भारत के सबसे अनियमित खिलाड़ियों में से एक, मोहिन्दर अमरनाथ का करियर उतार चढ़ाव भरा रहा। 1983 में विश्वकप फाइनल में वह मैन ऑफ़ द मैच थे, लेकिन बस एक साल बाद ही राष्ट्रीय टीम से बाहर हो गये थे। उन्होंने अपने टेस्ट करियर में कई बार वापसी की और कठिन समय के दौरान रन बनाने के लिए जाना जाते थे। घूमती हुई गेंद उनकी कमजोरी थी और वह अक्सर उन गेंदबाजों द्वारा परेशान किये गये थे जो स्विंग बॉलिंग करते थे। हालांकि, उन्होंने अपने कैरियर के अंतिम चरण में घूमती गेंद के खतरे से निज़ात पाने का रास्ता खोज लिया लेकिन फिर भी वह अपनी पारी के शुरुआती भाग में छोटी गेंदों पर कमजोर बने रहे।
69 टेस्ट मैचों में, उन्होंने 42.50 के एक प्रभावशाली औसत से 4378 रन बनाए। उन्होंने 11 टेस्ट सेंचुरी के साथ अपना करियर समाप्त किया, जिसमें से नौ शतक विदेश में आए लेकिन उनकी रन बनाने के मामले में उनकी अनिरंतरता और तकनीकी कमजोरियों के कारण उनके पास टेस्ट करियर में 12 शून्य के स्कोर भी खाते में दर्ज़ हैं। उन 12 शून्य में से, वेस्टइंडीज के खिलाफ 1984 में छह पारियों में से पांच में बनाए गए थे। इन्ही 6 पारियों में 5 शून्य बनाने के चलते उन्हें उनका उपनाम "मिस्टर अमरनॉट" मिल गया।