एक पेशेवर क्रिकेटर के नजरिए से टेस्ट क्रिकेट हमेशा धैर्य, तकनीक, बल्ले और गेंद के साथ लगातार कड़ी मेहनत जैसे गुणों के बारे में रहा है। इतिहास में देखा गया है कि महान बल्लेबाज टेस्ट क्रिकेट में लंबे समय तक क्रीज पर कब्जा जमाए रखते थे और चुनौतीपूर्ण वक्त में भी स्कोर बोर्ड को आगे बढ़ाते थे। उसी समय, क्रिकेट के सबसे लंबे प्रारूप में ऐसे मामले भी देखे गए हैं जहां बड़े व्यक्तिगत स्कोर के बाद भी बल्लेबाज नाबाद रहे हैं। आइए यहां ऐसे ही 6 खिलाड़ियों पर डालते हैं एक नजर जहां बड़े खिलाड़ियों ने लगातार नॉट ऑउट रहकर कई मैचों में रन स्कोर कर विपक्षी गेंदबाजों को परेशानी में डाल दिया था।
#6 राहुल द्रविड़ - 473 रन
41*, 200*, 70* और 162: नवंबर 2000 भारत के संकटमोचक खिलाड़ी राहुल द्रविड़ नवंबर 2000 में 4 पारियों में 473 रन बनाकर नाबाद रहे थे। ढाका में बांग्लादेश के खिलाफ यह सुनहरा मौका आया। यह मेजबान का टेस्ट डेब्यू था। जिसमें द्रविड़ नंबर तीन पर नॉट ऑउट बने रहे, उन्होंने 41 रन बनाए। एक हफ्ते बाद जब जिम्बाब्वे भारत में दो टेस्ट सीरीज के लिए आई और दिल्ली में पहले मैच में ही 422 रन बना लिए तो द्रविड़ ने बल्लेबाजी करते हुए 200* रन स्कोर किया। 9 घंटे बल्लेबाजी करते हुए राहुल ने सचिन तेंदुलकर के साथ मिलकर 213 रन जोड़े। जैसे कि वह पर्याप्त नहीं था, वह दूसरी पारी में फिर लौटकर आए और उन्होंने 70* रनों की पारी खेली। फिर अगले मैच में नागपुर में द्रविड़ ने 162 रनों की पारी खेली।
# 5 कुमार संगकारा - 479 रन
200*, 222* और 57: जुलाई-नवंबर 2007 एक दशक से भी अधिक समय तक श्रीलंका क्रिकेट के दिग्गज खिलाड़ी कुमार संगकारा ने अपनी टीम के लिए कई अहम पारियां खेली। लेकिन अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कुमार संगकारा की खुशी का साल 2007 ठिकाना नहीं रहा, जब उन्होंने बिना अपना विकेट गंवाए लगातार 479 रनों को अंजाम दे दिया। जुलाई 2007 में बांग्लादेश के खिलाफ कोलम्बो (आरपीएस) टेस्ट के साथ संगकारा के इस कारनामे की शुरुआत हुई, जहां एक पारी में जीत दर्ज करते हुए उन्होंने 200* रनों की पारी को अंजाम दिया। संगकारा ने इस दौरान नंबर तीन पर बल्लेबाजी की श्रीलंका ने 451 रनों का स्कोर खड़ा किया। कुछ दिन बाद, कैंडी में संगकारा ने 222* रनों की शानदार पारी को अंजाम दिया। महेला जयवर्धने के साथ बल्लेबाजी करते हुए उन्होंने तीसरे विकेट के लिए श्रीलंका की तरफ से 311 रन बनाए। इसके साथ श्रीलंका को फिर से एक और एक तरफा जीत मिल गई। नवंबर में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ संगकारा ने होबार्ट में 57 रनों की पारी खेली थी, मिचेल जॉनसन ने उनके लगातार रन बनाने के इस क्रम को तोड़ा था।
#4 माइकल क्लार्क- 489 रन
259* और 230: नवंबर 2012 एक कप्तान के रूप में बिना आउट हुए सबसे ज्यादा रन बनाने के मामले में माइकल क्लार्क का नाम आता है। इस सूची में ऐसा करनामा करने वाले माइकल क्लार्क एक मात्र कप्तान हैं। साल 2012-13 की गर्मियों में क्लार्क ने अपना तीसरा दोहरा शतक दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ ब्रिसबेन में लगाया था। इस पारी में उन्होंने नाबाद 259 रनों का योगदान दिया था। इस दौरान साउथ अफ्रीका के खिलाड़ी डेल स्टेन, मॉर्न मोर्कल और वर्नन फिलैंडर का माइकल क्लार्क ने डटकर सामना किया था। इस मैच में माइक हसी ने भी ऑस्ट्रेलिया की तरफ से शानदार खेल दिखाते हुए 228 रनों की पारी खेली और दोनों खिलाड़ियों ने ऑस्ट्रेलिया के स्कोर को 40/3 से 565/5 पर पहुंचा दिया। इसके बाद एडिलेड में खेले गए अगले मुकाबले में क्लार्क ने फिर अपनी बल्ले का कमाल दिखाते हुए दोहरा शतक ठोक डाला। क्लार्क ने 230 रनों की पारी को अंजाम दिया था।
#3 गैरी सोबर्स - 490 रन
365* और 125: फरवरी-मार्च 1958 महान खिलाड़ी सर गैरी सोबर्स ने अपने पहले शतक के साथ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शानदार पारी को अंजाम दिया। उन्होंने 1958 में किंग्स्टन में पाकिस्तान के खिलाफ 365* रन की शानदार पारी खेली। ये उनके करियर का सर्वश्रेष्ठ स्कोर था, इससे पहले वे 28 पारियां खेल चुके थे और इनमें उनका उच्चतम स्कोर मात्र 80 रन ही था। अपने पहले शतक के साथ ही टेस्ट में तीहरा शतक लगाने वाले गैरी पहले बल्लेबाज भी बने, जिन्होंने ऐसा कारनामा कर दिखाया। इसके बाद सिर्फ भारतीय बल्लेबाज करुण नायर ही ऐसा कमाल दिखाने में कामयाब रहे हैं। इसके बाद गैरी ने जॉर्जटाउन में खेले गए अगले मैच में 125 रनों की शानदार पारी खेली।
# 2 सचिन तेंदुलकर - 497 रन
241*, 60*, 194* और 2: जनवरी - अप्रैल 2004 रनों की बात हो और सचिन तेंदुलकर का जिक्र न हो ऐसा हो ही नहीं सकता है। सचिन तेंदुलकर ने भी इस लिस्ट में अपनी जगह बनाई है। बिना आउट हुए सचिन तेंदुलकर ने टेस्ट पारियों में 497 रन बनाए हैं। 2003-04 में ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर पहली 6 पारियों में सचिन तेंदुलकर के नाम कुल 82 रन दर्ज थे। इनमें दो छक्के शामिल थे, लेकिन आखिरकार सचिन का बल्ला चला और चलता ही गया। सिडनी में खेले गए अंतिम टेस्ट में सचिन तेंदुलकर ने अपने करियर का तीसरा दोहरा शतक ठोक डाला। इस पारी में उन्होंने शानदार बल्लेबाजी करते हुए नाबाद 241 रन बनाए। इसके बाद इस मैच की अगली पारी में उन्होंने नाबाद 60 रनों की पारी खेली। इसके बाद मुलतान में दो महीने बाद सचिन ने फिर अपने बल्ले का कमाल दिखाया और 194 रनों की शानदार नाबाद पारी को अंजाम दिया। हालांकि लाहौर में खेले गए अगले मैच में सचिन तेंदुलकर महज 2 रन के स्कोर पर ही अपना विकेट गंवा बैठे।
#1 एडम वोजेस - 614 रन
269*, 106* और 239: दिसंबर 2015 - फरवरी 2016 35 वर्ष की उम्र में टेस्ट करियर की शुरुआत करना किसी सपने के पूरे होने से कम नहीं होता है। एडम वोजेस उन्हीं खिलाड़ियों में से एक हैं जिन्होंने अपने टेस्ट करियर की शुरुआत काफी देरी से की थी। एडम वोजेस ने 35 साल की उम्र में अपना पहला टेस्ट मुकाबला खेला। टेस्ट मैचों में पदार्पण के बाद से ही उनके बल्ले ने आग उगलना शुरू कर दी। वोजेस ने टेस्ट क्रिकेट में जमकर रन बरसाए। शुरुआती 14 मैचों में एडम ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए 97.46 की औसत से रन बनाए थे। इस दौरान उन्होंने 5 शतक लगाए, जिनमें तीन शतकों के दौरान वो नाबाद रहे। इसके बाद उन्होंने अपना दूसरा दोहरा शतक भी लगाया। तब तक उन्होंने लगातार बिना अपना विकेट गंवाए 614 रन बना लिए थे। पहले उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ लगातार पारियों में होबार्ट और मेलबर्न में खेलते हुए नाबाद 269 रनों की और नाबाद 169 रनों की पारी खेली। इसके बाद वेल्टिंगटन में उन्होंने दूसरा दोहरा शतक लगाते हुए 239 रन बनाए। आखिरकार, वोजेस ने 20 टेस्ट के बाद ही संन्यास ले लिया और उन्होंने अपने करियर में 61.87 की शानदार औसत के साथ समाप्ति की। हालांकि आखिर की 11 पारियों में वो एक अर्धशतक भी नहीं लगा पाए थे। लेखक: हिमांशु अग्रवाल अनुवादक: हिमांशु कोठारी