बतौर कप्तान एमएस धोनी के 6 यादगार पल

9 साल की यादगार और सफल यात्रा का अंत, भारत के सीमित ओवर के कप्तान एमएस धोनी ने कप्तानी से इस्तीफ़ा दे दिया है। 26 वर्ष के युवा के हाथ में टी-20 वर्ल्डकप की ट्राफी आते ही भारतीय प्रशंसकों में ख़ुशी की लहर दौड़ गयी थी। ये वह पल था, जहां एक युवा कप्तान के हाथ में पहले टी-20 वर्ल्डकप की ट्राफी हाथ में थी। जिसके नेतृत्व में कई सीनियर खिलाड़ी खेल रहे थे। आइये आज इस लेख के माध्यम हम आपको धोनी से जुड़े ऐसे 6 यादगार पलों के बारे में बता रहे हैं: आदतन ट्राफी दूसरों को सौंपना इसकी शुरुआत धोनी ने साल 2007 में टी-20 वर्ल्डकप के जीतने के बाद की थी। धोनी और कंपनी ने दुनिया को हैरान करते हुए पाकिस्तान को फाइनल मैच में जोहान्सबर्ग में 5 रन हराकर भारत ने कप जीता था। धोनी ने अपने साथियों को ट्राफी पकड़ाकर उन्हें जश्न मनाने का मौका दिया और पीछे खड़े हो गये। ये धोनी युग की शुरुआत थी। साल 2011 के वर्ल्डकप में भी धोनी ने ट्राफी सचिन और पीयूष चावला को पकड़ा दिया था। उसके बाद साल 2013 में धोनी ने चैंपियंस ट्राफी जीतने के बाद कप जडेजा और धवन को पकड़ा दिया था। धोनी सभी सीरिज में यही काम किया वह कप लाकर अपने साथियों को दे देते थे। गांगुली को आखिरी टेस्ट में कप्तानी करने का मौका दिया गांगुली ने कहा कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि धोनी ऐसा करेंगे। साल 2008 में नागपुर में गांगुली अपना आखिरी टेस्ट मैच ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेल रहे थे। जहां धोनी ने उन्हें अंतिम पारी में कप्तानी करने को कहा था। इस मैच में आपको दादा फील्ड लगाते और गेंदबाज़ी परिवर्तन करते देखे गये। धोनी उनके लिए ये करना चाहते थे। क्योंकि धोनी को कप्तानी मिले एक ही साल हुआ था। ऑस्ट्रेलिया का 9वां विकेट गिरने के बाद धोनी ने गांगुली को ये जिम्मेवारी पूरी तरह से सौंप दिया। जिससे दर्शकों को एक बार प्रिंस ऑफ़ कोलकाता की कप्तानी याद आ गयी थी। वर्ल्डकप के फाइनल में धोनी खुद 5वें नम्बर पर बल्लेबाज़ी करने उतरे सभी स्ट्रोक्स खेलने में महारथ रखने वाले गंभीर और विराट कोहली श्रीलंका के 275 रन के स्कोर का पीछा कर रहे थे। लेकिन जब भारत को 161 रन बनाने थे, तभी विराट कोहली आउट हो गये। सबको पता था कि फॉर्म में चल रहे युवराज सिंह बल्लेबाज़ी के लिए जायेंगे। लेकिन सबको हैरानी में डालते हुए धोनी मैदान पर उतरे। तब के भारतीय कोच गैरी कर्स्टन ने बताया कि धोनी ने खुद पर भरोसा करते हुए फाइनल मैच में तब बल्लेबाज़ी करने उतरे थे। दूसरा विकेट गिरने के बाद धोनी ने ड्रेसिंग रूम का दरवाजा खटखटाया और कहा कि अगले क्रम पर वह बल्लेबाज़ी के लिए मैदान पर जायेंगे। कर्स्टन कहते है कि धोनी ने खुद को बतौर कप्तान आगे किया बाकी तो हम सबको पता है इतिहास गवाह है। इशांत शर्मा से चैंपियंस ट्राफी 2013 में गेंदबाज़ी सौंपना 3 ओवर बचे थे मेजबान इंग्लैंड को 28 रन जीत के लिए चाहिए थे। ये चैंपियंस ट्राफी का फाइनल मैच था। इयोन मॉर्गन और रवि बोपारा मैदान पर थे। मॉर्गन की स्ट्राइक पर थे, इशांत शर्मा इससे पहले तीन ओवर में 27 रन डे चुके थे। इशांत की आखिरी गेंद को बोपारा ने मिडविकेट पर छक्का जड़ा था। 18वे ओवर की शुरुआत डॉट बॉल से हुई। मॉर्गन इशांत की अगली दो गेंदें वाइड हो गयी थीं। समीकरण अब 16 गेंद 20 रन हो गया था। लेकिन इशांत की स्लोवर पर मॉर्गन ने अश्विन को कैच थमा दिया। इशांत ने उसके बाद बोपारा को भी अश्विन के हाथों कैच करवा दिया। उसके बाद अगला रन अंतिम दो गेंदों में आया। उसके बाद जडेजा और अश्विन ने भारत को इस मैच में 5 रन से जीत दिला दी। विराट कोहली को साल 2013 में त्रिकोणीय सीरिज की ट्राफी देना चैंपियंस ट्राफी जीतने के बाद भारत कैरेबियाई दौरे पर तीन देशों की वनडे सीरिज खेलने गया था। जहां वेस्टइंडीज के अलावा श्रीलंका तीसरी टीम थी। धोनी पहले मैच में हैमस्ट्रिंग की वजह से बाकी सीरिज में नहीं खेले थे। जिसके बाद विराट कोहली ने टीम की कप्तानी की थी। टीम फाइनल में पहुंची और धोनी की वापसी हुई और आखिरी ओवर में धोनी ने 15 रन बनाकर टीम को विजेता बनाया। रांची के इस क्रिकेटर ने पहली चार गेंदों पर चार चौके जड़कर टीम को इंडिया को विजेता बना दिया। पुरस्कार वितरण समारोह में धोनी ने बड़प्पन दिखाते हुए विराट को बुलाया और ट्राफी उन्हें पकड़ा दी। क्योंकि सीरिज में ज्यादातर मैचों में विराट ही कप्तान रहे थे। टी-20 वर्ल्डकप 2014 के सेमीफाइनल में विराट कोहली को विजयी रन बनाने का मौका देना साल 2014 में धोनी की कप्तानी में भारत टी-20 वर्ल्ड के सेमीफाइनल में पहुंचा था। जहां टीम ने दक्षिण अफ्रीका को हराकर फाइनल में जगह बनाई थी। बांग्लादेश में हुए इस टूर्नामेंट में टीम इंडिया 173 रन का पीछा करने उतरी थी। जहां रोहित, रहाने और रैना के बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए टीम को विजेता बना दिया। इस मैच में वह नजारा दखने लायक था। जब 7 गेंदों में जीत के लिए 1 रन बनाने थे। धोनी स्ट्राइक पर थे। जबकि कोहली 43 गेंदों में 68 रन बनाकर खेल रहे थे। धोनी ने हेंड्रिक की शार्ट गेंद पर भी एक रन नहीं लिया। क्योंकि वह चाहते थे कि मैच का विजयी रन कोहली के बल्ले से आये। एमएस धोनी बतौर कप्तान बहुत ही शांत स्वभाव के थे, लोग उन्हें जरुर मिस करेंगे!

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