कपिल देव के आने से पहले, भारत के लिए बड़ी परेशानी की बात ये रहती थी की आखिर स्पिनर्स को गेंद थमाने का वक़्त आये उससे पहले, नयी गेंद से शुरुवात कौन करेगा? कपिल देव के टीम में आते ही जैसे कोई नयी उमंग आ गयी। एक तेज़ गेंदबाज़, लम्बा रन-अप लेकर आता है और गेंद डालता है, गेंद कीपर के ग्लव्स तक पहुँचती है तो उस वक़्त जैसे ये बड़े अचम्भे की सी बात थी। किसी अचरज की बात नहीं है कि इस 'हरियाणा हरिकेन' को सन 2002 में उन्हें सदी का सबसे बेहतरीन भारतीय क्रिकेटर उपाधि से नवाज़ा गया वो भी तब जब इस उपाधि के लिए उनके साथ गावस्कर और तेंदुलकर जैसे दिग्गजों का नाम था। बल्ले से भी बड़ी सादगी से खेलते हुए वो गेम को पलट सकने का हुनर रखते थे। भारतीय क्रिकेट पर उनका कुछ ऐसा असर रहा कि आज उनके रिटायरमेंट के 22 साल बाद भी उनकी जगह लेने वाला कोई क्रिकेटर पैदा नहीं हुआ।