50 रन बनाये थे। जेम्स एंडरसन, एंड्रयू फ्लिंटॉफ और दिमित्री मस्केरनहास ने मिलकर 8 विकेट लिए । आरपी सिंह ने भारत के लिये कुछ उम्मीदें जगाते हुए पारी के दूसरे ओवर में दोनों सलामी बल्लेबाजों को आउट किया। लेकिन इयान बेल (36), केविन पीटरसन (71 *) और पॉल कॉलिंगवुड (64 *) ने इंग्लैंड को जीत दिला दी और सीरीज 4-3 जीत ली।
# 3 ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ (2006 - चैंपियंस ट्रॉफी)
2003 विश्व कप में बहुत अच्छा प्रदर्शन करने के बाद, भारत के प्रदर्शन में निरंतरता नही रही थी। लेकिन जब 2006 चैंपियंस ट्रॉफी भारत में हुई थी, तो उम्मीदें अधिक थीं। पहले मैच में इंग्लैंड के खिलाफ एक शानदार जीत के बाद, भारत अपने दूसरे मैच में वेस्टइंडीज से हार गया। इसका मतलब था कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उनका लीग चरण का अंतिम मैच एक प्रकार से क्वार्टर फाइनल बन गया। पहले बल्लेबाजी करने के बाद, भारत ने अच्छी शुरुआत की। लेकिन नियमित अंतराल पर विकेटों के पतन का मतलब था कि भारत रनो की गति बढ़ा नही सका। भारत ने 50 ओवरों में 249 बनाये, जिसमें सहवाग (65) और द्रविड़ (52) ने अर्धशतक जड़े। जवाब में, ऑस्ट्रेलिया ने शेन वॉटसन (50), रिकी पॉन्टिंग (58) और डेमियन मार्टिन (73) के अर्धशतकों के दम पर 250 रन का पीछा करते हुए ऑस्ट्रेलियाई टीम को सेमीफाइनल में शामिल में पहुँचाने में मदद की थी और अपना पहला चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब पाया।
# 2 वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ (2006)
भारत के लिये साल 2006 कीअच्छी शुरुआत रही थी और पाकिस्तान के खिलाफ श्रृंखला (4-1) और इंग्लैंड (5-1) से जीतकर शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने अपने कैरेबियाई दौरे का पहला वनडे मैच भी जीत लिया। टॉस जीतकर भारत जो कि कुछ समय से लक्ष्य का अच्छे से पीछा कर रहा था, उसने पहले गेंदबाज़ी का फैसला किया। गेंदबाजों ने अच्छी शुरआत दी क्योंकि उन्होंने विंडीज के बल्लेबाजों को खुलकर रन नही बनाने दिए और मेजबान अपने 50 ओवरों में केवल 198/9 ही बना पाए थे। वह भी रामनरेश सरवान के नाबाद 98 रन बनाने के बाद। इरफान पठान ने 3/45, अजित आगरकर और रमेश पोवार ने दो-दो विकेट लिए। जवाब में भारत शुरू से ही लड़खड़ा गया और 60/4 तक पहुंगच गया। यह स्कोर जल्द ही 134/7 में बदल गया और खेल बराबरी का हो गया। लेकिन युवराज सिंह ने जुझारू बल्लेबाजी की और भारत को करीब लाने के लिए शानदार पारी खेली। यहां तक कि विकेटों के गिरने के बाद भी, उन्होंने समीकरण को अंतिम ओवर में 11 रनों (हाथ में एक विकेट के साथ) तक पहुंचा दिया था। मुनाफ पटेल ने अंतिम ओवर की पहली गेंद पर (जो ब्रावो द्वारा फेकी गयी थी ) एक रन ले लिया। युवराज ने तब दो चौके लगाए और अचानक भारत जीत को ओर जाता दिख रहा था। लेकिन ब्रावो ने 50 वें ओवर की चौथी गेंद पर एक धीमी यॉर्कर फेंकी और युवराज सिंह को आउट कर वेस्टइंडीज को जीत दिला दी। इस दिल टूटने वाली हार के बाद, भारत कभी भी वापसी नहीं कर पाया और वे 4-1 से सीरीज हार गए।
# 1 बांग्लादेश के ख़िलाफ़ - 2007 (विश्व कप)
2007 के विश्व कप में बांग्लादेश के खिलाफ मैच निश्चित रूप से राहुल द्रविड़ के लिए उनके करियर की सबसे खराब हार में से एक थी। भारत इस बड़े आयोजन को जीतने के लिये एक पसंदीदा दावेदार टीम के रूप में उतरी थी। अपने समूह में श्रीलंका, बांग्लादेश और बरमूडा के साथ, भारत को बिना किसी समस्या के अगले दौर में पहुँचने की उम्मीद थी। हालांकि, बांग्लादेश ने टूर्नामेंट के शुरुआती मैच में भारत को दंग कर दिया। पहले बल्लेबाजी करते हुए, भारत सिर्फ 191 के स्कोर तक ही पहुँच सका था। जिसमें सौरव गांगुली का 66 रन (129 गेंद में) शीर्ष स्कोर रहा। युवराज सिंह अन्य महत्वपूर्ण योगदानकर्ता थे (उन्होंने 47 रन बनाए) इन दोनों के अलावा, अन्य बल्लेबाजों में से कोई भी खड़ा नही हो पाया था और 'मेन इन ब्लू' कम स्कोर पर निपट गए। एक मामूली लक्ष्य का पीछा करते हुए बांग्लादेश की शुरुआत अच्छी रही, जहाँ तमीम इकबाल ने 53 गेंद में 51 रन बनाये। हालांकि, हर रन के लिए बांग्लादेश को कड़ी मेहनत करनी पड़ी, लेकिन वे हमेशा आगे बढ़ रहे थे और उन्होंने 49 वें ओवर में लक्ष्य को पाकर विश्व कप के इतिहास का सबसे बड़ा उलटफेर किया। शाकिब अल हसन (53) और मुशफिकर रहीम (56 *) ने शानदार शुरूआत को आगे बढ़ाते हुए अपनी टीम को एक यादगार जीत दिलायी। लेखक: साहिल जैन अनुवादक: राहुल पांडे