8 मौके जब आम तौर पर शांत रहने वाले क्रिकेटर्स ने खोया संयम

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क्रिकेट को जेंटलमेन गेम कहा जाता है, पर समय के साथ खेल भी काफी बदला है। ब्रिटिश राज के वो दिन चले गए, जब क्रिकेट सिर्फ गोरों के द्वारा चाय के समय खेला जाता था। खेल में प्रतिस्प्रधा और ज्यादा बढ़ गई है और खिलाड़ीयों का स्तर भी बढ़ा है, जिससे कभी-कभी भावनाएं बाहर निकाल आती है। जहां अधिकतर क्रिकेटर्स के साथ आज के समय में यही हाल है, कुछ खिलाड़ी आज भी जेंटलमेन की बीरदारी के है जो असहनीय हालत में भी शांत रहते है। वो अपनी भावनाओं को काबू में रखते है और अपनी खेल भावना के लिए माने जाते है। कभी-कभी जो खिलाड़ी अपने शांत स्वभाव के लिए जाने जाते है, वो भी अपना आपा खो देते है। यहाँ हम आपको बताएँगे उन 8 घटनाओं के बारे में जब शांत स्वभाव के खिलाड़ियों ने अपना आपा खोया:

1. राहुल द्रविड़ ने शोएब अख्तर के सामने खोया आपा

राहुल द्रविड़ एक ऐसे खिलाड़ी है जो जेंटलमेन शब्द का मतलब बदल सकते हैं। द्रविड़ दबाव के समय में भी अपने आप पर संयम रखने के लिए जाने जाते थे। हालांकि, ‘द वाल’ द्रविड़ भी अपनी पाकिस्तान टीम के खिलाफ अपनी भावनाओं को नहीं रोक सके, जो हमेशा ही एक बड़ा मैच होता है। भारत और पाकिस्तान के बीच 19 सितंबर 2004 को हुये चैम्पियन्स ट्रॉफी मैच में, राहुल द्रविड़ और शोएब अख्तर के बीच जबानी जंग हो गई थी। द्रविड़ के चौका मारने पर, अख्तर जोश में आ गए। वो बल्लेबाज को उत्तेजित करने में लग गए, जैसा अमूमन तेज गेंदबाज करते हैं। द्रविड़ रन पूरा करने में शोएब से टकरा गए, जो गेंद देख रहे थे। तेज गेंदबाज को गुस्सा आ गया और उन्होंने द्रविड़ को कुछ कह दिया। आगे जो हुआ वो कोई सोच भी नहीं सकता है। वहाँ से चले जाने की जगह, द्रविड़ गेंदबाज को क्या परेशानी जानने के लिए उन तक चल कर गए। बाद में अंपायर और इंजमाम ने बीच में आकार मामला सुलझाया।

2. एमएस धोनी की अंपायर से झड़प

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इन्हें कूल कप्तान के रूप में जाना जाता है। वो अपने ठंडे स्वभाव और मैदान पर शांत रहने के लिए जाने जाते हैं। भारतीय कप्तान कभी भी मैदान पर अपनी भावनाएं ना दिखाने के लिए जाने जाते हैं पर 2012 की कॉमनवेल्थ बैंक सीरीज एक अपवाद है। भारत ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेल रही थी, जब एमएस धोनी ने माइकल हसी के स्टंपिंग की अपील की। इसके बाद एमएस धोनी के कभी ना देखा जाने वाला रूप देखने को मिला। तीसरे अंपायर ब्रूस ने गलत बटन दबाया और हसी को आउट करा दे दिया, जबकि वो इसके उलट करना चाहते थे। अंपायर ने जल्दी में हसी को ग्राउंड से जाने से रोका ताकि सही निर्णय लिया जा सके। इसके बाद जो हुआ वो एक अपवाद था, जहां धोनी अंपायर के साथ इशारों में बात करते दिखे। धोनी अमूमन मैदान पर कम ही अपनी भावनाएं दिखते है और शांति से अपना काम करते हैं।

3. केमार रोच से खफा हुये जैकस कालिस

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केमार रोच वेस्टइंडीज के लिए आग उगल रहे थे, वो 2010 में बरबाडोस टेस्ट के दौरान दक्षिण अफ्रीका के सभी बल्लेबाजों की मुश्किल बढ़ा रहे थे, और कप्तान ग्रीम स्मिथ के गले पर बाउंसर भी मारा था। उनके पास महान ऑल-राउंडर जैकस कैलिस के लिए भी कुछ खास था, जो आमतौर पर कुछ भी गलत स्वीकार नहीं करते हैं। कैलिस को 144 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार की तेज बाउंसर से परेशान करने के बाद दोनों ने कुछ गलत शब्द आपस में एक दूसरे को कहे, बार में चंद्रपॉल और अंपायर ने बीच बचाव किया। दक्षिण अफ्रीकी ऑल-राउंडर की सच में बेइज्जती हुई और उनके हाथों से ये दिखाई भी दिया। मैच के बाद जब आपस में हाथ मिलाते हैं, तब एबी डीविलियर्स बीच में आए।

4. महेला जयवर्धने की माइकल क्लार्क के साथ जबानी लड़ाई

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यह ऑस्ट्रेलिया और श्रीलंका के बीच एक टेस्ट मैच के दौरान हुआ। इस मैच में ऑस्ट्रेलिया जीत की और बढ़ रही थी और श्रीलंका दूसरी पारी में 317 पर 6 विकेट खो चुकी थी, 80 रन बाकी थे। मैच बारिश के कारण ड्रॉ हुआ पर इससे पहले जयवर्धने को अपना आपा खोते हुये देखा गया। माइकल क्लार्क ने जयवर्धने को आउट करने के लिए एक छलांग लगाकर एक छोटा कैच लिया। हालांकि, श्रीलंकन को कैच के सही होने पर शक था तो वो अंपायर के उंगली उठाने तक मैदान पर खड़े रहे। इससे क्लार्क और जयवर्धने के बीच जबानी लड़ाई शुरू हुई। क्लार्क ने बल्लेबाज को समझाया और कैच सही होने का दावा किया। माइकल ने कहा, “महेला! मैंने 100 प्रतिशत सही कैच पकड़ा है। आप चाहे तो जा सकते है या इसे रेफर कर सकते हैं।” जयवर्धने ने कहा, “मैं जाऊंगा, इंतजार करो।”

5. वीवीएस लक्ष्मण का प्रज्ञान ओझा पर चिल्लाना

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वीवीएस लक्ष्मण ऐसे खिलाड़ी हैं, जिनसे गुस्से की आशा कम ही होती है। वो 11 नंबर के बल्लेबाज प्रज्ञान ओझा के धीरे भागने को लेकर गुस्सा हो गए और उनके ऊपर बैट फेंकने वाले थे। यह 2010 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मौहली में एक नजदीकी मैच के दौरान हुआ, जिसे भारत ने एक विकेट से जीता था। मैच किसी भी तरफ जा रहा था और इसे जीतने की ज़िम्मेदारी लक्ष्मण की थी। उन्होंने अपने सभी साथी बल्लेबाज खो दिये थे और ओझा आखिरी बल्लेबाज थे। अमूमन जब सामने वाला बल्लेबाज भागने में दिक्कत करता है तो गुस्सा आ जाता है। इस दौरान उनका अनदेखा रूप देखने को मिला। 6. मैट प्रायर ने लॉर्ड्स में तोड़ी ड्रेसिंग रूम की खिड़की matt-prior-image-1-397927600-1446550519-800 बल्लेबाज रन-आउट होने पर खुश नहीं होते है। मैट प्रायर, इंग्लैंड के विकेटकीपर आम तौर पर ज्यादा गुस्सा नहीं रहते है, उन्होंने रन-आउट होने पर ड्रेसिंग रूम की खिड़की तोड़ने का फैसला लिया। श्रीलंका के खिलाफ 2011 में टेस्ट मैच के दौरान मैट प्रायर को पिच के बीच में इयान बैल के साथ हुई गलतफहमी के लिए मैदान से बाहर जाना पड़ा। उसके बाद जो ड्रेसिंग रूम में हुआ वो कुछ हद तक अपने किट से की गई हिंसा थी। उन्हें गुस्सा था की उन्हें प्रदर्शन करने का मौका नहीं मिला, खास तौर पर पहली पारी में 126 रन बनाने के बाद, उन्होंने शायद अपना किट तेजी से फेंका। जिससे ड्रेसिंग रूम की खिड़की का काँच टूट कर दर्शकों के बीच में गिरा, जिससे एक महिला को चोट भी लगी। इसके बाद प्रायर को अपनी गलती का अहसास हुआ, उन्होंने नीचे जाकर दर्शकों से माफी मांगी। 7. इंजमाम-उल-हक़ ने किया दर्शकों पर गुस्सा inzy-1446550957-800 इंजमाम-उल-हक़ सबसे कम गुस्सा करने वाले क्रिकेटरों में से एक है। जब टोरोंटो में एक दर्शक ने उनके शरीर पर टिप्पणी की तो वो इसे दिल पर ले बैठे। 1997 में भारत के खिलाफ मैच के दौरान, इंजमाम ने एक दर्शक शिव कुमार ठिंद पर गुस्सा दिखाया, जो एक माइक से इंजमाम की तुलना तरह-तरह के आलू से कर रहे थे। दर्शकों के अनुसार 12वें खिलाड़ी मुश्ताक एक क्रिकेट बेट लेकर बाउंड्री पर इंतेजार कर रहे थे। कनाडा की पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और उन पर दो हमले करने के आरोप लगाए। उन्हें जल्दी छोड़ दिया गया, पर इसके बाद उनके ऊपर दो एकदिवसीय का बैन लगाया गया। 8. सुनील गावस्कर मैच छोड़ कर चले गए sunil-gavaskar-1446550749-800 1980-81 में भारत के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर कप्तान सुनील गावस्कर गुस्से से मेलबोर्न टेस्ट को खत्म करने ही वाले थे। उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई अंपायर रेक्स के द्वारा आउट दिये जाने पर अपना आपा खो दिया। पूरी सीरीज के दौरान रेक्स ने भारतीय टीम के खिलाफ काफी विवादित निर्णय दिये। जब गावस्कर को डेनिस लिली की गेंद पर पगबाधा दिया गया, उन्हें गुस्सा आ गया। गावस्कर नाराज थे, क्योंकि उन्हें यकीन था की गेंद अंदरूनी किनारा लेकर पैड के लगी है। उन्होंने समझाने की कोशिश की पर अंपायर अपना निर्णय दे चुके थे। उन्होंने साथी बल्लेबाज चेतन चौहान से ग्राउंड छोड़ कर चलने को कहा। टीम मैनेजर सलीम दुर्रानी ने चौहान को मैच में वापस जाने को कहा। भारत यह मैच 59 रनों से जीता था। लेखक- इंद्रसेन मुखोपध्याय, अनुवादक- आदित्य मामोड़िया

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