'शून्य' किसी भी बल्लेबाज के लिये वो अंतिम स्कोर होगा जो वह कभी अपने नाम के सामने देखना चाहेगा। शून्य विफलता का प्रतीक है, यह किसी के लिये शर्म की बात होती है लेकिन क्रिकेट में कुछ ऐसे बल्लेबाज़ भी रहे हैं, जिन्होंने अपने जीवन में कई बार शून्य रन बनाने की पीड़ा को सहा है और फिर भी अपने करियर को एक सफल बल्लेबाज के रूप में समाप्त कर दिया। इन महान खिलाड़ियों पर ऐसी आकस्मिक असफलता से फर्क नही पड़ा और अगले गेम में एक नई पारी पर ध्यान केंद्रित करते हुए नई शुरुआत की। उनके दृढ़ संकल्प और दृढ़ता का साथ उनके साथ रहा जो कि वे सफलता की सीढ़ी पर चढ़ गए।
आइये छह ऐसे ही गुणवत्ता वाले बल्लेबाजों से मिलें, जिन्होंने टेस्ट सेंचुरी के मुकाबले अपने करियर में शून्य ज्यादा बनाए हैं और देखें कि कैसे उन्होंने अपनी महानता पर इस सामयिक विफलता का प्रभाव भी नही पड़ने दिया।
#6 माइक गैटिंग- 10 शतक, 16 शून्य
माइक गैटिंग ने अपने क्रिकेट करियर में सब कुछ अनुभव किया, वह अपनी चपल बल्लेबाजी के लिए चाहे गये , वह कप्तान के रूप में हासिल की गयी हैरान करने वाली सफलता के लिए ईर्ष्या के पात्र भी बने और वह मैदान पर हो या मैदान के बहार दोनों ही स्थानों पर उनके सीधे व्यवहार के चलते शत्रुता के पात्र भी बने। गैटिंग 1980 के दशक के दौरान बल्लेबाजी विभाग में इंग्लैंड का खंभा था और वह विभिन्न स्थानों पर बल्लेबाजी करने उतरे और ज्यादातर इंग्लैंड को शानदार स्थिति में पहचानें के बाद ज्यादातर अवसरों पर वापस लौट गये। 138 पारियों में चार हजार से अधिक रन और 10 टेस्ट शतक उनके बल्लेबाज़ी कौशल को दर्शाते हैं, लेकिन गेटिंग के बारे में एक दिलचस्प आँकड़ा उनकी शून्य की संख्या है। अपने 79 टेस्ट के दौरान वह सोलह मौकों पर शून्य बना के बाहर हुए।
10 टेस्ट शतकों के साथ 16 शून्य के आँकड़े, गैटिंग की बल्लेबाजी में निरंतरता का आभाव प्रदर्शित करते हैं।
#5 माइक आथर्टन- 16 शतक, 20 शून्य
दक्षिण अफ्रीका ने इंग्लैंड को चौथे-पारी में करीब 479 रन का असंभव लक्ष्य दिया और दस विकेट लेने के लिए खुद को दो दिन का समय दिया। एलन डोनाल्ड और शॉन पोलक जैसे गेंदबाजों के रहते, जोहान्सबर्ग की टूटती हुई पिच पर दो दिन मेहमान टीम के 10 विकेट लेने के लिए पर्याप्त थे। और फिर असंभव हुआ। चौथे और पांचवें दिन इंग्लैंड खड़ा रहा कि वह दक्षिण अफ्रीका को जीत से दूर रख सके और एक असंभव ड्रॉ पा सके। इस अविश्वसनीय खेल की अगुवाई कर रहे थे उनके 27 वर्षीय कप्तान माइक आथर्टन, जिन्होंने 185 रनों की कड़ी मेहनत वाली पारी के लिए दस घंटे से ज्यादा बल्लेबाजी की थी। 492 गेंदों की वह पारी आथर्टन की बल्लेबाजी करियर परिभाषित कर गई थी। वह दृढ़, कठिन और अविश्वसनीय थे। कई अन्य गुणवत्ता वाले बल्लेबाजों की तरह, उन्होंने भी कभी शुरुआत पाने के बाद शायद ही कभी सामने की टीम को मौका दिया।
उन्हें मैदान से बाहर निकालने का सबसे अच्छा समय था जब वह क्रीज पर ताजा हो और आंकड़े इस दावे का समर्थन करते हैं। इंग्लैंड के इस सलामी बल्लेबाज ने 212 पारियों के अपने टेस्ट करियर में 20 शून्य बनाये और उनके नाम पर सोलह शतक भी हैं।
इसलिए, दुनिया भर के गेंदबाजों ने इस बात को प्राथमिकता दी कि क्रीज़ पर आये ताज़ा आथर्टन को विदाई जल्द दे दी जाये क्योंकि अगर वह सेट हो गये तो मैच उनकी पहुँच से दूर और खत्म हो जायेगा।
# 4 मर्वन अट्टापट्टू - 16 शतक, 22 शून्य
अपनी पहली सात टेस्ट पारीयों में छह बार शून्य रन पर विकेट गंवाने के बाद, मर्वन अटापट्टू के क्रिकेट करियर को लगभग खत्म ही समझना चाहिए था। लेकिन यह ऐसा हुआ नहीं था। इसके बजाय, अटापट्टू ने अपने करियर को श्रीलंका के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में से एक के रूप में समाप्त कर और उनके नाम पर छह दोहरे शतक दर्ज हुए, जो कि टेस्ट में किसी भी सलामी बल्लेबाज के सबसे ज्यादा हैं।
वो अट्टापट्टू का कभी हार न मानने वाला रवैया ही था,जिसने उन्हें टेस्ट मैचों के करियर की इतनी भयावह शुरूआत को सुधारने का मौका दिया । हालांकि 'शून्य' के साथ उनका याराना आगे के क्रिकेट करियर में भी जारी रहा और अपनी 156 टेस्ट की पारी में, 22 मौकों पर उन्हें शून्य पर निपटाया गया। साथ ही दूसरी और ये श्रीलंकाई एक शानदार रन स्कोरर के रूप में भी जाना गया और 5 हज़ार रन से बनाने के साथ ही साथ उनके खाते में 16 शतक भी दर्ज हैं।#3 सनथ जयसूर्या- 14 शतक और 15 शून्य
क्रिस गेल और डेविड वॉर्नर ने अपनी तेज बल्लेबाजी के साथ गेंदबाजों को तबाह करना शुरू किया उससे पहले एक नाम था और वो था सनथ जयसूर्या। श्रीलंका के इस बल्लेबाज ने बल्लेबाजी क्रम के शीर्ष पर आक्रामकता का नेतृत्व किया और वह ऐसे पहले बल्लेबाज थे। नई गेंद के सामने निडर ब्रांड के क्रिकेट का इस्तेमाल किया। वह जादुई, आकर्षक और मनोरंजक क्रिकेट खेलते थे। उनके शतक देखने में एक अलग खुशी मिलती थी क्योंकि यह एक अविश्वसनीय ड्राइव, खतरनाक कट, दमदार फ्लिक शॉट का पूरा पैकेज होता था। हालांकि जयसूर्या की यह आक्रामकता एक कीमत पर आयी थी। बाएं हाथ का यह बल्लेबाज़ आक्रामक क्रिकेट के चलते रन बनाने में नियमित नही रहा, वह जल्दी रन की तलाश करते हुए अपने विकेट फेंक देते हैं।
उनकी 188 टेस्ट की पारीयों में उन्होंने 15 बार शून्य पर अपना विकेट गवाया था, लेकिन प्रदर्शन में अनियमितता के बावजूद वह अपने दौर के सबसे लोकप्रिय क्रिकेटरों में से एक रहे।#2 ब्रेंडन मैकलम- 12 शतक, 14 शून्य
ब्रेंडन मैकलम एक करिश्माई खिलाड़ी थे, वह एक चुस्त विकेट-कीपर, एक फुर्तीले सनसनीखेज क्षेत्ररक्षक, एक कुछ नया करने वाले कप्तान और एक शांत-दिमाग के खिलाड़ी थे। उनकी प्रमुख पहचान एक शानदार बल्लेबाज की थी जो अपने क्रीज से बाहर जाकर तेज गेंदबाजों और स्पिनरों को ऐसे स्ट्रोक मारते थे, जो पारंपरिक बल्लेबाजों द्वारा खतरनाक माना जाता था, इस खतरे से दूर होने का एक ही रास्ता था कि वे बिना खाता खोले चले जाएं। जब वो क्रीज पर होते थे तो उनकी आक्रामक बल्लेबाजी के साथ मनोरंजन की गारंटी थी।
न्यूजीलैंड का क्रिकेटर 'बूम एंड बस्ट' बल्लेबाजी का आदर्श उदाहरण था। यदि वह उनका दिन नहीं था, तो वह वापस जाने में समय नही लेते थे लेकिन यदि यह उनका दिन था, तो फिर बाकी सभी जल्द वापस पवेलियन आ जाते थे क्योंकि मैकलम खेल को जल्द खत्म करने में विश्वास किया करते थे। टेस्ट क्रिकेट में उनक नाम 14 शून्य के स्कोर है, लेकिन उन्होंने 12 टेस्ट शतक भी बनाये हैं जो उनका बल्लेबाजी कौशल दिखाता है।#1 मोहिंदर अमरनाथ- 11 टेस्ट शतक, 12 शून्य
भारत के सबसे अनियमित खिलाड़ियों में से एक, मोहिन्दर अमरनाथ का करियर उतार चढ़ाव भरा रहा। 1983 में विश्वकप फाइनल में वह मैन ऑफ़ द मैच थे, लेकिन बस एक साल बाद ही राष्ट्रीय टीम से बाहर हो गये थे। उन्होंने अपने टेस्ट करियर में कई बार वापसी की और कठिन समय के दौरान रन बनाने के लिए जाना जाते थे। घूमती हुई गेंद उनकी कमजोरी थी और वह अक्सर उन गेंदबाजों द्वारा परेशान किये गये थे जो स्विंग बॉलिंग करते थे। हालांकि, उन्होंने अपने कैरियर के अंतिम चरण में घूमती गेंद के खतरे से निज़ात पाने का रास्ता खोज लिया लेकिन फिर भी वह अपनी पारी के शुरुआती भाग में छोटी गेंदों पर कमजोर बने रहे।
69 टेस्ट मैचों में, उन्होंने 42.50 के एक प्रभावशाली औसत से 4378 रन बनाए। उन्होंने 11 टेस्ट सेंचुरी के साथ अपना करियर समाप्त किया, जिसमें से नौ शतक विदेश में आए लेकिन उनकी रन बनाने के मामले में उनकी अनिरंतरता और तकनीकी कमजोरियों के कारण उनके पास टेस्ट करियर में 12 शून्य के स्कोर भी खाते में दर्ज़ हैं। उन 12 शून्य में से, वेस्टइंडीज के खिलाफ 1984 में छह पारियों में से पांच में बनाए गए थे। इन्ही 6 पारियों में 5 शून्य बनाने के चलते उन्हें उनका उपनाम "मिस्टर अमरनॉट" मिल गया।