वानखेड़े स्टेडियम में इंग्लैंड की कुछ यादगार जीत

टेस्ट सीरीज में 2-0 से पिछड़ रही इंग्लिश टीम सभी संभावनाओं को दरकिनार करते हुए वानखेड़े स्टेडियम में 8 दिसंबर से खेले जाने वाले चौथे टेस्ट मैच में जरुर वापसी करना चाहेगी । इंग्लैंड के लिए वानखेड़े स्टेडियम काफी भाग्यशाली रहा है, ऐसे में भारतीय टीम को ज्यादा सतर्क रहना पड़ेगा । पिछले कुछ सालों में इंग्लिश टीम ने यहां कुछ यादगार जीत हासिल की है । आइए नजर डालते हैं इंग्लैंड की उन्हीं कुछ जीतों पर । गोल्डेन जुबली टेस्ट, 1980- इंग्लैंड की 10 विकेट से जीत- गोल्डेन जुबली टेस्ट का आयोजन भारतीय क्रिकेट बोर्ड के 100 साल पूरे होने के मौके पर किया गया था । इंग्लिश ऑल राउंडर इयान बॉथम के लिए ये मैच काफी शानदार रहा । बॉथम के लिए ये 'वन मैन शो' था, मैच में बॉथम ने 13 विकेट लिए और एक शानदार शतक भी लगाया । पहली पारी में बॉथम ने 6 विकेट लिए जिसकी वजह से भारतीय टीम मात्र 242 रन ही बना सकी । उसके बाद उन्होंने 17 चौकों की मदद से 144 गेंदों पर 114 रन बनाए । ये पारी इंग्लिश टीम के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित हुई, क्योंकि एक समय इंग्लैंड की टीम मात्र 58 रनों पर 5 विकेट गंवाकर मुश्किल में थी, लेकिन बॉथम की पारी ने इंग्लैंड को संभाल लिया । दूसरी पारी में भी उन्होंने भारतीय पारी के 7 विकेट चटकाए जिससे भारतीय टीम दूसरी पारी में महज 149 रनों पर सिमट गई । 2. वर्ल्ड कप सेमीफाइनल, 1987 - इंग्लैंड की 35 रनों से जीत सुनील गावस्कर के शानदार शतक और चेतन शर्मा की हैट्रिक की मदद से भारत ने न्यूजीलैंड को हराकर विश्व कप के सेमीफाइनल में तो जगह बना ली, लेकिन मुंबई में खेले गए सेमीफाइनल मैच में भारत की उम्मीदें धूमिल हो गईं । भारतीय कप्तान कपिल देव ने टॉस जीतकर इंग्लैंड को बल्लेबाजी के लिए आमंत्रित किया, जिसके बाद ग्राहम गूच और माइक गेटिंग ने इंग्लैंड को आक्रामक शुरुआत दिलाई । इन दोनों बल्लेबाजों ने मात्र 19 ओवर में 117 रन बना डाले । ग्राहम गूच ने शानदार 115 रन बनाए, जिसकी वजह से इंग्लिश टीम 254 रनों का चुनौतीपूर्ण स्कोर खड़ा करने में सफल रही । पेट दर्द के कारण मैच से दिलीप वेंगसरकर के बाहर होने की वजह से भारत के लिए ये स्कोर बहुत बड़ा साबित हुआ । इंग्लैंड के लिए ईड्डी हेमिंग्स ने 21 रन देकर 4 विकेट चटकाए जिसकी वजह से भारतीय टीम 219 रन ही बना सकी । भारत की तरफ से केवल मोहम्मद अजहरुद्दीन ने इंग्लिश बल्लेबाजों का डटकर सामना किया, उन्होंने 64 रनों की पारी खेली । रवि शास्त्री आउट होने वाले सबसे आखिरी बल्लेबाज थे, उनके आउट होते ही भारत के लगातार दूसरी बार वर्ल्ड कप फाइनल में पहुंचने की उम्मीदों पर पानी फिर गया । 3. छठा वनडे, 2002- इंग्लैंड की 5 रनों से रोमांचक जीत- टेस्ट सीरीज हारने के बाद क्रिसमस की वजह से इंग्लैंड टीम स्वदेश लौट गई । 6 मैचों की वनडे सीरीज के खेलने के लिए टीम वापस इंडिया आई । वनडे सीरीज का दूसरा मैच जीतकर इंग्लैंड ने सीरीज में बराबरी कर ली । लेकिन चेन्नई और कानपुर में खेले गए अगले 2 मैच वो हार गए । दिल्ली में खेले गए 5वें वनडे में इंग्लिश टीम ने एश्ले गिल्स की घातक गेंदबाजी की बदौलत 2 रनों से रोमांचक जीत हासिल की । गिल्स ने मैच में महज 9 रन देकर 5 विकेट झटककर इंग्लैंड की जीत सुनिश्चित की । सीरीज का आखिरी और निर्णायक मैच वानखेड़े स्टेडियम मुंबई में खेला गया । जिसमें इंग्लिश टीम ने 5 रनों से जीत हासिल की । उस मैच में पहले बल्लेबाजी करते हुए इंग्लैंड की टीम ने 256 रनों का सम्मानजनक स्कोर खड़ा किया । भारत आसानी से लक्ष्य की तरफ बढ़ रहा था । सौरव गांगुली ने 99 गेंदों पर 80 रन बनाकर भारत को लगभग जीत की दहलीज तक पहुंचा ही दिया था, लेकिन तभी मैच में इंग्लिश खिलाड़ी गिल्स के रुप में नया ट्विस्ट आया । गिल्स ने सौरव गांगुली को आउट करके इंग्लैंड को मैच में वापस ला दिया । भारतीय टीम एक समय 4 विकेट खोकर 191 रन बनाकर मजबूत स्थिति में थी, लेकिन गांगुली के आउट होने के बाद पूरी टीम महज 50 रन और जोड़कर 250 रनों पर ऑलआउट हो गई । ऑलराउंडर एंड्र्यू फ्लिंटॉफ ने मैच में 38 रन देकर 3 विकेट चटकाए । फ्लिंटॉफ ने जब भारत का आखिरी विकेट लिया तो खुशी में उन्होंने अपना टीशर्ट निकालकर हवा में लहराया । इसी का जवाब कप्तान सौरव गांगुली ने 2002 में लॉर्ड्स में नेटवस्ट ट्रॉफी जीतने के बाद दिया । मैच जीतने के बाद गांगुली ने भी अपनी टीशर्ट हवा में लहराई । 4. तीसरा टेस्ट 2006- इंग्लैंड की 212 रनों से जीत- उस सीरीज में इंग्लैंड ने पहला मैच ड्रॉ कराया, लेकिन मोहाली में खेले गए दूसरे टेस्ट मैच में उन्हें बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा । सीरीज में बराबरी पर रहने के लिए इंग्लिश टीम को हर हाल में तीसरा टेस्ट मैच जीतना जरुरी था, जो कि वानखेड़े स्टेडियम में खेला जाना था । इंग्लैंड के प्रदर्शन को देखते हुए ये दूर की कौड़ी लग रही थी । लेकिन सबकी उम्मीदों के उलट इंग्लैंड ने बेहतरीन प्रदर्शन किया । टॉस हारकर पहले बल्लेबाजी करते हुए इंग्लैंड की टीम ने पहली पारी में 400 रन बनाए और भारत की पहली पारी को 279 रनों पर समेट कर 121 रनों की बढ़त ले ली । हालांकि इंग्लिश टीम की दूसरी पारी को भारतीय गेंदबाजों ने महज 191 रनों पर समेट दिया, लेकिन पहली पारी के बढ़त के आधार पर भारत को 313 रनों का लक्ष्य मिला । लेकिन लक्ष्य का पीछा करते हुए भारतीय पारी ताश के पत्तों की तरह बिखर गई । स्पिनर शॉन ऊदल और एंड्र्यू फ्लिंटॉफ ने मिलकर भारतीय बल्लेबाजी को तहस-नहस कर दिया और पूरी भारतीय टीम महज 100 रनों पर ही सिमट गई । सचिन तेंदुलकर 34 रनों के साथ टॉप स्कोरर रहे । 5. दूसरा टेस्ट, 2012- इंग्लैंड की 10 विकेट से जीत- 2012 में एलिस्टेयर कुक और केविन पीटरसन इंग्लिश टीम की बल्लेबाजी के स्तंभ थे । सीरीज में 1-0 से पिछड़ने के बाद इन दोनों बल्लेबाजों के ऊपर सबसे बड़ी जिम्मेदारी थी कि वो इंग्लैंड को सीरीज में बराबरी दिलाएं और उन्होंने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई । पहली पारी में भारत के 327 रनों के जवाब में इंग्लैंड ने 413 रन बनाए । एलिस्टेयर कुक ने जहां 122 रन बनाए तो केविन पीटरसन ने 186 रनों की बेहतरीन पारी खेली । दूसरी पारी में भारतीय बल्लेबाजी इंग्लिश स्पिनरों मोंटी पनेसर और ग्रीम स्वान के जाल में उलझकर रह गई । इन दोनों ने मिलकर भारत की पारी के सभी 10 विकेट लिए और पूरी भारतीय टीम मात्र 142 रनों पर ढेर हो गई । भारत का कोई भी बल्लेबाज इन दोनों स्पिनरों के बुने हुए जाल से निकल नहीं पाया । केवल गौतम गंभीर ही एकमात्र ऐसे बल्लेबाज रहे जिन्होंने इंग्लिश गेंदबाजों का डटकर सामना किया और 65 रनों की संयमित पारी खेली । इंग्लैंड को जीतने के लिए 58 रनों का लक्ष्य मिला, जिसे उन्होंने बिना विकेट खोए आसानी से हासिल कर लिया । 2012 में ही इंग्लैंड ने वानखेड़े स्टेडियम पर 6 विकेट से टी-20 मैच भी जीता था ।

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