फिरकी के जादूगर कहने जाने वाले सेन वॉर्न ने क्रिकेट के हर फॉर्मेट में अपनी छाप छोड़ी। शेन वॉर्न ने वैसे तो अपने क्रिकेट करियर में कई बेहतरीन गेंदे फेंकी। लेकिन उनकी एक गेंद को बॉल ऑफ द सेंचुरी घोषित किया गया। उन्होंने ये गेंद 1993 की एशेज सीरीज में इंग्लैंड के माइक गैटिंग को फेंकी थी। इस गेंद पर गैटिंग क्लीन बोल्ड हो गए थे। समय के साथ-साथ वॉर्न की गेंदबाजी और ज्यादा निखरती रही। उन्होंने धीरे –धीरे लेग स्पिन में फिल्पर, जूटर, गुगली, टॉपी और बैक स्पिन जैसी वैरायरी इजात की। वॉर्न के नाम टेस्ट क्रिकेट में हैट्रिक दर्ज है। वनडे क्रिकेट के वर्ल्ड कप फाइनल मुकाबले में वॉर्न को मैन ऑफ द मैच से नवाजा गया था। वॉर्न अकेले ऐसे गेंदबाज हैं जिन्होंने किसी एक देश के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में 100 या उससे ज्यादा विकेट चटकाए हैं। वॉर्न ने इंग्लैंड के खिलाफ 195, न्यूजीलैंड के खिलाफ 103 और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 130 विकेट चटकाए हैं। मैदान के अंदर वॉर्न की जिंदगी जितनी कलरफुल रही, मैदान के बाहर उतनी ही विवादों में। 2003 में वो ड्रग टेस्ट में पॉजिटिव पाए गए। जिसकी वजह से वो 2003 का वर्ल्ड कप भी नहीं खेल पाए थे। हालांकि उन्होंने इन सब विवादों को पीछे छोड़ते हुए, जब भी वापसी की जबरदस्त वापसी की। वॉर्न ने 145 टेस्ट मैचों में 25.41 की औसत से 708 विकेट हासिल किए। इसके बल्ले से भी उनका प्रदर्शन ठीक ठाक रहा है। उन्होंने बिना कोई शतक बनाए टेस्ट क्रिकेट में 3154 रन बनाए हैं।