किसी भी खिलाड़ी के लिए करियर का अंतिम मैच भी उतना ही महत्वपूर्ण और दबावपूर्ण होता है, जितना कि उसका पहला मैच। हर खिलाड़ी अपने करियर का अंत एक अच्छी पारी से करना चाहता है और फैन्स के जेहन में अच्छी यादें छोड़कर जाना चाहता है। हम आज कुछ ऐसे बल्लेबाजों के बारे में बात करने जा रहे हैं, जिन्होंने अपने करियर के आखिरी वनडे में अपनी सबसे बेहतरीन पारी खेली।
#6 डेनिस अमिस – ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ 108 रन (1977)
1960 के दशक के आखिरी और 1970 के दशक के शुरूआती दौर में डेनिस अमिस इंग्लैंड के सबसे विश्वसनीय बल्लेबाजों में शुमार थे। डेनिस का टेस्ट करियर भी अच्छा रहा। टेस्ट में उनके नाम 3612 रन दर्ज हैं। डेनिस करियर में काफी वक्त बाद वनडे प्रारूप का हिस्सा बने। इंग्लैंड की तरफ से वनडे में पहली बार शतक जड़ने वाले बल्लेबाज डेनिस ही थे। उन्होंने सिर्फ 18 वनडे मैच खेले, जिनमें उन्होंने 4 शतक जड़े। 1977 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उन्होंने अपना आखिरी वनडे मैच खेला था। 3 मैचों की सीरीज में इंग्लैंड ने 2-0 से बढ़त ले रखी थी। इंग्लैंड क्लीन स्वीप के इरादे से मैदान पर था। डेनिस ने माइक ब्रियरले के साथ मिलकर पहले विकेट के लिए 161 रनों की साझेदारी की। इसके बाद जेफ थॉमसन और लेन पास्को के विकेट जल्द ही गिर गए, लेकिन डेनिस क्रीज पर जमे रहे। उन्होंने 146 गेंदों में 108 रनों की पारी खेली और इंग्लैंड एक मजबूत स्कोर तक पहुंच सका, लेकिन मैच इंग्लैंड के पक्ष में नहीं रहा। ग्रेग चैपल की कप्तानी में ऑस्ट्रेलियाई टीम ने शानदार खेल दिखाया और 55 ओवरों में 243 रनों का लक्ष्य हासिल कर लिया। कंगारुओं ने मैच 2 विकेट से अपने नाम कर लिया।
#5 डेसमंड हेन्स – इंग्लैंड के ख़िलाफ़ 115 रन (1994)
वनडे में सर्वाधिक रन बनाने वाले विंडीज बल्लेबाजों की सूची में हेन्स चौथे नंबर पर हैं। उनके नाम पर 238 वनडे मैचों में 8648 रन दर्ज हैं। हेन्स की गॉर्डन ग्रीनिज के साथ सलामी जोड़ी कमाल की थी। यह जोड़ी लंबे वक्त साथ खेलती रही। 1991 में अपने इस साथी के संन्यास के बाद हेन्स को कुछ वक्त तक कम अनुभवी खिलाड़ियों के साथ ओपनिंग करनी पड़ी। अपने आखिरी वनडे मैच में हेन्स, फिल सिमन्स के साथ ओपनिंग कर रहे थे। इंग्लैंड के साथ सीरीज में वेस्टइंडीज 1-2 से पीछे चल रहा था। त्रिनिदाद के क्वीन्स पार्क ओवल में हो रहे इस मैच में इंग्लैंड पहले फील्डिंग कर रहा था। ओपनिंग करने उतरे हेन्स ने 112 गेंदों में 115 रनों की शानदार पारी खेली। वेस्टइंडीज ने 7 विकेट खोकर इंग्लैंड के सामने 266 रनों का लक्ष्य रखा। इस मैच में वेस्टइंडीज को 15 रनों से जीत मिली और सीरीज बराबरी पर रही।
#4 क्लाइव रैडले – न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ 117 रन (1978)
इंग्लैंड टीम का हिस्सा बनने से पहले क्लाइव मिडिलसेक्स टीम से काउंटी खेला करते थे। वह काउंटी क्रिकेट के उन बल्लेबाजों में शुमार थे, जिन्होंने काउंटी में बल्लेबाजी को नया आयाम दिया था। क्लाइव ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर में 8 टेस्ट और 4 वनडे मैच खेले। टेस्ट में क्लाइव के नाम पर 2 शतक हैं। वनडे में उन्होंने अपना पहला शतक 1978 में न्यूजीलैंड के खिलाफ मैनचेस्टर में लगाया था। इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाजी का फैसला लिया। ग्राहम गूच के जल्द ही रन आउट होने के बाद क्लाइव ने पारी को संभाला। उन्हें मध्यक्रम का पूरा साथ मिला। क्लाइव ने 140 गेंदों में 117 रनों की नाबाद पारी खेली। इंग्लैंड ने कीवियों के सामने 279 रनों का लक्ष्य रखा। इसके बाद इंग्लिश गेंदबाजों के शानदार प्रदर्शन की बदौलत टीम ने कीवियों को 152 रनों पर ही समेट दिया। यह मैच सीमित ओवरों के प्रारूप में क्लाइव का आखिरी मैच रहा।
#3 फ़ीको क्लॉपेनबर्ग – 121 रन और #2 क्लास-जैन वैन नूर्टविक – 134 रन, नामीबिया के ख़िलाफ़ (2003)
मौक़ा था, 2003 विश्व कप के 39वें मैच का, मुकाबला था नीदरलैंड और नामीबिया के बीच। दोनों ही टीमों से सुपर सिक्स में प्रवेश की उम्मीद नहीं की जा रही थी, लेकिन इन सबके बावजूद इन दोनों टीमों के उत्साह में कोई कमी न थी। नीदरलैंड ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला लिया। एगर शीफरली 6ठे ओवर में आउट हो गए। इसके बाद फीको क्लॉपेनबर्ग और क्लास-जैन वैन नूर्टविक ने पारी को संभाला। दोनों बल्लेबाजों ने शतक जमाए और नीदरलैंड का स्कोर 300 के पार पहुंच गया। नामीबिया के टॉप ऑर्डर के अच्छे प्रदर्शन के बावजूद नामीबिया बाद में पारी को नहीं संभाल सका। यह इन दोनों ही बल्लेबाजों के करियर का ये आखिरी मैच रहा।
#1 जेम्स मार्शल – आयरलैंड के ख़िलाफ़ 161 रन (2008)
ऐसा कम ही देखने को मिलता है कि कोई खिलाड़ी बेहतरीन प्रदर्शन के बाद भी, टीम मैनेजमेंट के पैमानों पर खरा नहीं उतर पाता। कुछ ऐसा ही हुआ जेम्स मार्शल के साथ। जेम्स ने अपने भाई हमीश के साथ न्यूजीलैंड की ओर से 2000 के दशक में कई मैच खेले। हमीश को 2000 में अंतरराष्ट्रीय टीम में जगह मिल गई, लेकिन जेम्स को 2005 तक इंतजार करना पड़ा। उनका अंतरराष्ट्रीय करियर सिर्फ 3 साल तक ही चल सका। 2008 में एक ट्राई-सीरीज के पहले मैच में न्यूजीलैंड और आयरलैंड की भिड़ंत हुई। जेम्स ने ब्रेंडन मैकुलम के साथ मिलकर 274 रनों की सलामी साझेदारी की। हालांकि पहले विकेट के लिए साझेदारी के रिकॉर्ड से यह जोड़ी 12 रन पीछे रह गई। लेकिन इस जोड़ी की बदौलत कीवी टीम ने सिर्फ 2 विकेट गंवाकर 402 रन बना डाले। इसके जवाब में आयरलैंड सिर्फ 112 रनों पर ही सिमट गया। इस मैच में मैकुलम (166) और जेम्स (161) दोनों ही ने करियर का सबसे अधिक स्कोर बनाया। जहां एक तरफ इसके बाद मैकुलम सभी प्रारूपों में झंडे गाड़ते गए, यह जेम्स के करियर का आखिरी वनडे मैच ही बन कर रह गया। लेखक: राम कुमार अनुवादक: देवान्श अवस्थी