भारतीय क्रिकेट से जुड़ी हर जानने योग्य बात, चाहे वे क्रिकेटर्स हों, मैदान हों या फिर रिकॉर्ड्स, आपको इस लेख में मिल जाएगी। बाकी दुनिया के लिए क्रिकेट भले ही एक खेल हो, लेकिन अंग्रेजी के इस शब्द को हिंदुस्तानी धर्म मानते हैं। क्रिकेट उन कारकों में से है, जो भारतीयों को उनकी पृष्ठभूमि से ऊपर उठाकर साथ लाने का माद्दा रखता है। साल दर साल, भारत ने अपने फैन्स को इतनी खूबसूरत यादें दी हैं, जिन्होंने इस खेल के साथ उनके रिश्ते और भी गहरा बना दिया है।
A: अजीत वाडेकर
भारत को विदेशी धरती पर जीतना सिखाने का श्रेय अक्सर सौरव गांगुली को दिया जाता है। हालांकि, सालों पहले वाडेकर ने इस क्षमता के बीज बो दिए थे और तब तक सौरव दादा धरती पर आए भी नहीं थे। सुनील गावस्कर, गुंडप्पा विश्वनाथ और अपने वक्त बेहद लोकप्रिय स्पिनर्स बेदी, प्रसन्ना, चंद्रशेखर और वेंकटराघवन, जैसे नामों का नेतृत्व करते हुए वाडेकर ने 1971 में इंग्लैंड और वेस्टइंडीज को उनकी ही धरती पर हार का जायका चखाया था। उल्लेखनीय नामः अनिल कुंबले B: बॉम्बे जिमखाना भारतीय धरती ने टेस्ट मैच की मेजबानी की प्रथा का श्रीगणेश इसी मैदान से किया था। इतना ही नहीं, किसी भी भारतीय द्वारा पहले टेस्ट शतक का साक्षी होना भी इसी मैदान के कोष में हैं और यह भारतीय थे लाला अमरनाथ और इतिहास बनी 118 रनों की उनकी शतकीय पारी। C: सीके नायडू 25 जून, 1932 को लॉर्ड के मैदान पर भारत ने अपना पहला टेस्ट मैच खेला था। उस वक्त भारत के कप्तान थे सीके नायडू। नायडू ने एमसीसी की टीम के खिलाफ 153 रनों की शानदार पारी खेली थी। उन्होंने 1936 में टीम इंडिया की कमान संभाली। इसके बाद दूसरे विश्व युद्ध की वजह से क्रिकेट ने 10 साल का सूखा देखा। नायडू के सम्मान में बीसीसीआई हर साल सीके नायडू लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड देती है। D: दादा नाम है सौरव चंडीदास गांगुली, लेकिन प्यार से लोग इन्हें भारतीय क्रिकेट का दादा बुलाते हैं। एक ऐसा कप्तान, जिसने पूरी दुनिया में भारतीय टीम का खौफ पैदा किया। भारत के सबसे सफल कप्तानों में से एक गांगुली ने, टीम को सिखाया कि जब तक हम हारे नहीं, तब तक हम जीते हुए हैं। अपनी कप्तानी में दादा ने टीम को पाकिस्तान में टेस्ट सीरीज, ऑस्ट्रेलिया-इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज में जीत दिलाई। 2003 विश्व कप और आईसीसी चैंपियन्स ट्रॉफी के फाइनल तक भारत को ले जाने का कारनाम भी दादा ने अपनी कप्तानी में कर दिखाया। अब बात दादा के अपने व्यक्तिगत करियर की तो कोलकाता के इस बाएं हाथ के बल्लेबाज ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 18,000 रनों का पहाड़ भी चढ़ रखा है और उनका औसत भी 40 से अधिक का रहा है। उल्लेखनीय नामः दिलीप वेंगसरकर E: ईडन गार्डन्स दादा के बाद अब बात करते हैं उस मैदान की, जहां दादा को सबसे ज्यादा चाहा जाता है। 67,000 क्रिकेट फैन्स को समाने की क्षमता वाला यह मैदान भारत का सबसे बड़ा मैदान है और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा। इस मैदान का सिर्फ भौगौलिक आकार ही नहीं बड़ा है, बल्कि इसकी यादों की गैलरी में बेपनाह रिकॉर्ड्स कैद हैं। यादों की फेहरिस्त में 1996 विश्व कप में श्रीलंका से मिली हार जैसी कड़वी और 2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ लक्ष्य का पीछा करते हुई मिली शानदार जीत जैसी खूबसूरत यादें, सभी शामिल हैं। F: फिरोज शाह कोटला भारत के इतिहास में दिल्ली और भारतीय क्रिकेट के इतिहास में इसके फिरोज शाह कोटला मैदान को तो भुलाया ही नहीं जा सकता। आजाद सांसों के साथ भारत ने अपना पहला टेस्ट मैच इसी मैदान पर खेला था। एक दफा पाकिस्तान के खिलाफ खेलते हुए अपने जंबो (अनिल कुंबले) पर विकेटों की भूख इतनी हावी थी कि उन्होंने सबका हिस्सा अपने ही नाम कर लिया और पूरे 10 विकेट खुद ही चटका दिए। इसके अलावा टेस्ट क्रिकेट में भारत की जीत और यह मैदान 1987 से आज तक अलग ही नहीं हो सके। G: गुंडप्पा विश्वनाथ न सिर्फ भारतीय क्रिकेट बल्कि वर्ल्ड क्रिकेट द्वारा देखे गए सबसे शानदार बल्लेबाजों में एक हैं गुंडप्पा विश्वनाथ। वैसे तो गुंडप्पा बल्लेबाजी की किताब का हर शॉट खेल सकते थे, लेकिन वह सबसे ज्यादा अपने स्कवेयर कट के लिए मशहूर थे। साथियों के बीच ‘विशी’ के नाम से मशहूर गुंडप्पा ने कुल 91 टेस्ट मैच खेले, जिसमें उन्होंने 42 के औसत से 6000 रन बनाए। भारत ने 1976 में पोर्ट ऑफ स्पेन में वेस्टइंडीज के खिलाफ 400 से अधिक रनों का पीछा किया था, जिसमें गुंडप्पा के 112 रनों की पारी बेहद अहम थी। उल्लेखनीय नामः गैरी कर्स्टन H: हर्षा भोगले 90 के दशक में हर भारतीय क्रिकेट फैन के लिए हर्षा भोगले की आवाज ही खेल की आवाज थी। उनकी साफगोई और निष्पक्षता उन्हें फैन्स के बेहद करीब लाती है। एक और तथ्य जिस पर आश्चर्य भी कर सकते हैं और प्रेरित भी हो सकते हैं, वह यह कि आज क्रिकेट विशेषज्ञ माने जाने वाले हर्षा ने कभी क्रिकेट नहीं खेला। उल्लेखनीय नामः हरभजन सिंह I: आईपीएल इंडियन प्रीमियर लीग, विश्व क्रिकेट का सबसे बड़ा टी-20 टूर्नामेंट। हर साल अप्रैल-मई में होने वाले इस टूर्नामेंट के लिए भारतीय फैन्स दीवाने हैं। J: जगमोहन डालमिया बीसीसीआई के ओहदे को कई मायनों में आईसीसी से भी बड़ा करने में इस शख्स का सबसे बड़ा योगदान है। पेशे से व्यापारी इस शख्स ने भारतीय क्रिकेट की प्रशासनिक व्यवस्था को बेहद मजबूत बना दिया। 1987 और 1996 के विश्व कप की मेजबानी में भारत की हिस्सेदारी का श्रेय डालमिया को है। डालमिया ने ही भारत में क्रिकेट मैच के टेलिविजन राइट्स बेचने की प्रथा शुरू की, जिसके बाद बीसीसीआई की कमाई आसमान छूने लगी। 1997 में डालमिया पहले एशियाई और नॉन-क्रिकेटर शख्सियत बने, जिसे आईसीसी की कमान सौंपी गई। उल्लेखनीय नामः जवागल श्रीनाथ K: कपिल देव कपिल देव का भारतीय क्रिकेट में योगदान और ओहदा इस दर्जे का कि उनके संन्यास लेने के 23 साल बाद भी उनका कोई विकल्प नजर नहीं आता। हरियाणा का यह खिलाड़ी बल्ले और गेंद दोनों ही से कमाल दिखाने में सक्षम था। कपिल देव की गिनती दुनिया के ऑल टाइम बेहतरीन ऑलराउंडर्स में होती है। 1983 में कपिल पाजी ने भारत को विश्व कप जिताया, जिस टीम की गिनती इस खिताब के प्रबल दावेदारों में कोई भी नहीं कर रहा था। कपिल एकमात्र ऐसे क्रिकेटर हैं, जिनमें नाम पर 5000 टेस्ट रनों के साथ-साथ 400 से ज्यादा विकेट्स का रिकॉर्ड है। टेस्ट क्रिकेट में 434 विकेटों का उनका रिकॉर्ड 6 साल तक अनछुआ रहा, जब तक कॉर्टनी वॉल्श ने उसे नहीं तोड़ा। L: लाला अमरनाथ भारत की ओर से पहली बार टेस्ट क्रिकेट में शतक लगाने वाले लाला अमरनाथ को भारतीय क्रिकेट का पितामह माना जाता है। साथ ही, आजाद भारत की टेस्ट टीम के पहले कप्तान थे। 24 मैचों के टेस्ट करियर में अमरनाथ ने 878 रन बनाए और 45 विकेट अपने नाम किए। दूसरे विश्व युद्ध की वजह से उनका टेस्ट करियर लंबा सफर नहीं तय कर सका। हालांकि, फर्स्ट क्लास क्रिकेट में अमरनाथ ने 10 हजार से ज्यादा रन जोड़े और लगभग 450 से ज्यादा विकेटों का आंकड़ा छुआ। M: महेंद्र सिंह धोनी मैच के दौरान हर परिस्थिति में एक जैसे रहने वाले भारत के कैप्टन कूल, देश के लिए एक स्मॉल टाउन हीरो साबित हुए। इस शख्सियत ने अपने आगाज के कुछ वक्त बाद ही यह बता दिया कि भारत के लिए वह एक अभूतपूर्व खिलाड़ी साबित होने वाले हैं और हुआ भी कुछ वैसा ही। वह एकमात्र ऐसे कप्तान हैं, जिनके नाम पर आईसीसी के सभी टूर्नामेंट (आईसीसी वर्ल्ड कप, चैंपियन्स ट्रॉफी, टी-20 विश्व कप, टेस्ट में नंबर 1) लिखे हुए हैं। सीमित ओवरों के खेल में अपने असीमित हुनर से धोनी ने खुद को बेस्ट फिनिशर साबित करके दिखाया। इन सब उपलब्धियों के साथ-साथ 2011 विश्व कप में जीत का छक्का मार, पूरी अदा के साथ बल्ले को हवा में घुमाने वाले धोनी को विश्व क्रिकेट कभी भी नहीं भुला पाएगा। उल्लेखनीय नामः मंसूर अली खान पटौदी, मोहिंदर अमरनाथ
N: नजफगढ़ के नवाब उर्फ सहवाग
बैटिंग मैनुअल- आंखे और सिर स्थिर रखना
- घुटने हल्के मुड़े हुए, दोनों पैर समानान्तर तौर पर क्रीज के दोनों तरफ
- बॉल की पिच के साथ मूवमेंट और शानदार स्ट्रोक
- गाते या सीटी बजाते हुए अपना स्टान्स लेना
- मन में जो भी शॉट आए, उसे खेलने की ठान लेना
- बॉल को देखो और बस मार दो
ऊपर बताए गए तेवर यह साबित करते हैं कि सहवाग सच में नवाब हैं। सहवाग के अपने ही करीने थे। पूरे करियर के दौरान इस बल्लेबाज का खौफ दुनियाभर के गेंदबाजों की नींद उड़ाता रहा। वह पहले भारतीय बल्लेबाज थे, जिनके नाम पर पारी में 300 से ज्यादा रन दर्ज हुए। दुनिया के उन चुनिंदा बल्लेबाजों में से एक हैं सहवाग, जिनके नाम पर टेस्ट क्रिकेट में 2 तिहरे शतक दर्ज हैं। उनके नाम पर वनडे में भी एक दोहरा शतक है। O: वन हन्ड्रेड हन्ड्रेड्स (One Hundred Hundreds) सर डॉन ब्रैडमैन के 99.94 के औसत के बाद अगर क्रिकेट में कोई दूसरा जादूई आंकड़ा है तो वह है ‘शतकों का शतक’ और इसको हकीकत बनाने वाला और कोई नहीं बल्कि क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर। टेस्ट में 51 और वनडे में 49 शतकों का सचिक का रिकॉर्ड निकट भविष्य में तो टूटता नजर नहीं आता। P: पाकिस्तान एक देश जिससे हम कभी हारना नहीं चाहते। इस टीम के साथ मैच खिलाड़ियों के करियर निर्धारित कर देते हैं। ये कुछ ऐसी बातें हैं, जिनसे साफ होता है कि भारतीय क्रिकेट में पाकिस्तानी टीम की कितनी अहमियत है। अगर क्रिकेट के लिए भारतीय एकसाथ आते हैं, तो पाकिस्तान के खिलाफ हर भारतीय क्रिकेट प्रेमी का गठबंधन और भी मजबूत दिखाई देता है। वैसे तो दोनों देशों के बीच हुए टेस्ट और वनडे मुकाबलों में जीत के आंकड़े पाक की तरफ हैं, लेकिन विश्व कप में भारत आज तक अजेय रहा है। उल्लेखनीय नामः पॉली उमरीगर Q: क्वॉर्टेट (स्पिन) भारत के चार दिग्गज स्पिनरों (इरापल्ली प्रसन्ना, श्रीनिवास वेंकटराघवन, भागवत चंद्रशेखर, बिशन सिंह बेदी) का स्कवॉड, जिसने 1960-70 में दुश्मनों की नाक में दम कर रखा था। वैसे इन चारों ने एक साथ भारत के लिए सिर्फ एक टेस्ट खेला, लेकिन भारत की कई ऐतिहासिक जीत के हीरो रहे। इनमें इंग्लैंड और वेस्टइंडीज के खिलाफ उनकी धरती पर शानदार सीरीज जीत और साथ ही, ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड की चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में टेस्ट मैचों में जीत शामिल है। इस चौकड़ी की सबसे बड़ी खासियत थी, इसकी विविधता। प्रसन्ना और वेंकटराघवन के पास ऑफ-स्पिन का हथियार था। चंद्रशेखर लेग स्पिनर थे और बेदी स्लो लेफ्ट आर्म बोलर। साझा आंकड़ों के मुताबिक, इन्होंने 231 टेस्ट मैचों में 853 विकेट चटकाए। R: राहुल द्रविड़ मैदान पर असाधारण धैर्य और दृढ़ता की मिसाल माने जाने वाला यह भारतीय दिग्गज विश्व क्रिकेट में अद्वितीय है। अपनी क्षमताओं से परिचित होना एक विलक्षण खिलाड़ी का ही गुण हो सकता है, जो द्रविड़ में था। इस खिलाड़ी ने क्रिकेट को न सिर्फ किताबी अंदाज में खेला, बल्कि अपने खेल को ही आने वाली पीढ़ियों के लिए एक किताब बना दिया। मैच की आखिरी गेंद तक शरीर में शिथिलता की जुम्बिश भी नजर न आना, कुछ ऐसे थे द्रविड़। द्रविड़ का धैर्य गेंदबाजों की क्षमता की परीक्षा लेता था और शायद इसीलिए उन्हें टीम इंडिया की ‘द वॉल’ माना जाने लगा। 164 टेस्ट मैचों में द्रविड़ ने 52.31 के शानदार औसत के साथ 13,288 रनों का पहाड़ खड़ा किया। वैसे तो ज्यादातर क्रिकेट प्रेमी द्रविड़ को टेस्ट के लिए अधिक उपयुक्त मानते थे, लेकिन हुनर तो हुनर है। वनडे में भी इस खिलाड़ी का रिकॉर्ड दिग्गजों जैसा ही है। इन्होंने एकदिवसीय मैचों में 39.16 के औसत के साथ 10 हजार रन बनाए हैं। उल्लेखनीय नामः रवि शास्त्री S: सचिन तेंदुलकर एक प्रसिद्ध ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार पीटर रोबक ने एक वाकये का जिक्र करते हुए बताया था कि एक बार वह शिमला से दिल्ली आ रहे थे और एक स्टेशन पर गाड़ी को कुछ मिनटों के लिए रुकना था। ट्रेन उस स्टेशन पर रुकी जरूर, लेकिन निर्धारित समय के लिए नहीं क्योंकि सचिन उस वक्त 98 के स्कोर पर थे। रेलवे अधिकारियों और यात्रियों ने सचिन का शतक पूरा होने का इंतजार किया। इस वाकये का जिक्र करते हुए ही पीटर ने कहा कि भारत में सचिन समय को भी रोक सकते हैं। 24 सालों के लंबे लेकिन बेहतरीन करियर में सचिन ने अनगिनत रिकॉर्ड्स बनाए। 1990-2000 के दशकों में भारतीय फैन्स क्रिकेट सिर्फ सचिन के लिए ही देखते थे। उनके आउट होते ही फैन्स टीवी सेट्स ही बंद कर देते थे। हालांकि, भगवान के लिए इतनी श्रद्धा तो लाजमी है। 2011 में जब भारत ने विश्व कप जीता, तो उनके भगवान की तमन्ना पूरी होने की खुशी फैन्स की आंखों में तैरने लगी। सचिन ने जब क्रिकेट से संन्यास लिया, तब से फैन्स भी वियोग झेल रहे हैं। उल्लेखनीय नामः सुनील गावस्कर T: द फैब फाइव सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, राहुल द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण और वीरेंद्र सहवाग हैं भारत के फैब फाइव। इन पांच असाधारण बल्लेबाजों ने एक के बाद एक दुनिया के बेहतरीन बोलिंग अटैक्स की धज्जियां उड़ाईं। साझा आंकड़ों के मुताबिक, इन खिलाड़ियों ने 715 टेस्ट मैचों में लगभग 50 के औसत के साथ 53,788 रन जोड़े। U: अंडर-19 क्रिकेट अंडर-19 क्रिकेट में भी भारत का दबदबा रहा है। अभी तक भारत 3 बार यह खिताब अपने नाम कर चुका है। इस समय अंडर-19 टीम के कोच द्रविड हैं और उनके नेतृत्व में हम टीम के और बेहतर होने की उम्मीद रख सकते हैं। V: विराट कोहली टीम इंडिया के हालिया कप्तान और फिलहाल विश्व क्रिकेट के सबसे उम्दा बल्लेबाजों में एक हैं कोहली। टीम इंडिया के सुनहरे भविष्य की सबसे बड़ी उम्मीद है यह खिलाड़ी। इस खिलाड़ी को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अभी एक दशक भी पूरा नहीं हुआ है और उन्होंने वह सब कुछ हासिल कर लिया है, जिसे कोई भी खिलाड़ी अपने पूरे करियर में पाने की ख्वाहिश रखता है। विराट को टीम इंडिया का बेस्ट रन चेजर माना जाने लगा है। विराट लगातार अपने खेल में सुधार दिखाते आए हैं और उनकी कप्तानी में टीम इंडिया की सफलता की उम्मीद रखना बेमानी नहीं होगा। उल्लेखनीय नामः वीवीएस लक्ष्मण, विजय मर्चेन्ट W: वर्ल्ड कप वर्ल्ड क्रिकेट का यह सबसे बड़ा टूर्नामेंट, इस खेल में किसी टीम का ओहदा तय करता है। भारतीय टीम अभी तक 2 बार विश्व कप अपने नाम कर चुकी है। पहली बार 1983 और फिर 2011में। विश्व कप के 46 मैचों में जीत हासिल कर, टीम इंडिया इस मामले में दूसरे स्थान पर है। टीम इंडिया पहला टी-20 विश्व कप भी अपने नाम कर चुकी है। अभी तक हुए टी-20 वर्ल्ड कप्स में भी मैच जीतने के मामले में टीम इंडिया दूसरे नंबर पर है। X: XX क्रोमोजोम (भारतीय महिला क्रिकेट टीम) हर क्षेत्र की तरह भारतीय क्रिकेट में भी महिलाओं का दबदबा बरकरार है। हाल ही में, महिला क्रिकेट टीम के प्रदर्शन में काफी सुधार देखने को मिला है। हालांकि, अभी तक टीम कोई बड़ा आईसीसी टूर्नामेंट अपने नाम करने में नाकाम नहीं रही है, लेकिन उनका बेहतर होता प्रदर्शन जल्द ही इस सपने को भी पूरा कर देगा। महिला टीम इंडिया में फिलहाल ऐसी कई खिलाड़ी हैं, जिनके नाम पर कई बड़े अंतरराष्ट्रीय रिकॉर्ड्स हैं। जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
- 16: वनडे मैचों में लगातार जीत का दूसरा सबसे सफल आंकड़ा (फरवरी 2016-मई 2017)
- 5852: मिताली राज, वनडे मैचों में रन बनाने के मामले में दूसरे पायदान पर।
- 185: झूलन गोस्वामी, वनडे मैचों में सबसे ज्यादा विकेट।
Y: युवराज सिंह
जब बात बड़े आईसीसी टूर्नामेंट्स की आती है, तो समीकरण साफ है। युवराज सिंह का अच्छा खेल = टूर्नामेंट में भारत की जीत। यह समीकरण तीन बार सही साबित हो चुका है; 2000 अंडर-19 वर्ल्ड कप, 2007 टी-20 वर्ल्ड कप और फिर 2011 आईसीसी वर्ल्ड कप। अंडर-19 वर्ल्ड कप और 2011 वर्ल्ड कप में 35 वर्षीय यह खिलाड़ी मैन ऑफ द सीरीज भी रह चुका है। युवराज के पास स्ट्रोकफुल बैटिंग, लेफ्ट आर्म बोलिंग और दुरुस्त फील्डिंग का बेहतरीन मिश्रण है। 2007 वर्ल्ड कप में युवराज के 6 छक्के, क्रिकेट इतिहास के सबसे यादगार पलों में से एक है। Z: जहीर खान भारतीय क्रिकेट आमूमन उसके बल्लेबाजों के लिए चर्चा में रहा है। हालांकि, जहीर खान ने इस तथ्य को काफी हद तक बदला। इस दशक की शुरुआत में भारत को टेस्ट रैंकिंग में नबंर 1 वन बनाने में भारतीय बल्लेबाजों के साथ-साथ इस गेंदबाज का भी बहुत बड़ा योगदान रहा है। 2011 विश्व कप में जहीर खान ने सबसे ज्यादा (21) विकेट लिए। लेखकः रवि त्रिवेदी, अनुवादकः देवान्श अवस्थी