भारतीय क्रिकेटर बनने का एमएस धोनी का सफर अन्य क्रिकेटरों से अलग रहा। शुरुआती समय में उन्होंने एक युवा होने के बाद भी क्रिकेट खेलना शुरू नहीं किया था। उनके फुटबॉल कोच को धन्यवाद देना चाहिए, जिन्होंने माही को स्थानीय क्रिकेट क्लब (कमांडो क्रिकेट क्लब) में खेलने के लिए भेजा। इससे पहले वह बैडमिंटन और फुटबॉल खेला करते थे और दोनों ही खेलों की जिला टीम में चयनित भी हुए थे। विकेटकीपर के रूप में उनके रिफ्लेक्सेस आज भी सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं। इसका श्रेय इस बात को जाता है कि धोनी ने अपने करियर की शुरुआत गोलकीपर के रूप में की थी। यही नहीं, 10वीं क्लास में पहुंचने से पहले उन्होंने क्रिकेट पर ध्यान केन्द्रित करने का फैसला भी नहीं किया था। अगर उनके फुटबॉल कोच नहीं होते, तो धोनी कभी भी विकेट के पीछे खड़े होकर भारत को इतनी उपलब्धियां नहीं दिला पाते। मगर यह कौन जानता है कि वह भारत का प्रतिनिधित्व फुटबॉल में करते।