पिछले दो घरेलू सत्रों में मुंबई की टीम का प्रदर्शन खराब रहा। बीते दो साल में मुंबई टीम विजय हजारे ट्रॉफी के अलावा और कुछ नहीं जीत सकी। इसकी गाज मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन (एमसीए) के चयनकर्ताओं पर गिरना तय माना जा रहा था। हालांकि, इससे पहले ही एमसीए के चेयरमैन अजीत अगरकर सहित पूरी चयन समिति ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। कहा जा रहा है कि चयनकर्ताओं ने अपने इस्तीफे तदर्थ समिति और एमसीए के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सीएस नाइक को भेज दिए हैं।
एमसीए के चयनकर्ताओं ने अपना इस्तीफा तब दिया, जब घरेलू सीजन 2018-19 समाप्त हो चुका था। उसके एक दिन बाद ही अगरकर, नीलेश कुलकर्णी, सुनील मोरे और रवि थक्कर सहित पूरी चयन समिति ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया। कहा जा रहा था कि जल्द ही एमसीए की तदर्थ समिति की बैठक पूरी चयन समिति को बर्खास्त करने के लिए की जाने वाली थी। मुंबई टीम के चयनकर्ताओं को इसकी जानकारी पहले ही मिल गई थी। चयनकर्ताओं को इससे निराशा हुई और सभी ने आपस में बैठकर विचार किया। इसके बाद एकमत होकर इस्तीफा दे दिया। मुंबई के खराब प्रदर्शन की वजह से फरवरी में एमसीए की हुई विशेष आम बैठक के दौरान कई सदस्यों ने चयनकर्ताओं को उनके पदों से हटाने के लिए प्रस्ताव पारित किया था। हालांकि, तब एमसीए की सुधार समिति ने प्रस्ताव को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि चयनकर्ताओं की प्रतिबद्धता पर सवाल नहीं उठाया जा सकता है।
अजीत अगरकर और उनकी कंपनी की अगुआई में ही 12 साल बाद मुंबई ने इस सीजन में विजय हजारे ट्रॉफी को जीतने का गौरव हासिल किया था। यही नहीं, अजीत अगरकर के नेतृत्व में सभी चयनकर्ताओं ने पिछले दो साल में कई कड़े फैसले लिए थे। उन्होंने उन खिलाड़ियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया था, जो मैदान पर काफी वक्त से संघर्ष कर रहे थे। हालांकि, एमसीए की तदर्थ समिति के कुछ सदस्य इससे भी खुश नहीं थे। इसी वजह से उन्होंने चयनकर्ताओं पर बर्खास्तगी का दबाव डाला।
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