# 2 रविचंद्रन अश्विन
इस ऑफ स्पिनर ने 2011 में वेस्टइंडीज के खिलाफ अपना पहला टेस्ट मैच खेला और मैच की दूसरी पारी में 6/47 के आंकड़े दर्ज किए। जब न्यूजीलैंड ने 2012 में भारत का दौरा किया, तब तमिलनाडु के गेंदबाज ने 13 रनों की शानदार औसत से सिर्फ दो मैचों में 18 विकेट लिए थे। तब से वह आगे ही बढ़ते रहे हैं। 6 '2' लंबे होने का मतलब है कि अश्विन को प्राकृतिक उछाल मिलता है। वह गेंद को फ्लाइट देने से डरते नहीं हैं और यह उनकी सफलता में एक प्रमुख भूमिका निभाता है। बीच में एक समय था, जब इस ऑफ स्पिनर ने बहुत ज्यादा प्रयोग करना शुरू कर दिया। हालांकि, पिछले कुछ सालों से उनकी विविधताएं ही रही हैं जिन्होंने उन्हें सफलता दिलायी है। 2012-13 की बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में अश्विन ने 29 विकेट लेकर सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज़ के रूप में इस श्रृंखला को समाप्त किया। उन्होंने 2014-15 में ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया और वह तीन मैचों में 12 विकेट लेने में सफल रहे। जब भारत ने कुमार संगकारा की विदाई श्रृंखला के लिए श्रीलंका का दौरा किया, तब तमिलनाडु के इस स्पिनर ने 21 विकेट लेकर सर्वाधिक विकेट लेने वाले खिलाड़ी के रूप में श्रृंखला समाप्त की। उन्होंने तीन मैचों की श्रृंखला में संगकारा को 4 बार आउट किया था। अश्विन को 2016 में "आईसीसी क्रिकेटर ऑफ द ईयर" और "आईसीसी टेस्ट क्रिकेटर ऑफ द ईयर" से नामित किया गया। उन्होंने डेनिस लिली को पछाड़ते हुए 300 टेस्ट विकेटों तक पहुंचने वाले सबसे तेज़ खिलाड़ी बनने का भी वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है। 31 वर्ष की आयु में अर्जुन पुरस्कार विजेता, आश्विन ने 26 बार पारी में पांच विकेट लिये हैं और तय है कि आने वाले समय में इस आंकड़े में वृद्धि ही होगी। फिलहाल, वह दुनिया के सर्वश्रेष्ठ स्पिनरों में शामिल हैं।