किसी भी तरह के विवादों और सुर्ख़ियों से दूर रह कर, इस खिलाड़ी ने बल्लेबाज़ के रूप में अपना रुतबा अपने व्यक्तित्व के दम पर स्थापित किया। राहुल द्रविड़ दृढ़ निश्चयी थे। 90 के दशक के अंत से 21वीं सदी के प्रारम्भिक दशक तक, इस आत्मविश्वास से पूर्ण, तकनीकी रूप से अद्वितीय बल्लेबाज का कोई सानी न था। शानदार बैक-लिफ्ट, बेहतरीन फॉरवर्ड प्रेस और सही वक्त पर सही फैसले लेने की उनकी काबिलियत ने उन्हें भारत का सबसे भरोसेमंद खिलाड़ी बनाया। द्रविड़ की नेतृव क्षमता की कभी बात नहीं होती पर कई बार इंग्लैंड और वेस्ट इंडीज़ के खिलाफ उनके नेतृत्व में कितनी ही टेस्ट -सीरीज जीत के आंकड़े उनके इस हुनर की भी दाद देते हैं।
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