पिछले कुछ सालों में भारतीय टीम, वनडे क्रिकेट में लक्ष्य का पीछा करने में सबसे बड़ी टीम बनकर उभरी है। वर्तमान भारतीय टीम में सभी खिलाड़ी काफी फिट हैं और उसका असर मैदान पर भी दिखता है। भारतीय टीम लक्ष्य का पीछा करने में काफी बेहतरीन मानी जाती है। भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली का रिकॉर्ड चेज करते हुए काफी शानदार है। उन्होंने कई जबरदस्त पारियां रनों का पीछा करते हुए खेली हैं और भारतीय टीम को जीत दिलाई है। वहीं जब राहुल द्रविड़ कप्तान थे तब भी भारतीय टीम ने कई मैच रनों का पीछा करते हुए जीते थे।
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यूं तो इस जोशीली भारतीय टीम ने पिछले सालों में कई बार लक्ष्य का पीछा करते हुए बड़े-बड़े मैच जीते हैं। लेकिन हम आपको भारतीय वनडे टीम की उन बेहतरीन 6 रन चेज के बारे में बारे में बताएंगे जो अब तक की सबसे यादगार रन चेज हैं।
1.नेटवेस्ट सीरीज फाइनल
2002 में नेटवेस्ट सीरीज के फाइनल में भारत ने इंग्लैंड को रोमांचक मुकाबले में मात दी थी। भारत ने उस फाइनल मुकाबले में 325 रनों के लक्ष्य का सफलतापूर्वक पीछा किया था जोकि उस वक्त काफी कठिन माना जाता था।
मोहम्मद कैफ और युवराज सिंह के बीच इस मुकाबले में जबरदस्त साझेदारी हुई थी। इस ऐतिहासिक मुकाबले में जीत के बाद कप्तान सौरव गांगुली ने जिस तरह लॉर्ड्स की बालकनी से अपनी शर्ट को हवा में लहराया था वो एक आइकॉनिक मोमेंट बन गया।
2.श्रीलंका के खिलाफ होबार्ट में विराट कोहली के 133 रन
2012 में कॉमनवेल्थ बैंक सीरीज के 11वें मैच में जब भारतीय टीम श्रीलंका के साथ मुकाबले के लिए उतरी तो ये उसके लिए करो या मरो वाला मैच था। नेट रन रेट की वजह से भारत को 321 रनों के विशाल टार्गेट को 40 ओवर के अंदर ही हासिल करना था। इसका मतलब ये हुआ कि भारतीय टीम को शुरुआत से ही 8 से ज्यादा की रन रेट रखनी थी।
इससे पहले भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया से 4-0 से टेस्ट सीरीज में हारकर आ रही थी और किसी को नहीं लग रहा था कि वो ये कारनामा कर पाएगी। लेकिन इस लक्ष्य को हासिल किया गया और वो भी अपने ही स्टाइल में। भारतीय टीम ने 321 रनों के लक्ष्य को महज 36.4 ओवर में ही हासिल कर लिया और इस मुकाबले से विराट कोहली की वर्ल्ड क्रिकेट में एक अलग ही पहचान बन गई। विराट कोहली ने सिर्फ 86 गेंद पर 133 रनों की जबरदस्त पारी खेली और भारतीय टीम को लक्ष्य तक पहुंचा दिया।
3. इंग्लैंड के खिलाफ 2017 में 3 विकेट से जीत
इंग्लैंड ने निर्धारित 50 ओवरों में 7 विकेट के नुकसान पर 350 रनों का बड़ा स्कोर खड़ा किया। ये भारत के खिलाफ उनका वनडे में सबसे बड़ा स्कोर था। इसके बाद मैच में एक ऐसा पड़ाव भी आया जब भारतीय टीम ने सिर्फ 63 रन पर 4 विकेट गंवा दिए। लेकिन इसके बाद विराट कोहली और केदार जाधव के बीच 200 रनों की साझेदारी ने पूरे मैच का पासा ही पलट दिया।
विराट कोहली 88 रन बनाकर आउट हो गए और केदार जाधव भी 120 रनों की शानदार पारी खेलकर आउट हो गए। लेकिन तब तक इंग्लैंड के लिए काफी देर हो चुकी थी और भारतीय टीम ने आसानी से लक्ष्य का पीछा कर लिया।
4. भारत vs ऑस्ट्रेलिया- दूसरा वनडे, जयपुर, 2013
भारत ने 2013 की इस बेहद रोमांचक वनडे सीरीज को 3-2 से अपने नाम किया था, लेकिन शायद ये पहली वनडे सीरीज थी, जिससे वर्ल्ड क्रिकेट को लगा था कि 350 से ज्यादा का स्कोर भी सेफ नहीं है।
सीरीज के दूसरे मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया ने भारत के सामने जीत के लिए 360 रनों का विशाल स्कोर रखा, लेकिन भारतीय टीम ने इस लक्ष्य को महज 43.3 ओवर में ही हासिल कर लिया। शिखर धवन और रोहित शर्मा ने पहले विकेट के लिए 176 रनों की जबरदस्त साझेदारी की। हालांकि धवन दुर्भाग्यशाली रहे और अपने शतक से महज 5 रन पहले 95 रन बनाकर आउट हो गए।
धवन के आउट होने के बाद विराट कोहली और रोहित शर्मा ने मोर्चा संभाला और टीम को लक्ष्य तक पहुंचा दिया। विराट कोहली ने सिर्फ 52 गेंद पर 100 रनों की विस्फोटक पारी खेली जो किसी भी भारतीय बल्लेबाज का सबसे तेज वनडे शतक है। वहीं रोहित शर्मा ने सिर्फ 123 गेंद पर 141 रनों की नाबाद पारी खेली और मैन ऑफ द मैच चुने गए।
5. पाकिस्तान के खिलाफ 2012 एशिया कप में विराट कोहली के 183 रन
2012 के एशिया कप में ग्रुप स्टेज में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए मुकाबले में कई रिकॉर्ड टूटे थे। पाकिस्तान ने पहले खेलते हुए 329 रनों का विशाल स्कोर बनाया था। नासिर जमशेद और मोहम्मद हफीज ने पहले विकेट के लिए रिकॉर्ड 224 रनों की साझेदारी की थी। लेकिन भारत ने इस लक्ष्य को 47.5 ओवर में ही आसानी से हासिल कर लिया था। ये उस समय भारतीय टीम का वनडे में सबसे सफल रन चेज था।
हालांकि इस मुकाबले को विराट कोहली की 183 रनों की जबरदस्त पारी के लिए याद किया जाता है। विराट कोहली का वनडे में ये सबसे बड़ा स्कोर भी है। इसके अलावा किसी भी भारतीय बल्लेबाज का वनडे में पाकिस्तान के खिलाफ ये सबसे बड़ा व्यक्तिगत स्कोर है। कोहली ने हाल ही में कहा था कि वो पारी उनके लिए गेम चेंजर थी।
6. वर्ल्ड कप फाइनल 2011
1983 में कपिल देव की अगुवाई में भारत ने पहली बार वर्ल्ड कप का खिताब अपने नाम किया था। 2011 में 28 साल बाद एक बार फिर भारतीय टीम ने इस ट्रॉफी को अपने नाम किया। गौतम गंभीर की 97 रनों की जुझारू पारी और एम एस धोनी की विस्फोटक बल्लेबाजी ने भारत को वर्ल्ड चैंपियन बना दिया था। ये वर्ल्ड कप के फाइनल में सबसे बड़े रन चेज का रिकॉर्ड भी था।
दर्शकों से खचाखच भरे वानखेड़े स्टेडियम में कैप्टन कूल एम एस धोनी ने भारत को एक यादगार जीत दिला दी। उन्होंने श्रीलंका के प्रमुख हथियार लसिथ मलिंगा की गेंदों पर मिडविकेट की दिशा में लगातार चौके लगाए और उसक बाद नुवान कुलसेखरा की गेंद पर छक्का लगाकर भारत को वर्ल्ड चैंपियन बना दिया।