हर कोई जानता है कि एमएस धोनी का राष्ट्रीय टीम तक का सफर आसान नहीं रहा। ऐसे राज्य से ताल्लुक रखने वाले जो क्रिकेटरों का उत्पाद करने के लिए मशहूर नहीं है, उन्हें मुकाम हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करना होती है। मगर धोनी के भाग्य ने उनकी राह और मुश्किल कर दी। जब ऐसा लगने लगा की दुलीप ट्रॉफी में वह ईस्टजोन की तरफ पदार्पण करेंगे, तब उन्हें टीम के मैदान में जाने से पहले के शब्द सुनने को नहीं मिले। चूंकि उस समय सोशल मीडिया नहीं था तो धोनी को बिहार क्रिकेट एसोसिएशन की तरफ से टीम में चयन की खबर सही समय पर नहीं मिली। जब तक खबर रांची तक पहुंची, टीम अगरताला के लिए रवाना हो चुकी थी। हालांकि उनके दोस्त परमजीत सिंह ने स्थानीय लोगों की मदद से इस उम्मीद के साथ टाटा सूमो कार बुक की ताकि धोनी को पहुंचने में 20 घंटे लगेंगे। दुर्भाग्यवश दोस्तों की मदद के बावजूद कार के खराब होने के कारण धोनी नहीं पहुंच पाए और दीप दासगुप्ता ने साउथजोन के खिलाफ विकेटकीपर की भूमिका निभाई। फिर धोनी दूसरे मैच के लिए पुणे गए और सचिन से पहली बार मिले, जबकि वह 12वे खिलाड़ी थे।