6 खिलाड़ी जो क्रिकेट इतिहास में अपनी थ्रो के लिए जाने जाते है

एबी डीविलियर्स

फ़िल्डिंग खेल का काफी मुश्किल हिस्सा है। हालांकि इस पर बल्लेबाजी और गेंदबाजी से कम काम किया जाता है, पर यह किसी भी टीम को मैच जीता सकती है। आज के समय में क्रिकेटर्स ने फ़िल्डिंग की अहमियत को समझा है, इसीलिए सभी टीमों के पास खास फ़िल्डिंग कोच है। वो खास तौर पर ट्रेनिंग देते है, जिससे उनकी तेजी और दम से फील्ड पर अपना दबदबा कायम करते है। फ़िल्डिंग का एक अहम हिस्सा थ्रो होता है। काफी बार बाउंड्री पर खड़े फील्डर्स का मजबूत थ्रो वाले हाथ होना नजदीकी मैचों में अहम हो जाता है। पारी के अंत में भी मजबूत थ्रो वाले हाथ होने का फायदा होता है, जब खिलाड़ी एक रन को दो में बदलने की कोशिश करते है। ऐसे समय में खिलाड़ी तेज थ्रो देकर रन बचा सकते है, जो मैच बचाने में सहायक होते है। यहाँ हम आपको बताएँगे ऐसे ही विश्व के 5 खिलाड़ियों के बारे में:

1. एबी डीविलियर्स

[caption id="attachment_15407" align="alignnone" width="635"] एबी डीविलियर्स[/caption] ये आज के क्रिकेट के सबसे बेहतरीन खिलाड़ी है। आज से कुछ साल बाद, एबी डीविलियर्स को खेल खेलने के तरीके को बदलने के लिए जाना जाएगा। वो अपनी असाधारण प्रतिभा के कारण किसी भी बल्लेबाजी और फ़िल्डिंग की लिस्ट में शामिल हो सकते है। दक्षिण अफ्रीका का यह खिलाड़ी निश्चित ही सबसे बेहतरीन फील्डर्स में से एक है। वो मैदान पर बिजली की तरफ तेज होते है और गेंद इनकी तरफ आने पर ये विरोधी खिलाड़ी को रन लेने से पहले सोचने पर मजबूर कर देते है। यह माना जा सकता है की इनके मजबूत हाथ और कंधे भगवान का दिया हुआ तौहफा है। वो हर तरफ से एक सच्चे एथलीट है, इसके लिए उनका क्रिकेट को अपनाने से पहले दूसरे खेल खेलने का अनुभव भी अहम है। वो आज के समय में विश्व के सबसे आक्रामक और रोचक बल्लेबाज है। वो एक शानदार विकेट-कीपर भी रहे पर उनका सही एथलीट रूप तब देखने को मिला जब उन्होंने विकेट-कीपिंग छोड़े और फ़िल्डिंग की शुरूआत की। 2006 में कोई नहीं भूल सकता जब एबी डीविल्लियर्स ने अर्ध-शतक तक आने वाले साइमन केटीच को शानदार तरीके से रन-आउट किया था। केटीच ने गेंद को धीरे से मिड-ऑफ की तरफ खेला, डीविल्लियर्स ने एक्स्ट्रा कवर से कूद कर गेंद को रोका। उसके बाद उन्होंने अपनी तेजी और फुर्ती का परिचय देते हुये गेंद को नॉन-स्ट्राइकर की तरफ फेंक कर विकेट उड़ा दिये और उन्हें आउट किया।

2. जोंटी रोड्स

[caption id="attachment_15406" align="alignnone" width="594"]जोंटी रोड्स जोंटी रोड्स[/caption] जब क्रिकेट इतिहास में तेज थ्रो को याद किया जाता है, तो जोंटी रोड्स को भूलना नामुमकिन है। यह खिलाड़ी रन-आउट करने के लिए जाना जाता है, जब कोई मौका भी ना हो, वो हवा में ही गेंद को पकड़कर फेंक देता था। दक्षिण अफ्रीका का यह खिलाड़ी बाउंड्री रोकने और गेंद को गोली की तरह फेंकने लिए जाना जाता था। वो देखने लायक खिलाड़ी थे। 90 के दशक में रोड्स ने फील्ड पर कूदने को प्रसिद्ध कर दिया था। दाक्षिन अफ्रीकी खिलाड़ी फील्ड पर ज्यादा तेज होते है, क्योंकि वो अपने वहाँ अच्छा मौसम होने के कारण हमेशा बाहर ही रहते है। वहाँ कोई बारिश या बर्फबारी का मौसम नहीं होता, जिससे वो खेल पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान दे सकते है। 1999-2003 के बीच में 94 मैचों में वो 0.1595 की औसत से 15 रन-आउट का हिस्सा रहे थे। इससे फर्क नहीं पड़ता था की रोड्स कहाँ पर फ़िल्डिंग कर रहे है, उन्हें पता होता था की कैसे गेंद पर कूदना है और थ्रो करना है।

3. अजिंक्य रहाणे

[caption id="attachment_15405" align="alignnone" width="693"]अजिंक्य रहाणे अजिंक्य रहाणे[/caption] अजिंक्य रहाणे ऐसे भारतीय फील्डर है, जिनकी जगह इस लिस्ट में बनती है। वो ऐसे है जिन्हें उनके कमजोर शरीर के कारण उन्हें कमजोर आँका जाता है। वो छोटे है, पतले है, जिससे यह पता नहीं चलता की वो इतना तेज और सटीक थ्रो कर सकता है। हालांकि इस महाराष्ट्रीयन के हाथ और कंधे काफी ज्यादा मजबूत है। शायद काफी ज्यादा ट्रेनिंग से उनके थ्रो करने की क्षमता बढ़ गई है। वो कराटे में ब्लैक बेल्ट भी है, जिसके कारण उनके हाथ काफी ज्यादा सटीक है। वो अपनी फुर्ती और गेंद के साथ तेजी से किसी को भी आश्चर्यचकित कर सकते है। उनके थ्रो काफी तेज और एकदम सटीक होते है और सीधे विकेटों के जाकर लगते है।

4. कॉलिन ब्लेंड

[caption id="attachment_15404" align="alignnone" width="440"]कॉलिन ब्लेंड कॉलिन ब्लेंड[/caption] केनेथ कॉलिन ब्लेंड दाक्षिन अफ्रीका के लिए 1961-1966-67 में क्रिकेट खेले है। वो र्होडेसिया (अब ज़िम्बाब्वे में है) में जन्मे है, जो देश टेस्ट खेलने वाले देशों में से नहीं है। वो विभाजन से पहले खेलते थे, उन्होंने फ़िल्डिंग से अपना नाम कमाया था। वो हर तरह से कवर के सबसे बेहतरीन फील्डर और सबसे शानदार थ्रोवर थे। ब्लेंड एक शानदार ऑल-राउंडर थे, जो रग्बी के लिए चुने जाने के बाद क्रिकेट खेलने का तय किया। उनकी तरह ही जोंटी रोड्स भी हॉकी के खिलाड़ी थी। वो तेज भागते हुये भी विकेट को मारने के लिए जाने जाते थे। उनके 80 मीटर दूरी के थ्रो भी पलक झपकते ही आ जाते थे और इतनी दूरी से भी वो सीधे विकेटों पर आकर लगते थे। उनके ऐसे ही थ्रो के कारण उनका नाम ‘गोल्डन ईगल’ पड़ा था।

5. कीथ बॉयस

[caption id="attachment_15403" align="alignnone" width="800"]कीथ बॉयस कीथ बॉयस[/caption] कीथ बॉयस एक वेस्टइंडीज के खिलाड़ी है, जिन्होंने 1971 से 1976 के बीच 21 टेस्ट और 8 एकदिवसीय खेले थे। एक शानदार ऑल-राउंडर होने के अलावा, बॉयस एक शानदार फील्डर भी थे। उनकी काफी तेज दौड़ते थे, और शानदार कैच लिया करते थे। इससे भी ज्यादा वो सबसे ज्यादा सीधा और नीचा थ्रो करते था, जो गोली की तरह सीधा विकेट-कीपर के दस्तानों में जाता था। बॉयस ऐसे खिलाड़ी के रूप में जाने जाते थे, जो कभी आराम नहीं करना चाहते थे। इसके बावजूद भी उन्हें उनकी मर्जी के बिना एक मैच का अवकाश दिया गया था – जहां भी वो फ़िल्डिंग के लिए अतिरिक्त खिलाड़ी के तौर पर मैदान पर आए थे। जब घरेलू टीम को फ़िल्डिंग की आवश्यकता थी, तो वो 12 वें खिलाड़ी के तौर पर फ़िल्डिंग के लिए मैदान पर आए थे। उनकी शारीरिक शक्ति असाधारण थी। फील्ड पर उनका तेज थ्रो शानदार होता था। लॉर्ड्स पर ईसेक्स की और से खेलते हुये उनके थ्रो ने पूरे प्रसंशकों का ध्यान अपनी और खींच लिया था। वहाँ उन्होंने एक बाउंड्री को कूद कर रोका था, गेंद को पकड़ा और एक झटके में थ्रो किया और गेंद को विकेट-कीपर की तरफ फेंक दिया था। इस थ्रो को सबसे शानदार थ्रो माना गया था।

6. फैनी डीविलियर्स

[caption id="attachment_15402" align="alignnone" width="500"] फैनी डीविलियर्स फैनी डीविलियर्स[/caption] ट्रांसवाल के तेज गेंदबाज क्रिकेट खेलने वाले देशों में प्रसंशकों के सबसे पसंदीदा खिलाड़ी थे। फैनी डीविलियर्स की क्रिकेट की जिंदगी सभी से काफी अलग रही थी। वो वेरीनिजिंग में पैदा हुये जो दक्षिण अफ्रीका के क्रिकेट के मौहोल से काफी दूर है, पर उनकी शानदार गेंदबाजी प्रतिभा के कारण उन्हें नॉर्थ ट्रांसवेल की टीम में जगह मिल गई। उनके थ्रो काफी शानदार हुआ करते थे। वो अपने स्कूल के दिनों में वो सभी उम्र के ग्रुप्स में जेवेलिन थ्रो में चैम्पियन हुआ करते थे। उनके आउट-फील्ड से थ्रो काफी ज्यादा सीधे और तेज होते थे। उन्होंने खुद एक बार माना की वो सबसे अच्छे एथलीट नहीं है। इस दक्षिण अफ्रीकी खिलाड़ी की जेवेलिन थ्रो के दौरान कमर में चौट लग गई थी, जिसकी बाद में सर्जरी हुई थी। लेखक- इंद्रसेना मुखोपध्याय, अनुवादक- आदित्य मामोड़िया

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