अपनी पहली सात टेस्ट पारीयों में छह बार शून्य रन पर विकेट गंवाने के बाद, मर्वन अटापट्टू के क्रिकेट करियर को लगभग खत्म ही समझना चाहिए था। लेकिन यह ऐसा हुआ नहीं था। इसके बजाय, अटापट्टू ने अपने करियर को श्रीलंका के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में से एक के रूप में समाप्त कर और उनके नाम पर छह दोहरे शतक दर्ज हुए, जो कि टेस्ट में किसी भी सलामी बल्लेबाज के सबसे ज्यादा हैं।
वो अट्टापट्टू का कभी हार न मानने वाला रवैया ही था,जिसने उन्हें टेस्ट मैचों के करियर की इतनी भयावह शुरूआत को सुधारने का मौका दिया । हालांकि 'शून्य' के साथ उनका याराना आगे के क्रिकेट करियर में भी जारी रहा और अपनी 156 टेस्ट की पारी में, 22 मौकों पर उन्हें शून्य पर निपटाया गया। साथ ही दूसरी और ये श्रीलंकाई एक शानदार रन स्कोरर के रूप में भी जाना गया और 5 हज़ार रन से बनाने के साथ ही साथ उनके खाते में 16 शतक भी दर्ज हैं।