दुनिया का सबसे पुराना और प्रसिद्ध क्रिकेट टूर्नामेंट 'एशेज' पिछले 135 साल से खेला जा रहा है। चिर प्रतिद्वंदियों ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड की बीच खेले जाने वाला यह टूर्नामेंट ना सिर्फ क्रिकेट की बल्कि खेलों की दुनिया के ऐतिहासिक और कड़ी प्रतिस्पर्धाओं में से एक है। सालों से दोनों देशों के प्रतिभाशाली खिलाड़ी इस टूर्नामेंट में प्रदर्शन कर अपना नाम इतिहास के किताब में दर्ज कराते आ रहे हैं। एशेज में खिलाड़ियों द्वारा किया गया प्रदर्शन उनकी महानता का पैमाना माना जाता है। इस टूर्नामेंट में प्रतिस्पर्धा और प्रतिद्वंदिता इतने उच्च स्तर पर होती है कि एक सामान्य खिलाड़ी भी प्रेरित होकर अभूतपूर्व प्रदर्शन करता है। यही कारण है कि एशेज के लिए सर्वश्रेष्ठ एकादश का चयन करना एक चुनौती और सिर दर्द से भरा काम है। हमेशा डर बना रहता है कि कई बड़े खिलाड़ी इस एकादश से बाहर हो जाएंगे और फिर उनके प्रशंसक हमें कोसेंगे। फिर भी हमने एक कोशिश की है। खिलाड़ियों द्वारा एशेज में किया गया प्रदर्शन और रिकॉर्ड ही इस टीम में उनके चयन का एकमात्र पैमाना है। तो यह रही सार्वकालिक संयुक्त एशेज एकादश- जैक हॉब्स महान इंग्लिश सलामी बल्लेबाज जैक हॉब्स टेस्ट क्रिकेट में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी हैं। 1908 से 1930 के बीच इंग्लैंड के लिए खेले गए 41 एशेज मैच में हॉब्स ने 54.26 की औसत से 3636 रन बनाए। इसमें 12 शतक और 15 अर्धशतक शामिल है। हॉब्स तकनीक रूप से एक कुशल और मजबूत बल्लेबाज थे। अपना दिन होने पर वह किसी भी गेंदबाजी आक्रमण को कुचलने की क्षमता रखते थे। हॉब्स के बिना कोई भी संयुक्त एशेज एकादश पूरा नहीं हो सकता। हरबर्ट सटक्लिफ जहां जैक हॉब्स ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज हैं, वहीं उनके साथी सलामी बल्लेबाज हरबर्ट सटक्लिफ ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सर्वाधिक औसत वाले बल्लेबाज हैं। इन दोनों की जोड़ी को 'डेडली डुओ' भी कहा जाता था, जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट की 38 पारियों में 15 बार शतकीय साझेदारियां की और लगभग 88 के औसत से 3249 रन बनाए। दाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने 1924 से 1934 के बीच 27 एशेज टेस्ट खेला है, जिसमें उन्होंने 66.85 की शानदार औसत से 2852 रन बनाया है। इस दौरान उन्होंने 8 शतक और 16 अर्धशतक भी बनाए। वह एक बेहतरीन तकनीक वाले बल्लेबाज थे, जिन्हें मुश्किल से मुश्किल पिचों पर भी टिकना आता था। टेस्ट क्रिकेट में 60 से ऊपर का औसत यही दिखाता है। इसके अलावा उन्हें दबाव के समय में निखर के उभरने वाले बल्लेबाजों में भी शुमार किया जाता है। यही कारण है कि उनका टेस्ट औसत (60) उनके प्रथम श्रेणी करियर औसत (52) से कहीं ज्यादा है। सर डॉन ब्रैडमैन भले ही हम यहां एक एकादश चुन रहे हैं, लेकिन हमें सिर्फ 10 क्रिकेटरों को चुनना है, क्योंकि इस टीम में एक नाम तो निश्चित है। टेस्ट क्रिकेट का कोई भी एकादश सर डॉन ब्रैडमैन के बिना अधूरा है और नंबर 3 पर उनकी जगह कोई नहीं ले सकता। इस महान बल्लेबाज को रोकने के लिए 1932 के एशेज में इंग्लैंड के गेंदबाजों ने बॉडीलाइन रणनीति का सहारा लेना पड़ा था। आकड़ों की बात करें तो उन्होंने 1928 से 1948 के बीच 37 एशेज टेस्ट खेलें और 89.78 की औसत से 5028 रन बनाए। ब्रैडमैन ने इस दौरान कुल 19 शतक बनाए, जिसमें दो तिहरा शतक भी शामिल है। वह इस सीरीज के इतिहास में सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज हैं। बाकी इस महानतम बल्लेबाज के लिए जितना भी लिखा जाए, उतना ही कम है। वॉली हेमंड जब सर डॉन ब्रैडमैन श्रेष्ठतम बल्लेबाज के रूप में विश्व क्रिकेट पर अपना राज्य कर रहें थे, तो वॉली हेमंड नाम का एक इंग्लिश बल्लेबाज उनके एकछत्र साम्राज्य को लगातार चुनौती दे रहा था। वह डॉन ब्रेडमैन के सबसे करीब थे और उन्हें तत्कालीन महान बल्लेबाजों की सूची में शामिल किया जाता है। रक्षात्मक तकनीक वाला यह बल्लेबाज जरूरत पड़ने पर आक्रामक भी हो जाता था और दुनिया के किसी भी गेंदबाजी आक्रमण की बखिया उधेड़ने की क्षमता रखता था। हेमंड ने 1928 से 1947 के बीच में कुल 27 एशेज टेस्ट खेला। इस दौरान उन्होंने 9 शतकों और सात अर्धशतकों की मदद से 51.85 की औसत से 2852 रन बनाए। इन 9 शतकों में 4 दोहरे शतक भी शामिल हैं, जिससे पता चलता है कि वह बड़ी पारी खेलने में माहिर थे। स्टीव वॉ स्टीव वॉ लगभग दो दशकों तक ऑस्ट्रेलियाई मध्यक्रम के रीढ़ थे। अपनी कप्तानी में उन्होंने साम-दाम-दंड-भेद जैसे सभी साधनों के द्वारा ऑस्ट्रेलियाई टीम को लगातार जीतना सिखाया। इस वजह से वह इतिहास के ना सिर्फ सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज बल्कि सर्वश्रेष्ठ कप्तानों में से भी एक हैं। इंग्लैंड के खिलाफ वह हमेशा अपनी बल्लेबाजी को इंज्वॉय करते थे। एशेज में 10 शतकों और 13 अर्धशतकों के साथ लगभग 60 की औसत से बनाया गया 3200 रन इस बात का ठोस सबूत है। उनकी बल्लेबाजी ने कई बार ऑस्ट्रेलिया को कई यादगार जीत दिलाई हैं। अपनी कप्तानी क्षमता के कारण वह इस एकादश के कप्तान भी होंगे। इयान बॉथम इयान बॉथम को क्रिकेट इतिहास के सबसे महान ऑलराउंडरों में से एक माना जाता है। इसमें भी कोई संदेह नहीं है कि वह इन दोनों देशों के भी सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडर हैं। इसलिए बॉथम की भी जगह एक ऑलराउंडर के रूप इस टीम में लगभग पहले से ही फिक्स थी। बॉथम ने 1977 से 1989 तक 36 एशेज टेस्ट में 4 शतक और 6 अर्धशतक की मदद से 1673 रन बनाए। इस दौरान बॉथम ने 27.65 की औसत से 148 विकेट भी लिए और ऑस्ट्रेलिया के लिए कई बार सरदर्द बनें। वह एक मैच जीताऊ क्रिकेटर थे, जिन्होंने एशेज में इंग्लैंड को कई यादगार मैच जीताए। एशेज में 6 मैन ऑफ दी मैच और 1 मैन ऑफ द सीरीज इसका जीता-जागता सबूत है। खासकर हेडिंग्ले (1981) में खेली गई उनकी 149 रन के पारी को नहीं भूलाया जा सकता, जब फॉलोऑन खेलते हुए इंग्लैंड टीम ने जीत दर्ज की थी। एडम गिलक्रिस्ट टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में एडम गिलक्रिस्ट को सर्वश्रेष्ठ विकेटकीपरों में से एक माना जाता है। उन्होंने इस परंपरा की शुरूआत की कि एक विकेटकीपर को एक अच्छा बल्लेबाज भी होना जरूरी है। गिलक्रिस्ट का करियर शानदार था और वे एक अच्छे बल्लेबाज के साथ-साथ एक बेहतरीन विकेटकीपर भी थे। 2001 से 2007 तक खेले गए 20 एशेज मैचों में गिलक्रिस्ट ने कुल 96 शिकार किए, जिसमें 89 कैच और 7 स्टम्पिंग शामिल थे। हालांकि वह एक सातवें नंबर के बल्लेबाज थे, लेकिन इतना नीचे आने के बाद भी उनका बल्लेबाजी औसत 45 से ऊपर का है। उन्होंने अपने पहले एशेज मैच में ही 152 रन की मास्टरक्लास पारी खेली थी। गिलक्रिस्ट ने एशेज में 3 शतक और 6 अर्धशतकों की मदद से कुल 1083 रन बनाए हैं। इस दौरान उनका स्ट्राइक रेट 92.01 रहा, जबकि उनका करियर स्ट्राइक रेट 81.95 है। वह इस एकादश में एक विकेटकीपर बल्लेबाज के रूप में एकमात्र विकल्प हैं। शेन वॉर्न टेस्ट क्रिकेट के इतिहास के महानतम स्पिनरों में से एक शेन वॉर्न इस संयुक्त एकादश के एकमात्र स्पिनर होंगे। 1993 में एशेज के दौरान ही कलाइयों के इस जादूगर ने माइक गेटिंग को 'सदी की गेंद' (बॉल ऑफ दी सेंचुरी) डाली थी। इस गेंद के बाद से वॉर्न ने जैसे इंग्लिश बल्लेबाजों पर मनोवैज्ञानिक बढ़त ही हासिल कर ली थी, जो लगभग 14 वर्षों तक चली। इस दौरान वॉर्न ने 36 मैचों में 23.25 की औसत और 55.1 की स्ट्राइक रेट से 195 विकेट लिए। वह एशेज के सबसे सफल गेंदबाज हैं और उन्होंने लगभग दो पीढ़ियों के इंग्लिश बल्लेबाजों पर ऐसा दबाव बनाया कि वह इससे कभी उबर ही नहीं पाए। डेनिस लिली डेनिस लिली क्रिकेट के इतिहास के सबसे तेज गेंदबाजों में से एक हैं और वह ग्लेन मैक्ग्रा के बाद ऑस्ट्रेलिया के सबसे बेहतरीन तेज गेंदबाज हैं। उनकी तेज रफ्तार, स्विंग और सीम मूवमेंट उन्हें एक घातक गेंदबाज बनाती थी। खासकर वह इंग्लैंड के बल्लेबाजों के लिए एक दुःस्वप्न के सामान थे। 11 साल के एशेज करियर में लिली की तेज गेंदो ने इंग्लिश बल्लेबाजों के नाक में दम कर रखा था। 1971 से 1982 के दौरान 29 एशेज टेस्ट मैचों में लिली ने 21 की शानदार औसत से 167 विकेट लिए। इस दौरान लिली ने 11 बार पारी में 5 विकेट और 4 बार मैच में 10 विकेट लेने का रिकॉर्ड बनाया। वह शेन वार्न के बाद एशेज के दूसरे सबसे सफल गेंदबाज हैं। बॉब विलिस इंग्लैंड के सर्वश्रेष्ठ तेज गेंदबाजों में से एक बॉब विलिस ने अपने करियर के 90 टेस्ट मैचों में 325 विकेट लिए हैं। लेकिन एशेज में उनका प्रदर्शन और भी बेहतर हो जाता है। 1970 और 80 के दशक में ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों के लिए सिरदर्द बने इस गेंदबाज ने 35 एशेज मैचों में 26.14 की औसत से 128 विकेट लिए। इस दौरान उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 8-43 रहा, जो उन्होंने 1981 के प्रसिद्ध हेडिंग्ले टेस्ट में लिया था। फॉलोऑन खेलने उतरी इंग्लिश टीम को बाथम के 149 रन के बाद विलिस के 8 विकेट ने ही जीत के राह तक पहुंचाया था। स्पीड, सटीक लाइन-लेंथ और गैर मददगार पिचों पर भी विकेट लेने की क्षमता बॉब को इस टीम में जगह देती है। ग्लेन मैक्ग्रा 1989 से 2003 के बीच एशेज ट्राफी पर ऑस्ट्रेलिया का ही दबदबा रहा और इसके एक प्रमुख कारण थे-ग्लेन मैक्ग्रा। 1993 में टेस्ट क्रिकेट की शुरूआत करने वाले मैक्ग्रा अपने सटीक और नियंत्रित लाइन-लेंथ के लिए जाने जाते थे। उनकी गेंदबाजी में उनके समकालीन ब्रेट ली जैसी तेजी भले ही नहीं थी, लेकिन अपने सीम और स्विंग से वह किसी भी पिच पर जादूई साबित होते थे। मैक्ग्रा ने इंग्लैंड के खिलाफ 30 टेस्ट मैचों में केवल 20.92 की औसत से 157 विकेट लिए। इस दौरान उन्होंने 10 बार पारी में 5 या इससे अधिक विकेट लिए। इंग्लैंड के बल्लेबाजों पर मैक्ग्रा का प्रभुत्व बेजोड़ था और यदि उन्हें इस टीम में शामिल नहीं किया जाता है तो यह टीम अधूरा ही रहेगा। मूल लेखक - सोहम समददार अनुवादक- सागर