जम्बो नाम से मशहूर कुंबले लेग स्पिन गेंदबाज होने के बाबजूद वॉर्न से बिल्कुल अलग थे। जहाँ वॉर्न अपनी फिरकी के लिए मशहूर थे वहीं कुंबले की गेंदों में फिरकी तो नहीं होती थी लेकिन उनकी गेंदों में काफी उछाल रहती थी, जिससे बल्लेबाजों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता था। कुंबले अपनी गेंदों की गति में काफी बदलाव लाते थे साथ ही साथ उनकी फ्लिपर पर बल्लेबाज हमेशा फंस जाते थे और विकेट के सामने पाये जाते थे जिससे एलबीडब्लू का शिकार हो जाते थे। पाकिस्तान के खिलाफ 1999 में दिल्ली के फ़िरोज़ शाह कोटला मैदान में खेले गये टेस्ट मैच में कुंबले ने पारी में 10 विकेट हासिल किये थे और ऐसा करने वाले वो दुनिया के सिर्फ दूसरे गेंदबाज बने थे। जम्बो ने संन्यास लेने से पहले 132 टेस्ट मैचों में 619 विकेट हासिल किये। इसके अलावा उन्होंने इंलैंड के खिलाफ एक शतक भी लगाया था।