6 अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी जो संन्यास लेने के बाद भी राष्ट्रीय टीम में वापसी करने में सक्षम हैं

पिछले कुछ सालों में हमने बहुत से बड़े नामों को क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास लेते देखा है। उनकी अनुपस्थिति ने निश्चित रूप से उन टीमों में एक बड़ा अंतर पैदा किया है और अभी तक उनकी टीम में इन सेवानिवृत्त खिलाड़ियों की जगह कोई उचित बदलाव नहीं हुआ है। इनमें से बहुत सारे क्रिकेटर वर्तमान में घरेलू क्रिकेट खेल रहे हैं और बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। ये कुछ ऐसे खिलाड़ी हैं जो राष्ट्रीय टीम में वापसी कर सकते हैं और अपने देश के लिए एक बार फिर से खेल सकते हैं। श्रीलंका- कुमार संगकारा ठीक एक शराब की तरह श्रीलंका के पूर्व कप्तान कुमार संगकारा उम्र के साथ और भी बेहतरीन होते गये हैं। वह तीनों प्रारूपों में श्रीलंका के लिए वापसी कर सकते हैं और एक बार फिर से टीम के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज बन सकते हैं। जब श्रीलंका के ज्यादातर बल्लेबाज फिलहाल फॉर्म के लिए संघर्ष कर रहे हैं, संगकारा ने बल्लेबाज के रूप में खुद को और भी विकसित किया है और उन्होंने इंग्लैंड के काउंटी डिवीजन 1 में सरे के लिए शानदार शतक बनाया। कुछ ही दिन पहले संगकारा ने इस सीजन का अपना आठवां शतक लगाया था। शतकों के अलावा उन्होंने 13 पारियों में 3 अर्धशतक भी लगाये। इस सीजन में वह सरे की तरफ से खलबली मचा रहे हैं और कई रिकॉर्ड तोड़ चुके हैं। उनके पास एकल घरेलू सीजन में सबसे अधिक शतक बनाने का रिकॉर्ड भी है। अपने फॉर्म के साथ वह निश्चित रूप से श्रीलंका को इस मुश्किल स्थिति से बाहर निकालने में मदद कर सकते हैं और फिर से उसे एक पावरहाउस टीम बना सकते हैं। वेस्टइंडीज- शिवनारायण चन्द्रपॉल

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शायद सबसे महान टेस्ट बल्लेबाजों में से एक शिवनारायण चंद्रपाल को वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड और खिलाड़ियों के बीच की समस्याओं के कारण अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से रिटायरमेंट लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। हालांकि रिश्तों में सुधार के साथ और कुछ खिलाड़ी फिर से वापसी कर रहे हैं ऐसे में चंद्रपॉल का टेस्ट टीम में एक बार फिर से वापस आना फायदेमंद साबित हो सकता है। अपने अपरंपरागत रवैये के बावजूद उनके पास सबसे मजबूत तकनीकों है और वह क्रीज पर एक अत्यंत स्थिर बल्लेबाज हैं। उनके पास पारी को आगे बढ़ाने और बड़ी साझेदारी निभाने की क्षमता है साथ ही साथ वह गेंदबाजों को भी परेशान करने में सक्षम हैं। वह वर्तमान में लंकाशायर के लिए काउंटी डिवीजन में खेल रहे हैं। उन्होंने वेस्टइंडीज के लिए 164 टेस्ट मैच खेले हैं और 51.37 की औसत से 11867 रन बनाए हैं, जिसमें 66 अर्धशतक और 30 शतक शामिल हैं। इंग्लैंड – मार्कस ट्रेस्कोथिक

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जब से एंड्रयू स्ट्रॉस ने 2012 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लिया है तब से इंग्लैंड क्रिकेट टीम की बल्लेबाजी लाइन-अप में थोड़ी कमजोर हो गई है। तब से लेकर अब तक इंग्लैंड ने दस से अधिक सलामी बल्लेबाजों को आजमाया है, लेकिन कोई भी बल्लेबाज टेस्ट या वनडे में लंबे समय तक रन नहीं बना सका है। पिछले एक साल में ही उन्होंने तीन सलामी बल्लेबाजों कीटॉन जेनिंग्स, हसीब हमीद और बेन डकेट को मौका दिया है। ट्रेस्कोथिक इंग्लैंड के सबसे बेहतरीन सलामी बल्लेबाजों में से एक थे। दुर्भाग्यवश उन्होंने निजी कारणों की वजह से अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया। हालांकि वह इस सीजन में काउंटी सर्किट पर वापसी करते हुए समरसेट के लिए खेल रहे हैं और लगातार रन बना रहे हैं। वह टेस्ट मैचों में एलिएस्टर कुक के लिए सही पार्टनर हो सकते हैं जब तक कि इंग्लैंड की टीम अच्छा सलामी बल्लेबाज नहीं ढूंढ पाती है। न्यूजीलैंड- ब्रैंडन मैकलम

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इंग्लैंड टीम की ही न्यूजीलैंड टीम की समस्या भी सलामी बल्लेबाजी ही है। ब्रैंडन मैकलम के संन्यास के बाद उनकी टीम में अच्छे सलामी बल्लेबाजी की कमी हो गई है। न्यूजीलैंड का यह पूर्व कप्तान अपनी टीम के लिए सबसे अच्छे सलामी बल्लेबाजों में से एक था। उनके पास अपने दिन में विपक्षियों को तहस नहस करने की क्षमता थी। वह वनडे की तरह ही टेस्ट मैचों में भी उतने ही आक्रामक थे और ऐसा कुछ उन्हें प्रशंसकों द्वारा याद किया जाता है। न्यूजीलैंड टीम की मौजूदा जोड़ी जीत रावल और टॉम लैथम उतनी सफल नहीं रही है। ऐसे में मैकलम आसानी से टीम में वापसी कर सकते हैं और शीर्ष क्रम में मौजूदा टीम की समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकते है। उन्होंने अपने करियम में न्यूजीलैंड के लिए 101 टेस्ट मैच खेले और 31 अर्धशतक और 12 शतकों के साथ 38.64 के औसत से 6453 रन बनाए। पाकिस्तान- मिस्बाह उल हक

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पाकिस्तान क्रिकेट को लंबे समय के बाद मिस्बाह-उल-हक के रुप में एक अच्छा कप्तान मिला था। मिस्बाह उल हक को निश्चित तौर पर यूनुस खान के साथ मध्यक्रम में याद किया जाता है।हालांकि ग्रीन ब्रिगेड का प्रदर्शन खेल के छोटे प्रारूपों में अच्छा रहा है लेकिन उनके टेस्ट के परिणाम सर्वश्रेष्ठ नहीं रहे हैं। कप्तानी के प्रति मिस्बाह की शांत और बेहद दिमागी दृष्टिकोण ने उन्हें पाकिस्तान का सबसे सफल टेस्ट कप्तान बना दिया, जो पहले कभी नहीं था। मिस्बाह ने 46 टेस्ट मैचों में पाकिस्तान का नेतृत्व किया जिसमें से टीम को 22 में जीत, 11 ड्रॉ के साथ 13 में हार मिली। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत बहुत देर से की और 35 वर्ष की उम्र के बाद बल्लेबाजी करते हुए सबसे अधिक प्रभावशाली रहे। कुल मिलाकर उन्होंने पाकिस्तान के लिए 75 टेस्ट मैच खेले और उन्होंने 46.62 के औसत से 39 अर्धशतकों और दस शतकों के साथ 5222 रन बनाये। भारत- जहीर खान

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भारतीय क्रिकेट टीम के पास बल्लेबाजी और गेंदबाजी विभाग में एक अत्यंत संतुलित पक्ष है। उनके पास गेंदबाजी आक्रमण में उमेश यादव, मोहम्मद शमी, भुवनेश्वर कुमार, और जसप्रीत बुमराह शामिल हैं। पिछले कुछ सालों में जिनको काफी सफलताएं मिली है। यदि किसी चीज की कमी है तो वो है एक बाएं हाथ के तेज गेंदबाज की मौजूदगी। जहीर खान इस भूमिका में बिल्कुल सटीक बैठते हैं। जब वह घरेलू टूर्नामेंट में खेलते हैं तब अपनी चमक उसी तरह से बिखेरते रहते है। वर्तमान भारतीय गेंदबाजी लाइन-अप में उनके आने से टीम इंडिया में चार चांद लगा सकते हैं और निश्चित रूप से भारत को घर के बाहर भी जीत मिलने लगेगी। लेखक- राजदीप पुरी अनुवादक- सौम्या तिवारी