रणजी ट्रॉफी का इतिहास और प्रारूप
रणजी ट्रॉफी भारत के प्रथम श्रेणी क्रिकेट के अंतर्गत आता है और एक ऐतिहासिक टूर्नामेंट है। रणजी ट्रॉफी को जुलाई 1934 में पहली बार आयोजित किया गया । प्रतियोगिता का पहला मैच 4 नवंबर 1934 को चेपक स्टेडियम में खेला गया। यह मैच मद्रास और मैसूर की टीमों के बीच हुआ।
रणजी ट्रॉफी प्रतियोगिता का आयोजन 4 दिवसीय मैच का होता है। इसका प्रारूप टेस्ट मैच की तरह होता है। शुरुआती मैच राउंड रोबिन औऱ फिर नॉकआउट चरण होता है। दोनो टीमें दो -दो पारी खेलती हैं। ड्रा होने की स्थिति में पहली पारी के आधार पर बनी बढ़त के आधार पर अंक दे दिए जाते हैं।
मुम्बई ने सबसे ज्यादा 41 बार खिताब अपने नाम किया है। पिछली बार 2017-18 में विदर्भ ने ये खिताब फैज फजल की कप्तानी में अपने नाम किया था।
यूँ तो ये प्रतियोगिता खिलाड़ियों के अंतराष्ट्रीय टीम में जाने का एक मुख्य आधार है, मगर अमोल मजूमदार एक ऐसा नाम है जो रणजी ट्रॉफी में निरन्तर सफल होने के बावजूद भी भारतीय टीम में नहीं चुने जा सके।
अमोल मजूमदार
अमोल" शारदा आश्रम विद्या मंदिर "में ही पढ़ते थे जहाँ से सचिन तेंदुलकर भी पढ़े हैं और गुरु रमाकांत आचरेकर ही उनके गुरु भी थे। जब सचिन-काम्बली नेे हैरिस शील्ड के मैच में 664 रनों की रिकॉर्ड साझेदारी की थी तब उस समय अमूल उसी टीम का हिस्सा थे।
अपने प्रथम श्रेणी क्रिकेट की पहली पारी में 260 रनों की रिकॉर्ड पारी खेली थी जो कि अपने डेब्यू मैच की रिकॉर्ड पारी थी। उनके आंकड़े प्रतिभा की कहानी बयां करते हैं। अपने 171 प्रथम श्रेणी मैचों में 11167 रन है जिसमे रणजी ट्रॉफी में लगभग 50 की औसत से 9202 रन है। वह वर्ष 1995 की इंडिया A में सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ वाली टीम का भी हिस्सा रहे। अपने शानदार प्रदर्शन के बावजूद उन्हें राष्ट्रीय टीम में जगह नही मिली जबकि उनके साथी खिलाड़ी राहुल द्रविड़, सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली ने विश्व स्तर पर काफी नाम कमाया। प्रथम श्रेणी का इतना बड़ा बल्लेबाज शायद गलत युग मे क्रिकेट खेला और दुर्भाग्यशाली रहा।
अपनी कप्तानी में अमोल ने मुम्बई को रणजी ट्रॉफी भी जितवाई।
उन्होंने 2014 में प्रथम श्रेणी क्रिकेट से सन्यास ले लिया। उनके संन्यास पर रोहित शर्मा ने ट्वीट किया- "मुम्बई क्रिकेट के हीरो अमोल ने संन्यास ले लिया और पीछे छोड़ गए शानदार रिकॉर्ड।"
गौरतबल है कि रोहित शर्मा ने पहली बार मजूमदार की ही कप्तानी में ही मुम्बई की ओर से प्रथम श्रेणी क्रिकेट की शुरुआत की थी।
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