2011 विश्वकप में नहीं खेलने का अफ़सोस रहेगा : प्रवीण कुमार

Rahul
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भारतीय टीम के लिए साल 2008 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीबी सीरीज में शानदार प्रदर्शन और गेंद को दोनों तरफ स्विंग कराने में माहिर तेज गेंदबाज प्रवीण कुमार ने हाल ही में स्पोर्ट्सकीड़ा से ख़ास बातचीत में अपने करियर और 2011 विश्वकप में चोट के कारण बाहर होने पर अफ़सोस जताया है। प्रवीण कुमार को 2011 विश्वकप से पहले कोहनी पर चोट लगी और उन्हें विश्वकप से बाहर कर दिया गया। उनके स्थान पर एस श्रीसंत को टीम में शामिल किया गया था।

स्पोर्ट्सकीड़ा को दिए गए इंटरव्यू में प्रवीण कुमार ने 2011 विश्वकप से पहले लगी चोट के कारण बाहर होने पर अफ़सोस जताते हुए कहा कि हाँ, इस बात का मुझे जीवन भर अफ़सोस रहेगा कि मैं भारत के लिए 2011 विश्वकप का हिस्सा नहीं बन पाया। यह सब आम बात है कि यदि आप चोटिल हैं, तो आप एक ख़िलाड़ी के रूप में कुछ नहीं कर सकते लेकिन हाँ इस बात से मुझे बहुत फर्क पड़ा कि मैं भारतीय टीम का हिस्सा नहीं बन पाया।

विश्वकप में न खेलने के साथ ही उनके करियर पर विराम लगने को लेकर प्रवीण कुमार ने आगे कहा कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरा टेस्ट करियर सिर्फ 6 मैच खेलने के बाद ही समाप्त हो जायेगा और यह तब हुआ जब मैं अच्छी फॉर्म में था। मेरे लिए अभी भी यकीन कर पाना मुश्किल है और मैं उन दिनों बस यही सोचता था “बस, अब मैं कभी क्रिकेट नहीं खेलूँगा।” मैं उस समय काफी परेशान रहा, मुझे किसी भी आईपीएल फ्रंचाईस ने भी नहीं खरीदा लेकिन इन सब बातों का हल खोजने के लिए मेरे पिता ने मेरी बहुत मदद की और उनकी सलाह से मेरा जीवन फिर से क्रिकेट की तरफ बढ़ा।

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प्रवीण कुमार के विश्वकप में न खेलने का अफ़सोस जायज है, क्योंकि वह उस समय भारतीय टीम के सबसे बेहतरीन गेंदबाज थे। प्रवीण कुमार अब भी भारतीय क्रिकेट टीम में वापसी का मन बनाये हुए हैं और उत्तर प्रदेश की टीम से खेल रहे हैं। प्रवीण कुमार ने भारत के लिए तीनों फॉर्मेट में 84 मैच खेलते हुए, 112 विकेट हासिल किये। प्रवीण कुमार फ़िलहाल अपनी घरेलू टीम के लिए चेन्नई में आयोजित एक घरेलू टूर्नामेंट का हिस्सा है, जहाँ वह टीम के साथ एक ख़िलाड़ी और मेंटर के रूप में जुड़े हुए हैं।