क्रिकेट हमेशा से ही साझेदारी का खेल रहा है। टीम को बड़े स्कोर तक पहुंचाना हो या फिर बड़े लक्ष्य को पाना हो, दोनों ही सूरतों में टीम के मुख्य बल्लेबाजों को पिच पर जमे रहकर लंबी पारियां खेलने की जरूरत होती है। हम बात करने जा रहे हैं, भारतीय बल्लेबाजों की कुछ ऐसी ही यादगार साझेदारियों के बारे में, जिन्होंने आने वाले सालों में क्रिकेट की दिशा निर्धारित की। इसके अलावा, ये पारियां भारतीय फैन्स के लिए इसलिए भी खास रहीं क्योंकि ये तब हुईं, जब भारत को इनकी बेहद जरूरत थी। आइए जानते हैं ऐसी 8 ऐतिहासिक और यादगार पारियों के बारे में:
#8 युवराज सिंह-मोहम्मद कैफ़, 2002
अगर आपने 2002 नैटवेस्ट ट्रॉफी में भारत और इंग्लैंड के बीच हुआ फाइनल मुकाबला देखा होगा, तो आपके जेहन में युवराज सिंह और मोहम्मद कैफ की 121 रनों की निर्णायक साझेदारी जरूर ज़िंदा होगी। 90 प्रतिशत फैन्स ने पहले ही मैच देखना या सुनना बंद कर दिया था और बाकियों ने सचिन का विकेट गिरने के बाद। सब यही सोच रहे थे कि भारत यह मैच हार जाएगा और ये युवा बल्लेबाज अब खेल का रुख नहीं बदल सकते। हालांकि, कुछ फैन्स ने अभी भी चमत्कार की उम्मीद लगा रखी थी। इन फैन्स के साथ-साथ पिच पर मौजूद युवा खिलाड़ियों की इस जोड़ी ने भी अभी तक हार नहीं मानी थी। यह वक्त था फैन्स के विश्वास को जीतने का और युवी-कैफ ने फैन्स को निराश नहीं किया। इस पार्टनरशिप की खासियत सिर्फ इतनी नहीं थी कि इसमें 121 रन जोड़े गए बल्कि इस पारी ने अंत तक जूझने वाली भारतीय टीम की नींव रखी थी और जिस जज्बे को हम आजतक भारतीय टीम के अंदर देख रहे हैं। यह एक बेहतरीन साझेदारी नहीं बल्कि एक यादगार लम्हा तैयार हो रहा था।
#7 सचिन तेंदुलकर – राहुल द्रविड़, 1999
यह साझेदारी अपने वक्त से आने वाले 16 सालों तक अजेय रही और इसकी यादें आज भी भारत और दुनियाभर के क्रिकेट फैन्स के दिमाग में ताजा हैं। 1999 (नवंबर) में जब न्यूजीलैंड भारत के दौरे पर था, तब करगिल युद्ध की वजह से भारत में राजनीतिक सरगर्मी थी। ऐसे समय में भारतीय क्रिकेट देश के नागरिकों को इससे बेहतर सुकून के पल नहीं दे सकता था। वहां भारतीय सेना इतिहास बना रही थी और यहां भारतीय क्रिकेट टीम। मौका था दूसरे वनडे का, गांगुली 4 रन बनाकर रन-आउट हो गए। इसके बाद टीम के सबसे भरोसेमंद बल्लेबाज राहुल द्रविड़ क्रीज पर आए और सचिन के साथ पारी को संभाला। कलात्मक रूप से दिग्गज इन दोनों ही बल्लेबाजों ने न्यूजीलैंड के गेंदबाजों को अपनी हिटलिस्ट में शामिल किया और फिर अगली 277 गेंदों तक न्यूजीलैंड के गेंदबाज एक विकेट हासिल करने को तरस गए। मैदान का ऐसा कोई कोना नहीं बचा था, जहां पर इन दिग्गजों ने शॉट्स न लगाए हों। इस साझेदारी में तेंदुलकर ने नाबाद 186 रनों की और राहुल द्रविड़ ने 153 रनों की पारी खेली। राहुल द्रविड़ के वनडे करियर में यह उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर रहा। सचिन इतनी आक्रामक लय में थे कि 49वें ओवर में उन्होंने 27 रन बना डाले। इन दो बड़ी पारियों की बदौलत भारत ने 376 रनों का विशाल स्कोर खड़ा किया। दोनों ने 331 रनों की असाधारण साझेदारी की।
#6 वीवीएस लक्ष्मण-राहुल द्रविड़, 2001
2001 में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच टेस्ट सीरीज का यह दूसरा मैच था। इस मैच में लक्ष्मण और द्रविड़ की 376 रनों की ऐतिहासिक साझेदारी की बदौलत भारत ने ऑस्ट्रेलिया पर शानदार जीत दर्ज की। भारत 232/4 के स्कोर पर संघर्ष कर रहा था, जब द्रविड़ और लक्ष्मण ने आकर मध्यक्रम को संभाला। इस समय तक दर्शकों को शायद अंदाजा भी नहीं होगा कि वे एक ऐतिहासिक पारी के साक्षी होने वाले हैं। दूसरी पारी में लक्ष्मण को प्रमोट करके तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करने के लिए भेजा गया था। उन्होंने अपनी भूमिका को शानदार तरीके से निभाया और 281 रनों की बेमिसाल पारी खेली। उस समय तक टेस्ट में यह किसी भी भारतीय का सर्वाधिक निजी स्कोर था। दूसरे छोर पर राहुल द्रविड़ ने 180 रनों की पारी खेली। इस साझेदारी की बदौलत भारत ने चौथे दिन एक भी विकेट नहीं गंवाया और भारत को जीत हासिल हुई।
#5 सौरव गांगुली – राहुल द्रविड़, विश्व कप 1999
1999 विश्व कप में भारत के लिए हालात ठीक नहीं थे। पिता की आकस्मिक मौत की वजह से सचिन को टूर्नामेंट के बीच में भारत लौटना पड़ा। भारत, जिम्बाब्वे से मैच हार चुका था। अगला मैच था भारत और श्रीलंका के बीच और टूर्नामेंट में बने रहने के लिए दोनों ही टीमों को यह मैच जीतना जरूरी था। मैच में भारतीय पारी की शुरूआत करने उतरे सदागोपन रमेश और सौरव गांगुली। रमेश, चामिंडा वास का शिकार हो गए। इसके बाद राहुल द्रविड़, गांगुली का साथ देने आए। राहुल द्रविड़ ने श्रीलंकाई गेंदबाजों को आक्रामकता से खेलना शुरू किया। उन्होंने सिर्फ 25 गेंदों में 38 रन बना डाले। राहुल द्रविड़ और गांगुली दोनों ने शतकीय पारियां खेलीं। दोनों ने मिलकर 318 रनों की साझेदारी की। यह वनडे क्रिकेट में पहली 300 रनों की पार्टनरशिप थी। गांगुली ने 158 गेंदों में 183 रन बनाए। यह उस समय विश्व कप इतिहास में किसी भी खिलाड़ी द्वारा दूसरा सर्वाधिक स्कोर था। इस साझेदारी की बदौलत भारत ने श्रीलंका के सामने 373 रनों का विशाल लक्ष्य रखा। 2007 विश्व कप में बरमूडा के खिलाफ 413 रनों के पहले तक यह स्कोर (373) भारत का विश्व कप में सर्वाधिक स्कोर रहा। भारत ने इस ऐतहासिक मैच में श्रीलंका को 157 रनों के बड़े अंतर से हराया।
#4 वीरेंदर सहवाग – राहुल द्रविड़
2006 में 16 जनवरी को वीरू पाजी और द्रविड़ की जोड़ी ने विश्व क्रिकेट में सबसे बड़ी ओपनिंग पार्टनरशिप को लगभग तोड़ ही दिया था। कोई भी मुकाम हो, वीरेंदर सहवाग अपने आक्रामक खेल के रवैये से समझौता नहीं करते। यह जोड़ी सबसे बड़ी ओपनिंग पार्टनरशिप के वर्ल्ड रिकॉर्ड से सिर्फ 3 रन दूर थी, जब वीरू पाजी ने अपना लोकप्रिय अपर-कट लगाया और दुर्भाग्यवश कैच आउट हो गए और सहवाग-द्रविड़ की जोड़ी एक विश्व रिकॉर्ड बनाते-बनाते रह गई। इस पारी को याद रखने की कई अहम वजहें हैं। सहवाग ने अपनी एक निर्दयी बल्लेबाज की छवि को बरकरार रखते हुए टेस्ट क्रिकेट के इतिहास का दूसरा सबसे तेज दोहरा शतक जमाया। दिलचस्प है कि सहवाग ने अपना दोहरा शतक भी उसी शॉट (अपर-कट) से पूरा किया था, जिसे खेलते हुए वह आउट हुए। सहवाग और द्रविड़ ने पाकिस्तानी गेंदबाजों को विकेटों के लिए तरसा दिया था।
#3 सचिन तेंदुलकर – मोहम्मद अज़हरूद्दीन, 1997 (केप टाउन)
1997 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहले टेस्ट मैच में भारत बैकफुट पर था। दक्षिण अफ्रीका के पास ऐलन डॉनल्ड, ब्रायन मैकमिलन, पॉल ऐडम्स और शॉन पोलक जैसे खतरनाक गेंदबाज थे। पिच बहुत तेज थी और प्रोटियाज़ गेंदबाजों ने भारत को 58/5 के स्कोर पर ला खड़ा किया था। पहली पारी में मेजबान टीम ने 529 रन बनाए थे और भारत अभी 471 रन पीछे था। भारत को विदेशी धरती पर एक और करारी हार सामने दिख रही थी, लेकिन दो दिग्गजों सचिन और अजहर के दिमाग में कुछ और ही योजना थी। दोनों बल्लेबाजों ने मिलकर 222 रनों की साझेदारी की। सचिन ने 169 और अजहर ने 115 रनों की पारियां खेलीं। हालांकि, भारत यह मैच हार गया, लेकिन इस पारी ने भारतीय बल्लेबाजी का सम्मान बरकरार रखा। इतने खतरनाक गेंदबाज़ी अटैक के खिलाफ सचिन ने अपनी पारी में 26 चौके लगाए। इसका मतलब सचिन ने 169 रनों की पारी में 104 रन बाउंड्रीज लगाकर बनाए। अजहर ने अपनी पारी में 19 बाउंड्रीज लगाईं।
#2 युवराज सिंह – महेंद्र सिंह धोनी, 2017
मौका था, जनवरी 2017 में कटक में भारत और इंग्लैंड के बीच सीरीज के दूसरे वनडे मैच का। युवी-माही की जोड़ी ने इंग्लिश गेंदबाजों की जमकर धुलाई की थी। इससे पहले भारत 3 विकेट गंवाकर सिर्फ 25 रनों के स्कोर पर संघर्ष कर रहा था और फिर क्रीज पर युवी का साथ देने उतरे पूर्व कप्तान धोनी। यह वनडे टीम में युवराज की वापसी का मौका भी था। इस जोड़ी ने चौथे विकेट के लिए 256 रनों की साझेदारी की। युवराज ने 150 रनों की पारी खेली, वनडे मैच में ये उनका सर्वाधिक स्कोर है। युवराज ने शानदार वापसी दर्ज की थी। युवी ने अपनी पारी में 21 चौके और 3 छक्के लगाए। पिछली पारियों की तरह यह पारी सिर्फ आंकड़ों की वजह से नहीं, बल्कि जरूरत के समय की वजह से भी यादगार है।
#1 गौतम गंभीर – विराट कोहली – महेंद्र सिंह धोनी, विश्व कप 2011 का फाइनल मुकाबला
इस यादगार साझेदारी में रनो का अंबार नहीं था फिर भी यह भारतीय क्रिकेट इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण साझेदारी थी। मौका था 2011 विश्व कप फाइनल। एक बार फिर भारत विश्व कप जीतने से बस एक कदम दूर था, लेकिन हालात पूरी तरह से विपरीत थे। भारत सिर्फ 31 रनों पर अपने शीर्ष दो बल्लेबाज गंवा चुका था। भारत का खाता भी नहीं खुला था और सहवाग आउट हो चुके थे। इतना ही आंकड़े कहते हैं कि इस समय तक पिछले 9 विश्व कप फाइनल मैचों में सिर्फ 2 बार, दूसरी पारी में खेलने वाली टीम को जीत मिली थी। सहवाग के बाद जब सचिन भी कम स्कोर पर कैच दे बैठे तो वानखेड़े में सन्नाटा छा गया। इसके बाद भारतीय पारी को संभाला गौतम गंभीर और कोहली ने। भारत की बिखरती उम्मीदों को इन दो बल्लेबाजों ने फिर से संभाला। इन दो खिलाड़ियों का एक-एक रन हर भारतीय फैन्स के लिए राहत भरा था। इस जोड़ी ने 93 गेंदों में 83 रनों की महत्वपूर्ण साझेदारी की। जब कोहली का विकेट गिरा, तब भारत 3 विकेट खोकर 114 रन बना चुका था। इसके बाद मैदान पर इतिहास रचने उतरे महेंद्र सिंह धोनी। धोनी और गंभीर ने मिलकर भारत पर बने दबाव को जड़ से ही खत्म कर दिया। दोनों खिलाड़ियों ने 19.4 ओवरों में 109 रन जोड़े। अंत में दुनिया के सबसे बेजोड़ फिनिशर्स में से एक धोनी ने छक्का लगाकर भारत के खाते में एक और विश्व कप जोड़ दिया। लेखकः आयुष भट्ट अनुवादकः देवान्श अवस्थी