बदलाव की बयार में फिर धम्म से गिरी भारतीय टीम

बदलाव की बयार ने एक बार फिर भारतीय टीम को जमीन पर पटक दिया है। इंग्लैंड के खिलाफ तीन मैचों की सीरीज का पहला मैच हारने के बाद दूसरे मैच में भी भारत की हालत कुछ ठीक नहीं है। पहला दिन बारिश की बली चढ़ने के बाद दूसरे दिन जेम्स एंडरसन ने भारत का गला रेत दिया। शीर्ष क्रम के बल्लेबाज 9 रन के भीतर पवेलियन लौट गए। विराट कोहली, चेतेश्वर पुजारा को रन आउट कराने के बाद भी महज 23 रन के स्कोर पर चलते बने। बाकी के बल्लेबाजों का हाल भी कुछ ऐसा ही रहा और 35.2 ओवर में पूरी टीम 107 रन के स्कोर पर मैदान छोड़ चुकी थी। कप्तान कोहली ने इस टीम में भी आदतन दो बदलाव किए हैं। पहला शिखर धवन की जगह पुजारा और दूसरा उमेश यादव की जगह कुलदीप खेल रहे हैं। यह कहानी है विश्व विजेता बनने की ओर अग्रसर भारतीय क्रिकेट टीम की। आज मैच का तीसरा दिन है। पहला दिन बारिश की भेंट चढ गया और दूसरे दिन भी मात्र 35 ओवर का खेल हो पाया। अगर भगवान इंद्र की कृपा रही तो इसकी पूरी संभावना है कि यह मैच ड्रॉ हो जाए। गिली पिच और मौसम का हवाला देकर टीम इंडिया आलोचकों से भी बचने के प्रयास में लग चुकी होगी। लेकिन इन सब के बीच सवाल यह है कि क्या यह वही टीम है जिसमें एक समय सुनील गावस्कर और बाद के दिनों में राहुल द्रविड़ जैसे दीवार होते थे। सवाल यह भी है कि क्या टीम पिच पर ठहरना ही भूल गई है। दरअसल, बीते कुछ समय से देखें तो क्रिकेट को रन बनाने तक सीमित कर दिया गया है। किस बल्लेबाज के बल्ले से कितना रन निकला बस इसी को आधार बनाकर टीम तैयार कर लिया जाता है। जब परिणाम नहीं मिलते तो तुरंत फेरबदल शुरू होता है। ठीक यही हाल भारतीय टीम का है। इंडियन प्रीमियर लीग में खेलने की उत्सुकता ने बल्लेबाजों को बगैर तकनीक के बल्ला घुमाना सीखा दिया है। इसका नतिजा है कि जब वे पांच दिन के मैच में उतरते हैं तो जब तक विकेट बल्लेबाजों के अनुकूल होता है, वे बल्ला घुमाते रहते हैं और रन बनाते रहते हैं लेकिन जैसे ही गेंदबाजों को मदद मिलनी शुरू होती है वे बेदम हो जाते हैं। टेस्ट मैचों में एक दिन में 400 रन बनना और आठ -दस बल्लेबाजों का पवेलियन लौटना इसे साबित भी करता है। इस मैच में जीत हो या हार या फिर ड्रॉ, दोष बारिश के सिर मढ़ दिया जाएगा। कहा जाएगा कि गेंद बल्ले पर आ ही नहीं रही थी। यह काफी हद तक सही भी है। इंग्लैड के गेंदबाजों के सामने उनके घरेलू पिच पर बल्लेबाजी करना काफी मुश्किल काम है। मौसम में नमी ने एंडरस, स्टुअर्ट ब्रॉड और कुरेन जैसे गेंदबाजों को संजीवनी दे दी। हालांकि इसके बाद भी क्या भारतीय बल्लेबाजों में इतनी क्षमता नहीं थी कि वे कुछ समय पिच पर बिता सके। जिस लोकेश राहुल पर कप्तान ने भरोसा जताया वे लगातार दूसरे मैच में भी फेल रहे। वहीं मुरली विजय भी बगैर खाता खोले पवेलियन लौट गए। इस बीच एक दिलचस्प बात जरूर है कि भारत की ओर से सबसे ज्यादा स्कोर करने वाला कोई बल्लेबाज नहीं बल्की एक गेंदबाज बना। रविचंद्रन अश्विन ने इस मैच में सर्वाधिक 29 रन की पारी खेली। उन्होंने इस दौरान 38 गेंदों का सामना किया। कोहली हालांकि गेंदों का सामना करने के मामले में अव्वल रहे जिन्होंने 54 गेंदें खेलीं। इसके बाद अजिंक्य रहाणे का नंबर आता है। पुजारा भी इसी कोशिश में लगे थे लेकिन कोहली ने उन्हें रन आउट करा दिया। अब इन खिलाड़ियों को छोड़ दें तो बाकी पूरी टीम लगभग 50 गेंद के भीतर सिमट गई। हो सके आज इंग्लैंड के बल्लेबाजों के साथ भी ऐसा ही हो। वह भी 150 रन के भीतर पवेलियन लौटे जाएं लेकिन इसके सहारे अपनी कमजोरी को छिपाना सही नहीं है। इंग्लैंड की धरती पर ही अगला विश्व कप खेला जाना है। संभव है कि उस वक्त भी हालात कुछ ऐसे ही हों। तब भारत के लिए एक-एक रन और हर मैच महत्वपूर्ण होगा। उसे अभी से ही अपने खिलाड़ियों को इन हालातों के लिए तैयार करना होगा।

Edited by Staff Editor
Sportskeeda logo
Close menu
WWE
WWE
NBA
NBA
NFL
NFL
MMA
MMA
Tennis
Tennis
NHL
NHL
Golf
Golf
MLB
MLB
Soccer
Soccer
F1
F1
WNBA
WNBA
More
More
bell-icon Manage notifications