टेस्ट क्रिकेट में 500 विकेट हासिल करने वाले गेंदबाज

England v West Indies - 3rd Investec Test: Day Two

टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में अभी तक सिर्फ 6 गेंदबाजों ने 500 या उससे अधिक विकेट लेने का कारनामा किया है। हाल ही में इंग्लैंड के जेम्स एंडरसन भी इस सूची में शामिल हुए, उनसे पहले मुथैया मुरलीधरन, शेन वॉर्न, अनिल कुंबले, ग्लेन मैक्ग्रा और कोर्टनी वॉल्श इस सूची में शामिल थे। टेस्ट मैचों में 500 या उससे अधिक विकेट लेना कितना कठिन है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अभी तक सिर्फ 6 ही गेंदबाज यहाँ तक पहुँच पाये हैं। यहाँ तक कि वसीम अकरम और शॉन पोलक जैसे महान तेज़ गेंदबाज भी इस सूची में शामिल नहीं हो पाए हैं। बल्लेबाजों की तुलना गेंदबाजों के लिए टेस्ट क्रिकेट में करियर को लम्बा खींच पाना काफी मुश्किल काम होता है। इस वजह से इन गेंदबाजों की सराहना की जानी चाहिए। एंडरसन का करियर जहाँ 14 साल लम्बा हो चुका है वहीं मुरली ने (18 साल), वार्न (15 साल), कुंबले (18 साल), मैक्ग्रा (14 साल), और वॉल्श (17 साल) तक खेला था। इन सभी गेंदबाजों ने अपने करियर में काफी चोटों का सामना किया है लेकिन अपने जज्बे की वजह से वो इस मुकाम को हासिल कर पाए। आइये अब आपको इन सभी 6 खिलाड़ियों के बारे में आपको विस्तार से बताते हैं: जेम्स एंडरसन (इंग्लैंड) एंडरसन इस सूची में सबसे नया नाम है। वेस्टइंडीज के खिलाफ लॉर्ड्स में खेले गए तीसरे टेस्ट में उन्होंने यह कामयाबी हासिल की है। इस मुकाम को हासिल करने में एंडरसन को 129 टेस्ट मैच लगे और वह 500 टेस्ट विकेट लेने वाले एकमात्र इंग्लिश गेंदबाज भी हैं। दाएं हाथ के बल्लेबाजों के लिए एंडरसन की आउट-स्विंग होती गेंद क्रिकेट की सुन्दरता को चार चाँद लगा देती है। इसी आउट-स्विंग ने 2014 में भारत के इंग्लैंड दौरे के समय विराट कोहली को खासा परेशान किया था, 2018 में कोहली भारतीय कप्तान के रूप में इंलैंड दौरे पर जाने वाले हैं। अब देखने वाली बात होगी कि इस बार दोनों में बाजी कौन मारता है? मुथैया मुरलीधरन (श्रीलंका) Sri Lanka v England - 1st Test श्रीलंका का यह दिग्गज स्पिन गेंदबाज टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाला गेंदबाज भी है। मुरली ने अपने टेस्ट करियर में 800 शिकार किये हैं और इस रिकॉर्ड को तोड़ना किसी के लिए भी मुश्किल काम लगता है। मुरली के अटपटे गेंदबाजी एक्शन के लिए उनके ऊपर ऑस्ट्रेलिया में दो बार सवाल भी उठे कि वह गेंद फेंकने के दौरान ज्यादा कोहनी मोड़ते हैं, लेकिन अंत में आईसीसी उनके एक्शन को साफ-सुथरा घोषित कर दिया। आईसीसी ने अपने पुराने नियम को बदलते हुए गेंदबाजों को गेंदबाजी के दौरान 15 डिग्री तक कोहनी मोड़ने पर छूट भी दे दी। मुरलीधरन का टेस्ट करियर 133 मैचों तक चला जहाँ उन्होंने कुल 800 विकेट हासिल किये, जिसमें 67 बार पारी में 5 विकेट लेने का विश्व रिकॉर्ड भी शामिल है। शेन वॉर्न (ऑस्ट्रेलिया) Fourth Test - Australia v England: Day One ऑस्ट्रेलिया का यह लेग स्पिनर दुनिया का सबसे बड़ा लेग स्पिन गेंदबाज माना जाता है। वॉर्न ने अपने बूते पर लेग स्पिन के कला को दुनिया भर में मशहूर कराया। वॉर्न अपने गेंदों में फिरकी के लिए जाने जाते हैं, जिसके कारण उन्होंने कई बार आश्चर्यजनक तरीके से विकेट हासिल किया है। “सदी की गेंद” भी वॉर्न ने ही फेंकी थी जब उन्होंने माइक गेटिंग का शिकार किया था। वॉर्न ने एक बार बताया था कि सपने में भी सचिन उनकी गेंदों की धुनाई करते हैं, लेकिन इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि वार्न भी कई बल्लेबाजों के सपने में आते होंगें खास कर एंड्रू स्ट्रॉस के। वॉर्न मैदान के बाहर अपने खराब व्यवहार की वजह से लगातार चर्चा में रहते थे और शायद इसी वजह से उन्हें कभी भी ऑस्ट्रेलिया टीम की कप्तानी नहीं मिली। इस महान लेग स्पिनर ने अपने 145 मैचों के टेस्ट करियर में 708 विकेट हासिल किये और साथ ही उन्होंने 12 अर्थशतक भी बनाए जिसमें उनका उच्चतम स्कोर 99 रन था। अनिल कुंबले (भारत) (FILES) This picture taken on January 17 जम्बो नाम से मशहूर कुंबले लेग स्पिन गेंदबाज होने के बाबजूद वॉर्न से बिल्कुल अलग थे। जहाँ वॉर्न अपनी फिरकी के लिए मशहूर थे वहीं कुंबले की गेंदों में फिरकी तो नहीं होती थी लेकिन उनकी गेंदों में काफी उछाल रहती थी, जिससे बल्लेबाजों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता था। कुंबले अपनी गेंदों की गति में काफी बदलाव लाते थे साथ ही साथ उनकी फ्लिपर पर बल्लेबाज हमेशा फंस जाते थे और विकेट के सामने पाये जाते थे जिससे एलबीडब्लू का शिकार हो जाते थे। पाकिस्तान के खिलाफ 1999 में दिल्ली के फ़िरोज़ शाह कोटला मैदान में खेले गये टेस्ट मैच में कुंबले ने पारी में 10 विकेट हासिल किये थे और ऐसा करने वाले वो दुनिया के सिर्फ दूसरे गेंदबाज बने थे। जम्बो ने संन्यास लेने से पहले 132 टेस्ट मैचों में 619 विकेट हासिल किये। इसके अलावा उन्होंने इंलैंड के खिलाफ एक शतक भी लगाया था। ग्लेन मैक्ग्रा (ऑस्ट्रेलिया) 52614511JF026_England_v_Aus ग्लेन मैक्ग्रा कभी भी तेज गति से गेंद फेंकने वाले गेंदबाज नहीं रहे हैं। उन्होंने हमेशा अपनी सटीक लाइन-लेंथ की वजह से बल्लेबाजों को अपने चंगुल में फंसाया है। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के लिए 1993 में पदार्पण किया लेकिन 1994-95 में श्रीलंका, पाकिस्तान और वेस्टइंडीज के खिलाफ मैक्ग्रा ने अपना जलवा दिखाया और कुल 53 विकेट हासिल किये। अपने करियर के दौरान मैक्ग्रा कई बार मैदान पर बल्लेबाजों से उलझते हुए भी दिखे। वॉर्न के साथ मैक्ग्रा ने अपनी गेंदबाजी जोड़ी बनाई थी जिस वजह से ऑस्ट्रेलिया ने लगातार कई वर्षों तक क्रिकेट के मैदान पर राज किया और मजेदार बात यह भी है कि दोनों गेंदबाजों ने एक ही दिन क्रिकेट को अलविदा कहा। मैक्ग्रा ने अपना अंतिम टेस्ट मैच एशेज में इंग्लैंड के खिलाफ 2006-07 में खेला। संन्यास से पहले उन्होंने 124 टेस्ट मैचों में 563 विकेट हासिल किये थे। कोर्टनी वॉल्श (वेस्टइंडीज) CourtneyWalsh_Large टेस्ट मैचों में 500 विकेट लेने का कारनामा करने वाले पहले गेंदबाज कोर्टनी वॉल्श हैं। उन्होंने ने वेस्टइंडीज के लिए अपना पहला टेस्ट 1984 में खेला था, जहाँ वेस्टइंडीज के पास पहले से जोएल गार्नर, मैलकम मार्शल और माइकल होल्डिंग की तिकड़ी थी। इसी वजह से वॉल्श को पहली पारी में गेंदबाजी करने का भी मौका नहीं मिला। वॉल्श अपने पूरे करियर में बिना थके लम्बा स्पेल डालने के लिए जाने जाते थे। 38 साल की उम्र में संन्यास लेने से पहले उन्होंने 30,000 से ज्यादा गेंदें फेंकी है जो एक तेज गेंदबाज के लिए रिकॉर्ड है। स्पिनर में भी सिर्फ मुरलीधरन, वॉर्न और कुंबले ने ही इनसे ज्यादा गेंदें फेंकी है। वेस्टइंडीज का यह गेंदबाज हमेशा क्रीज के कोने से दाएं हाथ की बल्लेबाजों को इनस्विंग गेंद डालने के लिए जाना जाता था। वॉल्श ने कभी भी किसी बल्लेबाज के साथ नहीं उलझे क्योंकि उनका माना था कि बल्लेबाजों के मन में भय पैदा करने के लिए उनकी शारीरिक भाषा ही काफी थी। नब्बे के दशक के दौरान वो टीम के कप्तान भी रहे और 2001 में वॉल्श ने टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह दिया। उससे पहले वॉल्श ने 132 टेस्ट मैचों में 519 विकेट हासिल किये। लेखक- अभिजीत अनुवादक- ऋषिकेश सिंह