कप्तान पर टीम काफी हद तक निर्भर करती है, टीम का नेतृत्व करने वाला खिलाड़ी ही उसे आगे ले जाने की काबिलियत रखता है। कप्तान कई बार जीत में अहम भूमिका अदा करता है तो कई बार टीम की रणनीति भी तय करता है। इसके अलावा कई बार तो टीम के कप्तान से ही उस टीम का नाम तक होता है। ऐसे में अनुभव काफी हद तक अहमियत रखता है।
उम्र के साथ अनुभव आता है लेकिन आजकल तो ज्यादा उम्र होने पर क्रिकेटर फिटनेस और फॉर्म के चलते संन्यास का फैसला ले लेता है। ऐसा तब नजर नहीं आता था, जब इंग्लैंड के विलियम गिल्बर्ट ग्रेस ने टीम की कप्तानी संभाली। हालांकि यह साल 1899 की कहानी है। दुनिया में क्रिकेट की शुरुआत करने वाले देश इंग्लैंड ने तब ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट मैच खेला था, जो नॉटिंघम में खेला गया था। ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच यह मुकाबला ड्रॉ रहा था।
क्या हुआ था मैच में
ऑस्ट्रेलिया ने पहली पारी में 252 रन बनाए जिसके बाद ग्रेस की कप्तानी वाली इंग्लैंड टीम ने 193 रन बनाए। उस समय ग्रेस की उम्र 50 साल 320 दिन थी। मैच में ओपनिंग करने उतरे ग्रेस ने 28 रन बनाए जबकि सीबी फ्राइ ने 50 रन जोड़े। ऑस्ट्रेलिया ने दूसरी पारी 8 विकेट पर 230 रन बनाकर घोषित कर दी और इंग्लैंड को मिला 290 रन का लक्ष्य जिसके जवाब में टीम 7 विकेट पर 155 रन बना पाई और मैच ड्रॉ रहा।
कौन थे विलियम गिल्बर्ट ग्रेस
विलियम ग्रेस का जन्म 18 जुलाई 1848 को ब्रिस्टल में हुआ था। अपने करियर में 872 प्रथम श्रेणी मैच खेलने वाले ग्रेस ने 22 टेस्ट मैच खेले। उन्होंने 36 टेस्ट पारियों में कुल 1098 रन बनाए जिसमें 2 शतक और 5 अर्धशतक जड़े। उन्होंने 872 प्रथम श्रेणी मैचों की 1478 पारियों में 54211 रन बनाए। इसके अलावा 9 टेस्ट विकेट और 2809 प्रथम श्रेणी विकेट उनके नाम दर्ज हैं। उनका निधन 23 अक्टूबर 1915 को केंट में हुआ।