कुछ क्रिकेटर काफी लकी होते हैं कि वो गलत समय पर पैदा हुए हैं। घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन और इंटरनेशनल मैचों में अच्छे खेल के बावजूद भी उन्हें दोबारा टीम में चुना नहीं जाता। कई ऐसे टैलेंटेड क्रिकेटर हैं जिन्हें घरेलू मैचों में लगातार अच्छा प्रदर्शन करने पर भी धोनी के समय में टीम में जगह नहीं मिली। कई बार देखने को मिला है कि धोनी अंडर परफॉर्मिंग खिलाड़ियों पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान होते हैं। घरेलू मैचों में कई अच्छे खिलाड़ी भी हैं, जिन्हें लगातार अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद भी टीम में शामिल नहीं किया गया। आईए नजर डालते हैं ऐसे 6 क्रिकेटर्स पर जिन्हें धोनी युग में खेलने के सही मौके नहीं मिले।
#6 रॉबिन उथप्पा
रॉबिन उथप्पा ऐसे बेहतरीन खिलाड़ी हैं जिन्हें ग्रेग चैपल के समय टीम में शामिल किया गया था। ऑपनिंग करते समय उनकी कई बेहतरीन पारियां आज भी फैन्स के जहन में हैं। कई मौकों पर वो कुछ ज्यादा ही अग्रैसिव हो जाते हैं जिसकी वजह से उनकी नाकामयाबी उठानी पड़ी थी। उथप्पा को भारत की तरफ से खेलने के ज्यादा मौके नहीं मिले। उन्होंने 46 वनडे और 13 टी-20 मैच ही खेले हैं। विकेटकीपर और लॉवर ऑर्डर बैट्समैन टीम के लिए काफी अच्छे खिलाड़ी साबित हो सकते हैं। महेंद्र सिंह धोनी की मौजूदगी की वजह से उन्हें टीम में नहीं चुना गया। फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उथप्पा ने 42.05 की औसत से 8285 रन बनाए हैं और लिस्ट ए में उन्होंने 5642 रन बनाए हैं। रणजी सीजन में भी उनका प्रदर्शन शानदार प्रदर्शन रहा है। अभी हाल ही में उन्होंने अपना 17 वां शतक लगाया था। रॉबिन उथप्पा ने कर्नाटक की तरफ से सबसे ज्यादा शतक लगाने के राहुल द्रविड़ की रिकॉर्ड की बराबरी कर ली है। टीम में शामिल होने के लिए इससे ज्यादा किस प्रदर्शन की जरुरत होगी?
#5 परवेज रसूल
एक समय पर जब टीम इंडिया ऑल राउंडर की तलाश कर रही थी तो टीम इंडिया ने परवेज रसूल को दरकिनार कर दिया था। रसूल ने 2012-13 में जम्मू कश्मीर रणजी टीम की तरफ से बेहतरीन प्रदर्शन किया था। रसूल ने 54 की औसत से बल्लेबाजी करते हुए 594 रन और 33 विकेट अपने नाम किए थे। रसूल लगातार अपने प्रदर्शन से वाहवाही लूटते रहे और वो एक बेहतरीन ऑलराउंडर के तौर पर सामने आए। उन्होंने फर्स्ट क्लास लेवल पर 2689 रन बनाए और 115 विकेट अपने नाम किए हैं।लिस्ट ए में उन्होंने 1236 रन और 51 विकेट अपने नाम किए हैं। पूर्व भारतीय खिलाडी बिशन सिंह बेदी ने रसूल की गेंदबाजी की खूब तारीफ की है। बेदी कहते हैं “रसूल एक ऐसे गेंदबाज हैं जो फ्लाइट करने से नहीं डरते और वो अटैक करना ज्यादा पसंद करते है। पहली बार जब मैने 2011 में रसूल को गेंदबाजी करते देखा था तो मैं उनके आसान और साइड वेज़ एक्शन को देखकर हैरान रह गया था। थोडे लक और कप्तान की मदद से वो ऐसे खिलाड़ी बन सकते हैं जिसकी टीम इंडिया को दरकार है। उनमें इंटरनेशनल क्रिकेट में कामयाब होने की पूरी क्षमता है”। परवेज रसूल ने भारत के लिए सिर्फ 1 वनडे मैच खेला है और उसके बाद से उन्हें फिर कभी टीम इंडिया में मौका नहीं दिया गया। धोनी रविंद्र जडेजा और अक्षर पटेल जैसे खिलाड़ियों पर ज्यादा निर्भर करते है। रसूल को टीम इंडिया में खेलने का मौका जरूर मिलना चाहिए।
#4 धवल कुलकर्णी
धवल कुलकर्णी ने घरेलू मैचों या फिर आईपीएल में मुंबई इंडियंस के साथ, वो जिस भी टीम के लिए खेले हैं। वहां उन्होंने निरंतर अच्छा प्रदर्शन किया है। फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उनके नाम 202 विकेट और लिस्ट ए में 123 विकेट है। उनके ये आंकड़े कुलकर्णी की काबिलियत की गवाही देते हैं। साल 2014 में इंग्लैंड के खिलाफ बर्मिंघम में धवल ने अपना वनडे में डैब्यू किया था, जहां वो कोई भी विकेट अपने नाम नहीं कर पाए थे। श्रीलंका के साथ 2014 में घरेलू जमीन पर खेली गई सीरीज में उनका प्रदर्शन काफी अच्छा रहा था। उस सीरीज के दौरान कोलकाता में खेले गए चौथे वनडे मैच में उन्होंने शानदार प्रदर्शन कर 34 रन देकर 4 विकेट अपने नाम किए थे। उस सीरीज के बाद उन्हें ड्रॉप कर दिया गया था। उसके बाद जून 2015 में बांग्लादेश के खिलाफ सीरीज में उन्हें चुना गया था। कुलकर्णी ने इस साल भारत के लिए अपना आखिरी मैच जिम्बॉब्वे के साथ खेला था। उसके बाद से उन्हें टीम में शामिल नहीं किया गया है। 8 वनडे मैचों में उनके नाम 13 विकेट है और उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 34 रन देकर 4 विकेट रहा था।
#3 केदार जाधव
केदार जाधव 45.46 की शानदार औसत से 4592 रन बना चुके है। ऐसा माना गया था कि केदार जाधव ऐसे खिलाड़ी हैं जो टीम के डैब्यू कर सकते हें। साल 2014 में रांची में हुए मैच में केदार जाधव को खेलने का मौका मिला था। उस मैच के उन्होंने 20 रन बनाए थे, जिसके बाद उन्हें ड्रॉप कर दिया गया था। उन्हें भारत के जिम्बॉब्वे दौरे के लिए टीम में शामिल किया गया था। शुरुआती 2 मैचों में वो कुछ खास नहीं कर पाए थे। 3 मैच में शानदार प्रदर्शन करते हुए जाधव ने 105 रन बनाए थे। जब वो बल्लेबाजी करने आए थे तो टीम का स्कोर 82 रन पर 4 विकेट था। जाधव विकेटकीपिंग भी अच्छी कर लेते हैं। उन्होंने फिनिशर के तौर पर अपनी काबिलियत साबित की है। जाधव कहते हैं, “मुझे जो भी मौका मिलेगा, मैं अपने आपको फिनिशर के रूप में स्थापित करना चाहता हूं। मैं टीम इंडिया के लिए मैच जिताना चाहता हूं। मैं उन लोगों में से ऩहीं बनना चाहता जो टीम के लिए तेज 70-80 रन बनाए, जैसे कि मैने एक सीरीज के दौरान बनाए थे। मैं टीम के लिए अच्छा फिनिशर बनना चाहता हूं। उनके द्वारा लगाई गई सैंचुरी काफी अच्छी साबित हुई थी। लेकिन उनको टीम में दूसरे मौके का इंतजार है। 4 वनडे मैचों में 48.66 की औसत से उन्होंने146 रन बनाए हैं। उन्हें किस कारण की वजह से टीम से बाहर किया गया था, वो अभी तक एक रहस्य बना हुआ है।
#2 मनोज तिवारी
फर्स्ट क्लास मैचों में 52.80 की औसत से रन बनाने वाले मनोज तिवारी ऐसे खिलाड़ी हैं जिनको सेलेक्टरों ने काफी नजरअंदाज किया है। वो बंगाल की टीम के लिए सालों से अच्छा प्रदर्शन करते आ रहे है। उन्होंने भारतीय टीम के लिए काफी अच्छा प्रदर्शन किया है, इसके बावजूद भी उन्हें ज्यादा मौके नहीं मिले हैं। साल 2008 में ब्रिसबेन में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खराब डैब्यू करने के बाद उनके अगले 3 साल तक टीम में शामिल नहीं किया गया था। उसके बाद 2011 में उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ टीम में चुना गया था। उसके बाद वो टीम से लगातार अंदर बाहर होते रहे। साल 2011 में वेस्टइंडीज के खिलाफ वो 5वें वनडे मैच में खेले थे। टीम ने 1 रन पर 2 विकेट गंवा दिए थे, तब वो बल्लेबाजी करने आए थे। उन्होंने शानदार शतक लगाया था और उन्हें मैन ऑफ द मैच के खिताब से नवाजा गया था। उन्हें शतक लगाने के बाद भी टीम से ड्रॉप कर दिया गया था। उसके बाद 14 मैचों तक उन्हें खेलने का मौका नहीं मिला था। अगले साल कोलंबो में उन्हें रोहित शर्मा की जगह टीम में बतौर ऑलराउंडर शामिल किया गया था। तिवारी ने 4 विकेट लिए और 21 रन बनाए थे। अगले मैच में उन्होंने शानदार 65 रन बनाए थे। वो कॉमनवेल्थ बैंक ट्राई सीरीज और 2012 के एशिया कप में टीम में शामिल थे। लेकिन उन्हें खेलने का मौका नहीं मिला। साल 2014 में बांग्लादेश के खिलाफ उन्हे शामिल किया गया था औऱ उसके बाद उन्हें जिम्बॉब्वे के खिलाफ सीरीज में शामिल किया गया था। लगातार अच्छा प्रदर्शन करने के बाद भी उन्हें जगह नहीं मिली।
#1 नमन ओझा
नमन ओझा पिछले काफी समय से घरेलू सर्किट पर इंडिया के सबसे अच्छे विकेटकीपर बल्लेबाज हैं। नमन काफी दुर्भाग्यशाली हैं कि वो धोनी के जमाने में पैदा हुए। नमन के नाम फर्स्ट क्लास मैचों में 43.07 की औसत से 8228 रन है। ओझा अगर किसी और देश में होते तो इतना अच्छा प्रदर्शन करने के बाद उन्हें टीम में शामिल कर लिया जाता। नमन के नाम लिस्ट ए मैचों में 3441 और घरेलू टी-20 मैचों में 2050 रन हैं। ऑस्ट्रेलिया में 2014 के दौरान इंडिया ए की और से खेलते हुए 4 पारियों में उनके नाम 1 दोहरा शतक और 2 शतक हैं, वो नमन ओझा के करियर का हाई प्वाइंट था। जुलाई 2014 में ब्रिसबेन में 250 गेंदों में बनाए गए 219 रन उनकी शानदार काबिलियत को दर्शाते हैं। आईपीएल ने नमन ने राजस्थान रॉयल्स और सनराइजर्स हैदराबाद के लिए कुछ अच्छी पारियां खेली हैं। महेंद्र सिंह धोनी के टेस्ट से रिटायर होने के बाद नमन ओझा को टीम में शामिल होने की उम्मीद थी। लेकिन उनकी जगह टीम में रिद्दीमान साहा को चुना गये। नमन ओझा इतना अच्छा प्रदर्शन करने के बादे भी शामिल नहीं हुए, वो इस जनरेशन के काफी अनलकी खिलाड़ी हैं।