सोनी रामाधीन पहले ईस्ट इंडियन थे जो वेस्टइंडीज की टीम में शमिल किए गये थे। उन्हें 1950 के इंग्लैंड दौरे पर जाने वाली टीम में शामिल किया गया था। रामाधीन ने बल्लेबाजों को दोनों तरफ स्पिन करने की क्षमता से परेशान किया था। रामाधीन ने लॉर्ड्स में अपनी दोनों तरफ घुमती गेंदों का जलवा दिखाते हुए 152 रन देकर 11 विकेट लिए और अपनी टीम को लॉर्ड्स मैदान पर पहली जीत दिलाई। उन्होंने वेस्टइंडीज को कई मैच में जीत दिलाई। वह गेंद को बीच की ऊँगली से सीम पर पकड़ने के बजाय उसे नीचे रखते थे। उन्होंने 28.98 के औसत से 43 मैचों में 158 विकेट लिए थे। रामाधीन की चमक तब फीकी हो गयी जब अंग्रेज बल्लेबाज़ पीटर मे और कोलिन कोडरे ने चौथे विकेट के लिए 411 रन की साझेदारी निभाई। ये मैच एजबेस्टन में खेला गया था। मे ने उनके खिलाफ आक्रामक बल्लेबाज़ी की तो कोडरे ने उनकी बाकी कोशिश नाकाम कर दी। इस खराब प्रदर्शन से वह उबर नहीं पाए और वह काफी रक्षात्मक हो गये। हालाँकि उनका नाम रिकॉर्ड बुक में दर्ज है।