हर चार साल बाद आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप के लिए जब भी भारतीय टीम का चयन होता है तो कुछ आश्चर्यजनक नाम देखने को मिलते हैं। काफी बार ऐसा हुआ है कि जब टीम में अनुभवहीन खिलाड़ियों को चुना गया है लेकिन वे अच्छा प्रदर्शन करने में नाकाम रहे हैं या उन्हें खेलने का मौका ही नहीं मिला।
तो यहां हम उन 7 खिलाड़ियों पर एक नज़र डालेंगे जिनकी किस्मत अच्छी थी कि उन्होंने वर्ल्ड कप के लिए भारत की 15 सदस्यीय टीम में जगह बनाई:
#1. अमय खुरासिया (1999)
1999 में पेप्सी कप में श्रीलंका के खिलाफ अपने डेब्यू मैच में शानदार अर्धशतक जड़ने के बाद अमय खुरासिया को 1999 में भारत की वर्ल्ड कप टीम में चुना गया था। लेकिन अपना पहला और एकमात्र वर्ल्ड कप खेल रहे खुरासिया को एक भी मैच खेलने का मौका नहीं मिला।
उन्हें अपने आक्रमक खेल के कारण टीम में शामिल किया गया था लेकिन धीरे-धीरे विरोधी गेंदबाज़ों ने उनकी कमज़ोरियाँ को भांप लिया, जिसकी वजह से उनका प्रदर्शन कम से कमतर हो गया और अंततः 2011 में उन्हें अपने अंतरराष्ट्रीय करियर को अलविदा कहना पड़ा। खुरासिया ने अपने करियर में भारत के लिए केवल 11 वनडे मैच खेले।
#2. सदगोपन रमेश (1999)
सदगोपन रमेश ने अपने करियर की शुरुआत में भारत ए के लिए कुछ शानदार पारियां खेलीं थी, जिसने चयनकर्ताओं का ध्यान आकर्षित किया। इसके बाद उन्हें 1999 में भारत की वर्ल्ड कप टीम में चुना गया।
वर्ल्ड कप के लगभग सभी मैचों में उन्होंने भारत के लिए ओपनिंग की। उन्होंने जिम्बाब्वे के खिलाफ 55 और केन्या के खिलाफ 44 रनों की कुछ अहम पारियां खेलीं। इसके अलावा, रमेश ने अपने पहले 12 टेस्ट मैचों में लगभग 50 के औसत से रन बनाए थे लेकिन उसके बाद वह अपने प्रदर्शन को बरकरार नहीं रख सके और जल्द ही सभी प्रारूपों में उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया।
#3. संजय बांगर (2003)
संजय बांगर, ने 2001 में अंतर्राष्ट्रीय टेस्ट क्रिकेट में और 2002 में प्रथम श्रेणी क्रिकेट मे एक ऑल-राउंडर के रूप में शानदार प्रदर्शन किया था। हालांकि, 2003 में वह अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में नए थे, लेकिन फिर भी उन्हें वर्ल्ड कप के लिए भारतीय टीम में शामिल किया गया।
पर बांगर को किसी भी मैच में प्लेइंग इलेवन में जगह बनाने का मौका नहीं मिला क्योंकि नंबर 7 पर दिनेश मोंगिया टीम की पहली पसंद थे और वो गेंदबाज़ी भी कर सकते थे।
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#4. पार्थिव पटेल (2003)
पार्थिव पटेल को सबसे पहले 2002 में भारतीय टेस्ट टीम में जगह मिली क्योंकि उस समय टीम में किसी विशेषज्ञ विकेटकीपर-बल्लेबाज़ की कमी थी। इसके बाद 2003 में उन्हें वर्ल्ड कप से ठीक एक महीने पहले न्यूजीलैंड के खिलाफ टीम में शामिल किया गया, जिसमें उन्होंने औसत प्रदर्शन किया।
इसके बाद उन्हें भारत की 15 सदस्यीय वर्ल्ड कप टीम में भी जगह मिली। हालांकि, वह इस वर्ल्ड कप में कोई मैच नहीं खेल पाए और उन्हें सभी मैच बाहर बैठ कर देखने पड़े। उनकी जगह राहुल द्रविड़ ने विकेटकीपिंग की ज़िम्मेदारी संभाली।
अपने अनियमित प्रदर्शन और एमएस धोनी के आने के बाद पटेल के लिए भारतीय टीम में वापसी कर पाना और भी मुश्किल हो गया।
#5. पियूष चावला (2011)
पियूष चावला को अनिल कुंबले के वारिस के रूप में देखा गया था। अपनी खतरनाक गुगली के लिए जाने जाने वाले चावला को 2006 में 18 साल की उम्र में राष्ट्रीय टीम में जगह मिली लेकिन वह अपनी प्रतिभा के साथ न्याय नहीं कर पाए।
2011 में चुनी गई वर्ल्ड कप टीम में उन्हें प्रज्ञान ओझा और अमित मिश्रा पर तरजीह दी गई जो काफी लोगों के लिये चोंकाने वाला था। हालांकि इस टूर्नामेंट में उन्हें केवल एक ही मैच खेलने का मौका मिला।
#6. स्टुअर्ट बिन्नी (2015)
2015 वर्ल्ड कप के लिए भारतीय टीम के 14 सदस्यों का अनुमान लगाया गया था। लेकिन 15वें खिलाड़ी के लिए, मीडिया द्वारा विभिन्न नामों पर चर्चा की गई, जिसमें युवराज सिंह, वरुण आरोन, रॉबिन उथप्पा और स्टुअर्ट बिन्नी के नाम शामिल थे।
लेकिन इनमें से स्टुअर्ट बिन्नी को टीम में चुना गया क्योंकि वह एक ऑलराउंडर हैं जो बल्लेबाज़ी के साथ-साथ मध्यम गति की गेंदबाजी भी कर सकते थे, हालांकि,उन्हें वर्ल्ड कप में एक भी मैच खेलने का मौका नहीं मिला।
#7. दिनेश कार्तिक (2019)
इंग्लैंड और वेल्स में हुए वर्ल्ड कप 2019 के लिए भारत की 15 सदस्यीय टीम में ऋषभ पंत की जगह दिनेश कार्तिक को टीम में जगह दी गई, जिससे काफी लोगों को हैरानी हुई थी ।
ऋषभ पंत उस समय अपनी सर्वश्रेष्ठ फॉर्म में थे और आईपीएल के उस सीजन में अपनी टीम दिल्ली कैपिटल्स को प्लेऑफ में पहुंचाने में उन्होंने बहुत अहम भूमिका निभाई थी लेकिन फिर भी टीम प्रबंधन ने अनुभवी कार्तिक को उन पर तरजीह दी।
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