खेल की भावना को शर्मिंदा करने वाली ऑस्ट्रेलिया के 6 हरकतें

मैच का एक दृश्य

जब 1981 में ट्रेवर चैपल ने अंडरआर्म गेंद कराई और न्यूज़ीलैंड को उनकी जीत से वंचित किया है तब से ही ऑस्ट्रेलियन टीम के जोश से खेलो, जम के खेलो और गर्व से खेलो का सिद्धांत फ़ेल हो गया है। पिछले काफ़ी समय से ऑस्ट्रेलिया ही क्रिकेट के जगत पर राज करती दिख रही है पर उनकी जीत का श्रेय सिर्फ़ उनकी मेहनत और लगन नहीं है। बल्कि उनकी अनैतिक तरीक़ों से खेलना भी एक महत्त्वपूर्ण चीज़ है। उन्होंने खेल को एेसे स्थान पर पहुँचा दिया है जहाँ जीत के लिए गलत तरीके अपनाना बिलकुल ठीक है। और खिलाडी हमेशा ही इन तरीक़ों की वकालत जज़्बे से करते हैं। चैम्पियन वो नहीं होता जो जीत के ट्रॉफ़ी घर ले जाए। पर क्या ऑस्ट्रेलिया बेहतरीन टीम है? यह एक व्यंग्यात्मक प्रश्न है। हाल ही में जब इंग्लैंड के बल्लेबाज बेन स्टोक्स को खेल में बाधा डालने के लिए आउट कर दिया गया था तब यह बात सामने आई थी कि वे मिचल जॉनसन की गेंद से अपना बचाव कर रहे थे। लोगों ने सच जानकर कहा कि कप्तान स्टीव स्मिथ को उन्हें वापस बुला लेना चाहिए था। एक नज़र उन 6 घटनाओं पर जब ऑस्ट्रेलिया ने खेल की भावना को शर्मिंदा किया है 6- भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया, 2001, राहुल द्रविड़ को गलत आउट किया [caption id="attachment_10333" align="alignnone" width="594"] मैच का एक दृश्य[/caption] मिकल स्लेटर ने बहुत अनैतिक तरीके से खेल में विनम्रता की मूर्त द्रविड़ को आउट किया था। पहले टेस्ट की पहली इन्निंग्स में द्रविड़ के शॉट को स्लेटर ने लपका। वह इस बात पर अटल थे कि उन्होंने कैच लिया है। पर रीप्ले में यह साफ़ दिखाई दे रहा था कि गेंद उनके हाथ से कुछ इंच पीछे रह गई थी। तीसरे अंपायर के आउट दिखाने के बाद स्लेटर ने द्रविड़ को बहुत अपशब्द कहे। अब सवाल यह है कि द्रविड़ ने यह सुनने वाला क्या काम किया था?

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5- ऑस्ट्रेलियन टीम ने किया बीसीसीआई के अध्यक्ष को अपमानित, चैंपियन्स ट्रॉफ़ी 2006

[caption id="attachment_10334" align="alignnone" width="594"]मैच का एक दृश्य मैच का एक दृश्य[/caption] वेस्ट इंडीज़ को हरा कर अपनी पहली ट्रॉफ़ी जीतने के बाद ट्रॉफ़ी पाने को बहुत उत्सुक पोंटिंग ने बहुत गलत तरीके से बीसीसीआई के अध्यक्ष शरद पवार की ओर इशारा किया। इसके बाद, ऑस्ट्रेलिया की टीम ने ट्रॉफ़ी पाने के बाद उन्हें धक्का भी दिया। पवार ने उन्हें "असभ्य" कहा और तेंदुलकर ने भी उनका साथ दिया और अपनी नाराज़गी जताई।

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4- माइकल क्लार्क ने गांगुली का गलत कैच लिया, भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया, 2008

[caption id="attachment_10335" align="alignnone" width="628"]सौरव गांगुली सौरव गांगुली[/caption] उस सीरीज के बाद सबको लगने लगा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया के खेल के रिश्ते कमज़ोर होने लगे हैं, क्योंकि उस सीरीज में ऑस्ट्रेलिया ने कई बार खेल की भावना का उल्लंघन किया। 4 मैचों की सीरीज में 0-1 से पिछड़ रहा भारत बहुत से गलत अंपायरों के निर्णय का शिकार बना। 6 बार गलत फ़ैसले होने के बाद भी कुंबले की टीम ने अपनी जीत की जंग जारी रखी और पाँचवा दिन ख़त्म होने से सात गेंद पहले भारत बहुत सारे विकेट खो चुका था। ऑस्ट्रेलिया ने लगातार 16 टेस्ट जीते थे पर कुंबले ने यह कहकर कि सह मैच सही भावना में सिर्फ़ एक टीम ने खेला है सारे किए पर पानी फेर दिया। माइकल क्लार्क ने एक बहुत नीचा कैच लपक कर गांगुली के विकेट के लिए अपील की थी। रीप्ले में यह साफ़ दिख रहा था कि गेंद पहले ही ज़मीन को छू चुकी थी। अंपायर बेनसेन ने बिना कुछ सोचे आउट क़रार दे दिया।

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3- हैडिन ने गिल्लियाँ गिराकर की अपील, ऑस्ट्रेलिया बनाम न्यूज़ीलैंड, 2009

[caption id="attachment_10332" align="alignnone" width="594"]हैडिन का पूरा करियर ऐसी घटनाओं से भरा हुआ है हैडिन का पूरा करियर ऐसी घटनाओं से भरा हुआ है[/caption] विकेटकीपर ब्रेड हैडिन ने जानबूझकर गिल्लियाँ गिराकर आउट करने की अपील की। बल्लेबाज नील ब्रूम ने 181 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए रॉस टेलर के साथ 42 रन की साझेदारी की थी। उस समय एेसा लगा कि वे माइकल क्लार्क के गेंद पर क्लीन बोल्ड हो गए हैं पर रीप्ले में पता चला कि हैडिन के दास्तानों से गिल्लियाँ गिरी हैं। बल्लेबाज को तुरंत आउट दे दिया गया और अंपायरों की भी हैडिन की चाल समझ नहीं आई। न्यूज़ीलैंड मैच तो जीत गया पर इस मैच को डेनियल विटोरी ने निराशाजनक बताया। पर पोंटिंग ने हैडिन का बचाव करते हुए कहा कि अगर हैडिन को पता होता तो वे एेसा कभी नहीं करते।

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2- डू प्लेसिस को वापस भेजा, ऑस्ट्रेलिया बनाम दक्षिण अफ़्रीका, 2014

[caption id="attachment_10331" align="alignnone" width="620"]मैच का एक दृश्य मैच का एक दृश्य[/caption] यह पूरी सीरीज आमना सामना और नोक झोंक से भरपूर थी। कप्तान फाफ डू पलेसिस को तीसरे टेस्ट में आउट कर ऑस्ट्रेलियाई टीम भौंकने के आवाज़ें निकालने लगी। इससे पहले एबी डिविलयर्स को गेंद से छेड़छाड़ करने के आरोप लगाने पर डेविड वार्नर को जुर्माना देना पड़ा था। हैडिन जानबूझकर गेंद को ज़मीन पर टप्पा खाने दे रहे थे ताकि उसकी चमक कम हो जाए। पर इसके बाद क्लार्क की टीम को अंपायरों से चेतावनी भी मिली थी। क्या क्लार्क का व्यवहार डेल स्टेन की तरफ़ बल्लेबाजी करते समय सही था? उनका ग्रीम स्मिथ और डिविलर्स को गलत आउट करना खेल की भावना के विरुद्ध नहीं था? उसके बाद भी वे कुत्तों के झुंड की तरह व्यवहार करते हुए खेल के शर्मिंदा करने से बाज़ नहीं आए। 1- ऑस्ट्रेलिया बनाम न्यूज़ीलैंड, विश्व कप फ़ाइनल 2015 [caption id="attachment_10330" align="alignnone" width="620"]मैच का एक दृश्य मैच का एक दृश्य[/caption] वह मैच दिग्गज खिलाडी माइकल क्लार्क और विटोरी का आख़िरी मैच था। विकट चैम्पियन बनने के बाद भी ऑस्ट्रेलिया अपनी हरकतों से पीछे नहीं हटा। हैडिन ने गप्तिल के आउट होने करे बाद उनके मुँह के सामने तालियाँ बजाई। क्लार्क के आउट होने के बाद कीवियों ने उन्हें बधाई दी पर वेटोरी के जाने पर उन्हें अपशबद कहे गए! खेल की उत्तम भावना का बेहतरीन उदाहरण देते हुए ब्रैंडन मैकलम ने खेल के बाद ऑस्ट्रेलिया के व्यवहार पर कोई टिप्पणी नहीं की पर इससे यह साबित हो गया कि ऑस्ट्रेलिया के लिए जीत से ऊपर कुछ भी नहीं है। लेखक- साराह वारिस, अनुवादक-सेहल जैन

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