क्रिकेट में 1990 के बाद से काफी बदलाव आया हैं और इसमें जो भी बदलाव आया है, उससे क्रिकेट में काफी लोकप्रियता भी आई है और उपमहाद्वीप में भी क्रिकेट काफी फेमस हुआ हैं। 90 के दशक के अंत में काफी खिलाड़ियों ने अपनी इंटरनेशनल क्रिकेट का आगाज किया और काफी समय तक उन्होंने क्रिकेट खेला भी। हालांकि उनमें से ज़्यादातर खिलाड़ी अब रिटायर हो चुके हैं , लेकिन कुछ खिलाड़ी अभी भी खेल रहे हैं। आइये नज़र डालते हैं, उन 6 क्रिकेटर्स पर, जिन्होंने अपने करियर का आगाज 90 के दशक में किया। # क्रिस गेल गेल को इंटरनेशनल क्रिकेट में आए हुए लगभग 17 साल हो चुके है और इस बीच उनका विवाद लगातार वेस्ट इंडीज क्रिकेट बोर्ड से रहा है, लेकिन फिर भी उनकी गिनती टी-20 क्रिकेट में सबसे खतरनाक बल्लेबाजों में होती हैं। गेल ने अपनी करियर में काफी रिकॉर्ड तोड़े हैं और उनके नाम दो ट्रिपल सेंचुरी भी हैं। गेल ने अपने करियर में अब तक 100 से टेस्ट मैच और 250 से ज्यादा वनडे खेलें हैं और दोनों फॉर्मेट में 7,000 से ऊपर रन हैं। हालांकि टी-20 फॉर्मेट को उन्होंने मानों अपना ही बना लिया है। उनके नाम क्रिकेट के इस छोटे फॉर्मेट में 2 इंटरनेशनल और 17 डोमेस्टिक सेंचुरी दर्ज हैं। उन्होंने वेस्ट इंडीज के लिए अपना पहला मैच सितंबर 1999 में इंडिया के खिलाफ टोरनोटो में खेला था। वो उस मैच में ब्रायन लारा से ऊपर बल्लेबाज़ी करने और वो सिर्फ एक रन ही बना पाए, उन्हें रॉबिन सिंह ने बोल्ड किया। वो वनडे क्रिकेट कम ही खेलते है, लेकिन वो मार्च में हुए टी20 विश्व कप में टीम का हिस्सा थे, जिसे वेस्ट इंडीज ने ही जीता था । # शोएब मलिक 90 के दशक के अंत और 2000 के शुरुआत में काफी युवा खिलाड़ियों ने टीम में अपनी जगह बनाई, शोएब मलिक ने पहले मैच से ही अपने टैलेंट की झलक दिखा दी थी, जब बांग्लादेश के खिलाफ 2001 में उन्होंने पहले ही टेस्ट मैच में शतक लगाया था। हालांकि वनडे क्रिकेट में उनका डैब्यू 1999 में ही हो गया था, वो जब 17 साल के थे और टीम काफी बदलाव के दौर से गुजर रही थी और यहाँ तक की जावेद मियांदाद ने वर्ल्ड कप से पहले टीम के कोच पद से इस्तीफा दे दिया था। पहले वनडे में उन्होंने एक ऑफ स्पिनर के रूप में शुरुआत की और 8 ओवर डाले और शेरविन कैंपबैल और रिचार्डो पोवेल का विकेट हासिल किया। 2001 के बाद से टीम के नियमित सदस्य बन गए थे। उनका प्रदर्शन बल्ले के साथ काफी अच्छा रहा, जिस कारण उन्हें बल्लेबाज़ी के लिए ऊपर प्रोमोट किया जाने लगा। उन्होंने 232 वनडे मैच में 151 विकेट हासिल किए हैं। वो टीम के कप्तान भी रहे है और अपने 17 साल के करियर के बाद भी वो टीम के मिडल ऑर्डर की जान हैं। # रंगना हेराथ टेस्ट फॉर्मेट में रंगना हेराथ श्रीलंका के नंबर वन स्पिनर हैं, वो वनडे और टी-20 क्रिकेट से इस साल पहले ही सन्यास ले चुके है। 39 वर्षीय इस स्पिनर ने अपना पहला मैच 1999 में खेला था। लेकिन वो टीम में अपनी जगह पक्की नहीं कर सके। टीम में मुथैया मुरलीधरन जैसे स्पिनर के रहते उनका जगह बनाना काफी मुश्किल था और वो 2000 के अंत में गायब से हो गए। उसके बाद उन्होंने 2004, 2008 और 2010 में टीम में वापसी की। हेराथ को टेस्ट में अपनी जगह बनाने के लिए मुरली के रिटायर होने का इंतज़ार करना पड़ा। हेराथ ने अब तक 70 टेस्ट खेले हैं और उन्होंने अब तक 304 विकेट हासिल किए है वो भी लगभग 30 की औसत से और इस बीच उनका स्ट्राइक रेट 65 का रहा। उन्होंने के पारी में 23 बार 5 या उससे ज्यादा विकेट लिए हैं और 5 बार एक टेस्ट में 10 विकेट हासिल किए हैं। वो इस युवा श्रीलंका की टीम को अनुभव प्रदान कर रहे हैं। # हरभजन सिंह भारत के सबसे सफल ऑफ स्पिनर्स में एक हरभजन सिंह हाल ही में 36 साल के हुए है, वो इस समय टीम के नियमित सदस्य नहीं है, पर उन्होंने टीम के लिए गेंद के साथ कई बार शानदार प्रदर्शन किया है। उनका इंडिया के आखिरी मैच 2015 में खेला था, लेकिन वो टी-20 टीम के सदस्य रहे है और इस साल ही उन्होंने टीम में वापसी की थी। वो टीम से पूरी तरह से बाहर नहीं हुए हैं, लेकिन अश्विन की फॉर्म को देखते हुए, उनका वापसी करना काफी मुश्किल ही नज़र आता हैं। भज्जी ने भारत के लिए टेस्ट में सबसे पहले हैटट्रिक ली हैं, उन्होंने टेस्ट में 1998 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आगाज किया। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मिली जीत में उनके नाम 2 विकेट रहे। न्यूज़ीलैंड के खिलाफ अपने पहले वनडे में उन्होंने एक अच्छा स्पैल डाला और मैट होर्ने का विकेट हासिल किया। हरभजन ने अब तक 417 टेस्ट विकेट और 269 वनडे विकेट हासिल किए हैं। # तिलकरतने दिलशान दिलशान का करियर दो भागों में रहा है, एक 2009 से पहले का जब वो टीम में एक ऑल राउंडर की भूमिका निभाते थे और मिडल ऑर्डर में बल्लेबाज़ी करने आते थे। 2009 के बाद से उनके करियर ने नई उड़ान भरी और वो श्रीलंका की टीम के शॉर्ट फॉर्मेट में सबसे सफल बल्लेबाज़ बने। उन्होंने अपना ट्रेडमार्क शॉट भी इनवेंट किया जिसका नाम था दिलस्कूप, जोकि विकेट कीपर से खेला जाता था। 2009 में उन्होंने 55.82 की औसत से तीनों फॉर्मेट में 2568 रन बनाए, जिसमे 10 शतक शामिल थे। उनका पर्पल पैच 2011 तक चला और वो 2011 विश्व कप में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज़ भी थे। दिलशान ने अपना पहला टेस्ट मैच 1999 में खेला, जहां उन्होंने ज़िम्बाब्वे के खिलाफ अपनी पहली ही सीरीज के एक मैच में नाबाद रहते हुए 163 रन बनाए। उनका वनडे क्रिकेट में आगाज उसी साल दिसंबर में हुआ और 6 नंबर पर खेलते हुए उन्होंने 36 रन बनाए और वो गैरी ब्रैंट की गेंद पर स्टंप आउट हो गए थे। हालांकि वो टेस्ट में श्रीलंका के लिए 2013 तक ही खेल, लेकिन वनडे और टी-20 में वो अभी टीम का हिस्सा हैं। दिलशान के नाम 15,000 इंटरनेशनल रन उयर 150 विकेट इनके नाम दर्ज हैं। # शाहिद अफरीदी शाहिद अफरीदी हमेशा से ही चर्चा के विषय रहे हैं। उन्होंने 1996 में अपने डैब्यू मैच में शानदार शतक लगाया था। इसके अलावा 16 साल की उम्र में उन्होंने 37 गेंदों पर अपना शतक पूरा किया था, हालांकि इसके अलावा वो वनडे में सिर्फ 5 शतक और लगा पाए, जोकि 2015 विश्व कप तक चला। उनकी लेग स्पिन हमेशा ही उनके लिए काफी फायदेमंद साबित हुई और टीम ने काफी मैच भी जीते। उनकी बल्लेबाज़ी से कई बार मैच का रुख भी बदला। वो टेस्ट में 2006 में रिटायर हो गए, लेकिन 2010 में उन्होंने टीम में वापसी की और कुछ मैच खेलने के बाद वो दोबारा रिटायर हो गए। अफरीदी ने 397 वनडे मैच खेले और उसमे 8000 से ज्यादा रन और 395 विकेट भी हासिल किए हैं। उन्होंने अपना पहला टेस्ट 1998 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेला और पहली ही पारी में 5 विकेट हासिल किए। वो वनडे और टेस्ट से रिटायर हो चुके हैं, लेकिन वो अभी भी टी-20 क्रिकेट खेल रहे हैं। उन्हें क्रिकेट खेलते हुए 20 साल हो गए हैं। लेखक- आद्या शर्मा, अनुवादक- मयंक महता