ये बिलकुल एक कहानी की तरह था, जब एक गेंदबाज़ अपनी गति असमान परिवर्तन करने में कामयाब रहता था। उन्हें सिर्फ वीरेन्द्र सहवाग ही अपनी विस्फोटक बल्लेबाज़ी से कंट्रोल करने में कामयाब हो सकते थे। सहवाग का जिक्र यहाँ इसलिए हो रहा है क्योंकि एक वह ही थे जिन्होंने इस श्रीलंकाई स्पिनर पर शॉट लगाने में कामयाब रहे, जबकि वह शुरू में काफी अबूझ पहेली की तरह थे। वह एक अदभुत स्पिनर थे जो अपनी उंगलियों से गेंद को फ्लिक करते थे। जैक ने अभ्यास करके नई तरह से गेंद फेंकना इजाद किया था। लेकिन जॉन और मेंडिस ने अपनी खतरनाक कैरम बॉल से दुनिया भर को हैरान कर दिया था। साल 2008 के एशिया कप के फाइनल में मेंडिस ने भारतीय बल्लेबाज़ी को तहस नहस कर दिया था। और अपनी टीम को यादगार जीत दिलाया था। मेंडिस ने टेस्ट मैच में भी जोरदार शुरुआत की थी। उन्होंने अपने पहले टेस्ट में 8 विकेट लिए थे। जबकि सीरीज में 26 विकेट झटके थे। उन्होंने पदार्पण मैच में एलेक बेड्सर से पारी में दो और सीरीज में 3 विकेट ज्यादा लिए थे। हालांकि उनका जादू ज्यादा दिनों तक नहीं चल पाया और वह मुरलीधरन के संन्यास के बाद मजबूत विकल्प नहीं बन पाए। टेस्ट टीम से उनकी छुट्टी हो गयी और बहुत कम ही मौके उन्हें छोटे प्रारूप में भी मिल रहे हैं। मेंडिस के नाम टी-20 में सबसे अच्छा व्यक्तिगत प्रदर्शन रहा है। लेकिन वह अपनी जगह टीम में बनाने में सफल नहीं रह पाए और श्रीलंकाई टीम से बाहर चल रहे हैं। एक समय वह दुनिया के बेहतरीन उभरते हुए सितारे माने जा रहे थे। मेंडिस इस वक्त घरेलू क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन करके टीम में वापसी करने की कोशिश में लगे हुए हैं।