#2 मनोज तिवारी
फर्स्ट क्लास मैचों में 52.80 की औसत से रन बनाने वाले मनोज तिवारी ऐसे खिलाड़ी हैं जिनको सेलेक्टरों ने काफी नजरअंदाज किया है। वो बंगाल की टीम के लिए सालों से अच्छा प्रदर्शन करते आ रहे है। उन्होंने भारतीय टीम के लिए काफी अच्छा प्रदर्शन किया है, इसके बावजूद भी उन्हें ज्यादा मौके नहीं मिले हैं। साल 2008 में ब्रिसबेन में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खराब डैब्यू करने के बाद उनके अगले 3 साल तक टीम में शामिल नहीं किया गया था। उसके बाद 2011 में उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ टीम में चुना गया था। उसके बाद वो टीम से लगातार अंदर बाहर होते रहे। साल 2011 में वेस्टइंडीज के खिलाफ वो 5वें वनडे मैच में खेले थे। टीम ने 1 रन पर 2 विकेट गंवा दिए थे, तब वो बल्लेबाजी करने आए थे। उन्होंने शानदार शतक लगाया था और उन्हें मैन ऑफ द मैच के खिताब से नवाजा गया था। उन्हें शतक लगाने के बाद भी टीम से ड्रॉप कर दिया गया था। उसके बाद 14 मैचों तक उन्हें खेलने का मौका नहीं मिला था। अगले साल कोलंबो में उन्हें रोहित शर्मा की जगह टीम में बतौर ऑलराउंडर शामिल किया गया था। तिवारी ने 4 विकेट लिए और 21 रन बनाए थे। अगले मैच में उन्होंने शानदार 65 रन बनाए थे। वो कॉमनवेल्थ बैंक ट्राई सीरीज और 2012 के एशिया कप में टीम में शामिल थे। लेकिन उन्हें खेलने का मौका नहीं मिला। साल 2014 में बांग्लादेश के खिलाफ उन्हे शामिल किया गया था औऱ उसके बाद उन्हें जिम्बॉब्वे के खिलाफ सीरीज में शामिल किया गया था। लगातार अच्छा प्रदर्शन करने के बाद भी उन्हें जगह नहीं मिली।