ICC CT2017: इन 7 वजहों से कोहली एंड कंपनी को मिली श्रीलंका से हार

चैंपियंस ट्रॉफ़ी में भारत को 7 विकेट से हराकर श्रीलंका ने ग्रुप-बी को पूरी तरह से खोल दिया है। जहां अब खेले जाने वाले सभी मुक़ाबले वर्चुअल क्वार्टर फ़ाइनल हो गए हैं। लेकिन सभी के ज़ेहन में यही है कि आख़िर परिवर्तन काल से गुज़र रही श्रीलंकाई क्रिकेट टीम से भारत की भारी भरकम टीम 321 रन बनाने के बावजूद एकतरफ़ा मुक़ाबले में कैसे हार गई। भारत और श्रीलंका के बीच लंदन में खेले गए इस उलटफेर से भरे मुक़ाबले पर नज़र डाली जाए तो हार की वजह एक नहीं बल्कि 7-7 हैं। चलिए करते हैं हार का पोस्टमॉर्टम और जानते हैं भारत की हार के 7 कारण :

  1. मेंडिस और गुनाथिलाका के बीच 159 रनों की निर्णायक साझेदारी

टीम इंडिया ने स्कोर बोर्ड पर 321 रन खड़ने के बाद 5वें ओवर में महज़ 11 रनों पर ही निरोशन डिकवेला (7) को पैवेलियन का रास्ता दिखा दिया था। लेकिन इसके बाद दनुश्का गुनाथिलाका (76) और कुसल मेंडिस (89) ने 139 गेंदो में 159 रनों की शानदार साझेदारी निभाते हुए न सिर्फ़ श्रीलंका की मैच में वापसी कराई बल्कि दबाव भारत पर बना दिया था। जिसका असर भारतीय गेंदबाज़ों और फ़िल्डर्स पर भी पड़ता हुआ दिखाई दिया, भारत की हार का सबसे बड़ा कारण ये साझेदारी ही रही जो बन गया मैच का टर्निंग प्वाइंट।

  1. 30 से 38 ओवर के बीच में बने महज़ 31 रन

वैसे तो 321 रनो का स्कोर किसी भी पिच पर और किसी भी परिस्थिति में शानदार माना जाता है। लेकिन अगर गुरुवार को खेले गए इस मैच पर नज़र डालें तो ये स्कोर 350 के पार भी जा सकता था, 30 ओवर के बाद भारत का स्कोर 169/2 रन था। मगर अगले 8 ओवर में टीम इंडिया ने महज़ 31 रन बनाए जिसमें युवराज सिंह का विकेट भी गंवाया। 30 ओवर के बाद जब हाथ में 8 विकेट थे तो स्कोर तेज़ी से बढ़ाया जा सकता था, यहां भारतीय बल्लेबाज़ों से चूक हुई।

  1. विराट कोहली को ख़ूबसूरती से सेटअप करते हुए बनाया शिकार

नुवान प्रदीप ने भारतीय कप्तान विराट कोहली को शानदार तरीक़े से अपने जाल में फंसाया। कोहली ने खाता नहीं खोला था और प्रदीप ने लगातार तीन गेंद ऑफ़ स्टंप के बाहर रखी, जिसपर कोहली कुछ ख़ास नहीं कर पा रहे थे और खाता खोलने का दबाव उन पर बनता दिख रहा था। चौथी गेंद भी प्रदीप ने वहीं रखी लेकिन इस बार कोहली अपने आप को रोक नहीं पाए और थर्डमैन की ओर ग्लाइड करने की कोशिश में विकेटकीपर को कैच थमा बैठे। कोहली का आउट होना भारत के स्कोर में 30-40 रनों का फ़र्क पैदा कर गया।

  1. युवराज सिंह की जगह महेंद्र सिंह धोनी को आना चाहिए था नंबर-4 पर

जब जल्दी जल्दी दो विकेट गिर गए थे, ऐसी स्थिती में युवराज सिंह की जगह महेंद्र सिंह धोनी को भेजना ज़्यादा मुनासिब होता। धोनी शुरू में क्रीज़ पर कुछ समय बिताते हैं और फिर नज़रें जमने के बाद उनका स्ट्राइक रेट भी तेज़ हो जाता है। श्रीलंका के ख़िलाफ़ रोहित और कोहली के आउट होने के बाद धोनी को भेजना बिल्कुल सटीक रहता, जो काम युवराज नहीं कर पाए वह धोनी कर गए होते। हालांकि धोनी ने अर्धशतकीय पारी खेलते हुए भारत का स्कोर 300 के पार पहुंचाने में अच्छा योगदान दिया।

  1. श्रीलंकाई तेज़ गेंदबाज़ों को मिला हवा का साथ

श्रीलंकाई गेंदबाज़ों पर मौसम भी मेहरबान था, लगातार बादल घिरे हुए थे और मैदान पर हवा चल रही थी जिसका फ़ायदा गेंदबाज़ों को मिल रहा था। लेकिन श्रीलंकाई बल्लेबाज़ी के दौरान मैदान पर चल रही हवा थम गई थी, और यही वजह थी कि भारतीय तेज़ गेंदबाज़ों को वह मदद नहीं मिल पाई जो उन्हें पाकिस्तान के ख़िलाफ़ मिली थी। महेंद्र सिंह धोनी और हार्दिक पांड्या का विकेट भी हवा की ही वजह से श्रीलंका को मिला, क्योंकि वह दोनों ही शॉट हवा के विपरित दिशा में खेले गए थे।

  1. भारतीय फ़िल्डर्स ने एक नहीं कई मौक़े गंवाए

टीम इंडिया के गेंदबाज़ों को फ़िल्डर्स का भी साथ मिलता नज़र नहीं आया, रोहित शर्मा ने अहम मौक़े पर कुसल मेंडिस का कैच टपकाया जो बाद में मैच का टर्निंग प्वाइंट बन गया। इसी तरह केदार जाधव की सुस्त फ़िल्डींग ने भी सभी को निराश किया, जाधव ने दो रन आउट करने के मौक़े गंवाए। पाकिस्तान के ख़िलाफ़ भी जाधव ने कैच ड्रॉप किया था, प्रोटियाज़ के ख़िलाफ़ करो या मरो के मुक़ाबले में कोहली को इन चीज़ों पर ध्यान देना होगा। इसके अलावा भी कई हाफ़ चासेंज़ को टीम इंडिया ने आउट में तब्दील नहीं किया।

  1. एंजेलो मैथ्यूज़ पर शुरुआत में दबाव बनाने से चूके कप्तान कोहली

विराट कोहली ने बहुत कम ही समय में टीम इंडिया को कई जीत दिलाते हुए एक शानदार कप्तान बनने की ओर क़दम बढ़ा रहे हैं। लेकिन उन्हें इस मैच से सबक़ लेने की भी ज़रूरत है, दबाव की स्थिति में उनकी कप्तानी बिखर सी जाती है और यही है धोनी और कोहली की कप्तानी में बड़ा फ़र्क। मसलन जब श्रीलंकाई कप्तान एंजेलो मैथ्यूज़ बल्लेबाज़ी करने आए तब कोहली उन पर दबाव बना सकते थे, वह भी तब जब मैथ्यूज़ हाफ़ फ़िट थे और चोट के बाद लौट रहे थे। यहां कोहली की कप्तानी की चूक नज़र आई और इसका फ़ायदा उठाते हुए मैथ्यूज़ ने अपनी नज़रें जमाईं और एक मैच जिताऊ पारी खेल गए।