पाकिस्तान क्रिकेट में हाल ही में चल रहे स्पॉट फिक्सिंग मामलों में उनके पूर्व लेग स्पिनर अब्दुल कादिर ने 1990 का जिक्र करते हुए पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को एक बड़ी बात कही है। उन्होंने इस समय में पाक बोर्ड पर कुछ पूर्व खिलाड़ियों को मैच फिक्सिंग के बाद भी छोड़ देने का आरोप लगाया। 61 वर्षीय कादिर ने कहा कि उस समय वकार यूनिस, मुश्ताक अहमद, वसीम अकरम और इंजमाम-उल-हक़ को बिना सजा दिए छोड़ देने का नतीजा यह है कि आज कई खिलाड़ी फिक्सिंग में लिप्त पाए गए हैं। पाकिस्तान के एक टीवी शॉ में कादिर ने कहा "क्या आपने वसीम अकरम, इंजमाम और मुश्ताक अहमद को सजा दी? यह एक लंबी सूची है। उन पर कार्रवाई होती, तो आज जो हो रहा है वो कभी नहीं होता। अता-उर-रहमान और सलीम मलिक को बलि का बकरा बनाया गया था, अगर शुरू में वो भी क्रिकेट के बड़े नाम होते, तो उन्हें भी छोड़ दिया जाता। जिस तरह हमारे देश में छोटे अपराधियों को पकड़कर बड़े लोगों को छोड़ा जा रहा है।वसीम, वकार, इंजमाम और मुश्ताक या अन्य लोग जो अभी या पहले पीसीबी में काम कर रहे हैं, जज कय्याम की सिफारिशें क्यों नहीं लागू की गई?" गौरतलब है कि 1990 में भी पाकिस्तान में फिक्सिंग में कुछ खिलाड़ियों को पकड़ा गया था लेकिन उस समय के कुछ खतरनाक खिलाड़ी खेले भी थे। इसके बाद मामले की जांच के लिए जस्टिस मलिक मोहम्मद कय्यूम की अध्यक्षता में एक जांच समिति बिठाई गई थी। 2000 में कय्यूम ने अता-उर-रहमान और सलीम मलिक को आजीवन प्रतिबंधित करने की सिफारिश की थी। हालाँकि कुछ समय बाद दोनों की वापसी हो गई थी। रहमान की गवाही गलत साबित होने पर वसीम अकरम पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद जांच समिति ने आगे वकार, इंजमाम और मुश्ताक सहित पांच खिलाड़ियों पर जुर्माना लगाने की सलाह दी थी लेकिन पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने सिर्फ मलिक और रहमान पर ही कार्रवाई की। 2006 में जस्टिस कय्यूम ने कहा था कि अकरम की शानदार गेंदबाजी प्रदर्शन के कारण उनकी रिपोर्ट को प्रभावित किया गया है। इसके बाद भी पाकिस्तान में 2010 में कुछ खिलाड़ी फिक्सिंग में लिप्त पाए गए थे, इनमें मोहम्मद आमिर और सलमान बट पर पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने कड़ी कार्रवाई की थी।