भारत और न्यूज़ीलैंड ने पहली बार सन 1975 में एक दूसरे का सामना किया था। जिसके बाद से अबतक 90 बार ये टीमें एक-दूसरे के खिलाफ खेल चुकी हैं। दोनों टीमों का एक दूसरे के खिलाफ रिकॉर्ड अच्छा रहा है, लेकिन दोनों टीमें एक दूसरे की धरती पर संघर्ष करती नजर आयीं हैं। भारत ने अभी तक कीवी टीम को 46 मैचों में हराया है तो वहीं कीवी टीम ने भी 41 मुकाबलों में जीत हासिल की है। दोनों टीमों की कागज पर बल्लेबाज़ी हमेशा मजबूत रही है। क्रिकेट के इतिहास में दोनों टीमों ने काफी नाम कमाया है। भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच बहुत जल्द ही सीरीज शुरू होने वाली है। उससे पहले हम आपको इन दोनों टीमों की मिश्रित वनडे एकादश के बारे में बता रहे हैं: #1 सचिन तेंदुलकर इसमें कोई दो राय नहीं है, कि सचिन तेंदुलकर दुनिया के सबसे लोकप्रिय खिलाड़ी हैं। संन्यास के बाद भी उनकी लोकप्रियता ऐसी है कि उन्हें महानों का महान खिलाड़ी कहा जाता है। सन 1989 में सचिन ने क्रिकेट में डेब्यू किया। उसके बाद वह पूरी दुनिया काफी पसंद किए जाने लगे। उन्होंने बल्लेबाज़ी के सारे रिकॉर्ड तोड़कर नया मुकाम बनाया। सचिन जैसी लोकप्रियता और उनके जैसी औरा अन्य किसी क्रिकेटर आज तक नहीं मिली है। दिग्गज शेन वार्न सचिन से काफी प्रभावित रहे। उनकी उपलब्धियां इन बैटन को पुख्ता करती हैं। अपनी उपलब्धियों की वजह से सचिन किसी भी प्रारूप में फिट बैठते हैं। इसलिए वह भारत और न्यूज़ीलैंड की मिश्रित एकादश में भी फिट बैठते हैं। क्योंकि वह कभी-कभी गेंद से भी कमाल दिखा सकते हैं।
#2 ब्रेंडन मैकुलम (विकेटकीपर)
इसी साल मैकुलम ने क्रिकेट को अलविदा कहा है। वह कीवी टीम के बेहद ही आतिशी बल्लेबाज़ थे। मैकुलम अपनी आक्रामक बल्लेबाज़ी से किसी भी गेंदबाज़ी आक्रमण को विध्वंस करने के लिए जाने जाते थे। साल 2015 के वर्ल्डकप में मैकुलम की बल्लेबाज़ी ने कीवी टीम को फाइनल तक पहुँचाया था। बतौर कप्तान और बल्लेबाज़ मैकुलम काफी सफल क्रिकेटर रहे हैं। वह चाहे टारगेट हासिल करना होता था या बड़ा लक्ष्य निर्धारित करना होता है। अपनी आक्रामक बल्लेबाज़ी से चीजें बेहद आसान बना देते थे। इसलिए इस टीम में उन्हें तेंदुलकर के साथ सलामी बल्लेबाज़ी की जिम्मेदारी दी जा रही है।
#3 वीरेंदर सहवाग
आधुनिक क्रिकेट के सबसे बेहतरीन क्रिकेटरों में से एक वीरेंदर सहवाग डेयरडेविल जैसा अप्रोच रखने वाले खिलाड़ी थे। वह अपनी आक्रामकता की वजह से कई बार दिग्गज सचिन को भी छाए में कर लेते थे। वह किसी भी प्रारूप में खेलते थे, उनका अंदाज एक ही होता है। हैण्ड-ऑय कोआर्डिनेशन से खेलने वाले वीरू गेंदबाजों की धज्जियां उड़ा देते थे। वीरू ने नर्वस नाइनटीज का मिथक भी तोड़ दिया था। नजफ़गढ़ के सुल्तान वीरू की स्ट्राइक रेट वनडे में 104 थी। उनकी इसी धमाकेदार बल्लेबाज़ी की वजह इस लिस्ट में गांगुली जगह नहीं बना पाए।
#4 मार्टिन क्रो
रोस टेलर और केन विलियमसन की तुलना में मार्टिन क्रो बेहतरीन खिलाड़ी थे, जिनकी कैंसर से मौत हो चुकी है। न्यूज़ीलैंड के क्रिकेट इतिहास में क्रो की तुलना किसी से नहीं हो सकती। उन्होंने खेल के दोनों प्रारूपों में कमाल का खेल दिखाया था। बतौर कप्तान क्रो काफी सफल रहे थे, उन्होंने 1992 के वर्ल्डकप में न्यूज़ीलैंड की सफल अगुवाई की थी। टूर्नामेंट में उन्होंने 456 रन बनाये थे। सेमीफ़ाइनल में भी उनकी टीम ने अच्छा प्रदर्शन किया था। लेकिन इंजमाम के 37 गेंदों में 60 रन ठोंककर उनके सपने को तोड़ दिया था। क्रिकेट में ऑफस्पिनर से पहला ओवर डलवाने की शुरुआत उन्होंने ही की थी। 72 के स्ट्राइक रेट से खेलने वाले क्रो का करियर शानदार रहा था। #5 क्रिस केर्न्स आधुनिक क्रिकेट के बेहतरीन आलराउंडरों में से एक क्रिस कैर्न्स के नाम एक समय सबसे ज्यादा छक्के थे। वह किसी भी प्रारूप में बड़े शॉट खेलना पसंद करते थे। न्यूज़ीलैंड के लिए तकरीबन एक दशक से ज्यादा क्रिकेट खेलने वाले कैर्न्स का करियर शानदार रहा। वनडे में तकरीबन 5000 रन बनाने वाले क्रिस एक उपयोगी गेंदबाज़ भी थे। उनके नाम 200 विकेट भी थे। उनकी आक्रामक बल्लेबाज़ी अक्सर मैच का रुख पलट देती थी। इसलिए इस मिश्रित टीम में उन्हें बतौर आलराउंडर अंतिम एकादश में मौका दिया जा रहा है। #6 महेंद्र सिंह धोनी अगर किसी क्रिकेटर ने सचिन के करीब लोकप्रियता हासिल की है, तो वह “झारखंड के डायनामाइट” कहे जाने वाले भारत के सबसे सफल कप्तान महेंद्र सिंह धोनी हैं। धोनी गेंदबाजों की धज्जियां तो उड़ाते ही हैं, साथ ही वह आराम से बड़ी साझेदारी भी निभा लेते हैं। इसलिए उन्हें इस फॉर्मेट में शामिल करना किसी के लिए हैरानी की बात नहीं है। क्योंकि वह दुनिया के सबसे बेहतरीन फिनिशर भी माने जाते हैं। साल 2011 के वर्ल्डकप में उन्होंने अपनी कप्तानी में भारत को विश्वकप भी जिताया था। इस टीम में धोनी बतौर विशेषज्ञ बल्लेबाज़ हैं। जबकि कीपिंग जिम्मेवारी मैकुलम के कन्धों पर होगी। #7 कपिल देव (कप्तान) सन 1983 में कपिल देव की कप्तानी में भारत ने पहला वर्ल्डकप जीता था। सेमीफाइनल मैच में कपिल देव ने शानदार 175 रन की पारी खेली थी। इस विश्वकप जीत के बाद भारत में क्रिकेट का क्रेज तेजी से बढ़ा। बिना किसी शक के कपिल देव भारत के अबतक के सर्वश्रेष्ठ आलराउंडर हैं। उन्होंने हमेशा भारत को एक अतिरिक्त विकल्प दिया। हरियाणा के हरिकेन के नाम से मशहूर कपिल देव इस टीम के कप्तान हैं, क्योंकि उनकी बल्लेबाज़ी का स्ट्राइक रेट 95 था जो आज की पीढ़ी के खिलाड़ियों से मैच करता है। इसके अलावा वह अपनी गेंदबाज़ी से विपक्षी टीम पर कहर बरपाते थे। #8 रिचर्ड हेडली 80 के दशक के क्रिकेट के चाहने वाले रिचर्ड हैडली को नहीं भूल सकते हैं। वह एक बेहतरीन आलराउंडर थे। बतौर गेंदबाज़ वह कमाल की गेंदबाज़ी करते थे। उनकी तुलना इमरान खान, इयान बाथम और कपिल देव से होती थी। इस लिए उन्हें इस टीम जगह देना बनता है। 90 के दशक में उनके नाम सबसे ज्यादा टेस्ट विकेट थे। वहीं वनडे में भी उनका रिकॉर्ड शानदार था। हैडली की मुख्य ताकत उनकी गेंदबाज़ी थी। जिससे विपक्षी बलेबाज़ डरते थे। #9 जवागल श्रीनाथ 1994 में जब कपिल देव ने संन्यास ले लिए तो उसके बाद भारतीय तेज गेंदबाज़ी जवागल श्रीनाथ के कंधो पर आ टिकी। ग्लेन मैग्रा और शान पोलाक की लीग में भले ही वह न रहे हों लेकिन वह भारत के क्वालिटी गेंदबाज़ थे। मैसूर एक्सप्रेस के नाम से मशहूर रहे श्रीनाथ ने भारतीय क्रिकेट की तकरीबन 10 साल से ज्यादा सेवा की। 229 वनडे में उन्होंने 315 विकेट लिए, साथ ही वनडे में वह भारत की ओर से उस समय सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज़ थे। निचले क्रम में श्रीनाथ तेजी से रन बनाने में भी माहिर थे। #10 अनिल कुंबले अनिल कुंबले के नाम 619 टेस्ट विकेट और 337 वनडे विकेट थे। शेन वार्न और मुरलीधरन के बाद कुंबले दुनिया के तीसरे ऐसे स्पिनर हैं जिन्होंने सबसे ज्यादा विकेट लिए हैं। उनकी गेंदबाज़ी में टॉप और पेस स्पिन ज्यादा देखने को मिलती थी। उनके अंदर गजब की विकेट लेने की क्षमता था। 2000 के बाद वनडे में कुंबले को भारत की तरफ कम मैच खेलने को मिले क्योंकि उस वक्त हरभजन सिंह का उदय हो रहा था। लेकिन इस मिश्रित टीम में कुंबले के सामने वेटोरी और भज्जी दोनों नहीं टिके और उन्हें जगह मिली। #11 शेन बॉंड किसी स्मार्ट तेज गेंदबाज़ की बात जब होती है, तो शेन बांड का नाम उसमें जरुर आता है। शेन बांड का करियर भले ही छोटा रहा हो लेकिन उन्होंने अपनी गेंदबाज़ी से दुनिया भर के बल्लेबाजों में खौफ भर दिया था। उनकी गेंदों में अदभुत तेजी होती थी, जो बल्लेबाजों को चौंकती थी। उनकी गेंदों में तेजी के साथ-साथ असाधारण स्विंग होती थी। खासकर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बांड ने सबसे शानदार गेंदबाज़ी की। उनके समय में ऑस्ट्रेलिया दुनिया की सबसे खतरनाक टीम मानी जाती थी। लेकिन लगातार चोटों की वजह से बांड ने मात्र 18 टेस्ट और 82 वनडे मैच ही खेले। लेकिन उन्होंने अपने इतने छोटे से करियर में काफी प्रभावित किया। इसी वजह से हमने उन्हें इस मिश्रित टीम का भी अंग बनाया है।