दुनिया की हर क्रिकेट टीम चाहती है कि उसके पास ऐसे ऑलराउंडर मौजूद हों मैच का रुख़ पलट सकते हैं। पिछले कुछ सालों में टेस्ट क्रिकेट में हरफ़नमौला खिलाड़ियों का जलवा रहा है। कहा जाता है कि क्रिकेट में कुछ प्रदर्शन ऐसे होते हैं जो बेहद दुलर्भ होते हैं जो कभी-कभी देखने को मिलते हैं। किसी भी खिलाड़ी के लिए टेस्ट मैच में हैट्रिक लेना क़ाबिलियत की बात होती है और वही खिलाड़ी जब उसी टेस्ट की एक पारी में 50 से ज़्यादा रन भी बनाए तो उनके इस कारनामे को हमेशा-हमेशा के लिए याद किया जाता है। ऐसे हरफ़नमौला प्रदर्शन इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो जाते हैं। टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में ऐसा कारनामा महज़ 4 दफ़ा हुआ है, आइये नज़र डालते हैं।
#4 विलियम बेट्स बनाम ऑस्टेलिया – 1883, मेलबर्न
इंग्लैंड के क्रिकेटर विलियम बेट्स ने साल 1883 की एशेज़ सीरीज़ में हरफ़नमौला प्रदर्शन किया था। उन्होंने इंग्लिश टीम की तरफ़ से नंबर-9 पर बल्लेबाज़ी की थी और 55 रन बनाए थे जिसकी बदौलत इंग्लैंड ने पहली पारी में 294 रन का स्कोर खड़ा किया। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया बल्लेबाज़ी के लिए मैदान में आई। बेट्स ने दाएं हाथ से ऑफ़ स्पिन गेंदबाज़ी करते हुए शानदार हैट्रिक ली और कंगारू टीम के मिडिल ऑर्डर को उखाड़ दिया। उन्होंने नंबर 4 बल्लेबाज़ पेरसी मैक्डॉनल, नंबर 5 बल्लेबाज़ जॉर्ज जिफ़ेन और नंबर 6 जॉर्ज बोनर को उस वक़्त आउट किया जब ऑस्ट्रेलिया का स्कोर महज़ 78 रन था। बेट्स ने 26.2 ओवर में 28 रन देकर 7 विकेट हासिल किए थे। ऑस्ट्रेलिया पहली पारी में 153 रन बनाकर आउट हो गई थी। इंग्लैंड ने ये मैच पारी और 27 रन से जीता था। इस मैच में बेट्स ने वो कारनामा किया था जो क़रीब 112 साल बाद ही दोहराया गया।
#3 डॉमिनिक कॉर्क बनाम वेस्टइंडीज़ – 1995, ओल्ड ट्रैफ़र्ड
इंग्लैंड के ऑलराउंडर डॉमिनिक कॉर्क ने अपनी पहले ही टेस्ट सीरीज़ में ख़ुद की धाक जमा ली थी। साल 1995 में ओल्ड ट्रैफ़र्ड के मैदान में इंग्लैंड का मुक़ाबला वेस्टइंडीज़ से हो रहा था। हांलाकि उनकी गेंद ज़्यादा तेज़ नहीं होती थी लेकिन वो गेंद को दोनों तरफ़ स्विंग कराना जानते थे। इसी क़ाबिलियत की बदौलत उन्होंने कैरिबियाई टीम के ख़िलाफ़ धमाल मचाया था। वेस्टइंडीज़ ने पहले खेलते हुए पहली पारी में 216 रन बनाए जिसके जवाब में इंग्लैंड ने 437 रन का बड़ा स्कोर खड़ा किया। 9वें नंबर पर बल्लेबाज़ी करते हुए कॉर्क ने 91 गेंदों पर 56 रन बनाए थे जिसकी वजह से इंग्लैंड को बड़ी लीड लेने में मदद मिली। दूसरी पारी में वेस्टइंडीज़ की टीम 3 विकेट खोकर 161 रन बना चुकी थी। ऐसे वक़्त में कॉर्क ने कप्तान रिची रिचर्डसन को पैवेलियन भेजा। इसके बाद जूनियर मर्रे और कार्ल हूपर को भी आउट करते हुए हैट्रिक ली। इंग्लैंड ने ये मैच 6 विकेट से जीता था।
#2 स्टुअर्ट ब्रॉड बनाम भारत – 2011, ट्रेंट ब्रिज
टीम इंडिया ने साल 2011 में इंग्लैंड का दौरा किया था, ये वो सीरीज़ है जिसे भारतीय टीम कभी याद नहीं रखना चाहेगी। भारत और इंग्लैंड के बीच सीरीज़ का दूसरा टेस्ट मैच नॉटिंगघम शहर के ट्रेंट ब्रिज मैदान में जारी था। इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए 8 विकेट खोकर 124 रन बनाए थे। नंबर-9 पर बल्लेबाज़ी करने आए स्टुअर्ट ब्रॉड ने 64 रन बनाए जिसकी बदौलत इंग्लिश टीम ने पहली पारी में 221 रन का स्कोर खड़ा किया। इसके बाद बैटिंग करने आई टीम इंडिया के ख़िलाफ़ ब्रॉड ने 24.1 ओवर में 46 रन देकर 6 विकेट हासिल किए जिसमें एक हैट्रिक भी शामिल थी। जब भारत का स्कोर 273 रन पर 5 विकेट था तब ब्रॉड ने एमएस धोनी को पैवेलियन भेज दिया। इसकी अगली ही गेंद पर हरभरजन सिंह LBW आउट हो गए, फिर प्रवीण कुमार को आउट करते ही ब्रॉड ने हैट्रिक पूरी की। टीम इंडिया पहली पारी में 288 रन पर ऑल आउट हो गई। दूसरी पारी में इंग्लैंड ने 544 रन बनाए थे जिसकी बदौलत टीम इंडिया को 478 रन का लक्ष्य मिला। धोनी की टीम 158 रन ही बना पाई और इंग्लैंड ने ये मैच 319 रन से जीत लिया।
#1 सोहाग गाज़ी बनाम न्यूज़ीलैंड – 2013, चटगांव
साल 2013 में बांग्लादेश के गेंदबाज़ सोहम गाज़ी ने मेज़बान न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ शतक लगाया था और एक हैट्रिक भी ली थी। हांलाकि उनकी ये मेहनत बेकार गई और बांग्लादेश को इस मैच में जीत नसीब नहीं हुई। पहले खेलते हुए न्यूज़ीलैंड ने पहली पारी में 469 रन बनाए थे जिसमें गाज़ी ने 2 विकेट लिए थे। इसके बाद बांग्लादेश की तरफ़ से गाज़ी नंबर 8 पर बल्लेबाज़ी करने आए और शानदार 101 रन की पारी खेली। इसके बदौलत मेहमान टीम ने 501 रन का स्कोर खड़ा किया। न्यूज़ीलैंड जब दूसरी पारी में बल्लेबाज़ी करने आई तो गाज़ी ने 26 ओवर में 77 रन देकर 6 विकेट लिए। जब न्यूज़ीलैंड का स्कोर 260 रन पर 4 विकेट था तब गाज़ी की गेंद पर कोरी एंडरसन LBW आउट हो गए, अगली ही गेंद पर बीजे वाटलिंग कैच आउट हो गए। इसके बाद बल्लेबाज़ी करने उतरे डग ब्रेसवेल भी विकेटकीपर के दस्तानों में कैच थमा बैठे और गाज़ी ने हैट्रिक पूरी की। हांलाकि ये मैच आख़िर में ड्रॉ हो गया लेकिन सोहाग गाज़ी का ये हरफ़नमौला खेल हमेशा याद किया जाएगा। लेखक – सोहम समद्दर अनुवादक – शारिक़ुल होदा