वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी (वाडा) की 2016 की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि एक भारतीय क्रिकेटर डोप परीक्षण में फेल हुआ है। बीसीसीआई की तरफ से 153 मान्यता प्राप्त क्रिकेटरों में से 1 को प्रतिबंधित पदार्थ के सेवन का दोषी पाया गया। हालांकि किस क्रिकेटर को इसका दोषी पाया गया है उसके नाम का खुलासा अभी तक नहीं हुआ है। इससे पहले साल 2013 में पूर्व अंडर-19 खिलाड़ी प्रदीप सांगवान को भी प्रतिबंधित पदार्थ के सेवन का दोषी पाया गया था। उस समय सांगवान आईपीएल में कोलकाता नाइट राइडर्स की टीम की तरफ से खेल रहे थे। जिस क्रिकेटर को दोषी पाया गया है वो अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेलने वाला खिलाड़ी भी हो सकता है और नहीं भी हो सकता है। लेकिन इससे एक बात तो तय है कि ये घटना किसी आईसीसी इवेंट के दौरान नहीं हुई है, क्योंकि आमतौर पर आईसीसी इसको लेकर एक प्रेस रिलीज जारी करती है। वहीं इस बारे में एक बीसीसीआई अधिकारी ने बताया कि हमें वाडा की तरफ से अभी तक इसको लेकर कोई रिपोर्ट नहीं मिली है। इसलिए हम उस खिलाड़ी का नाम नहीं बता सकते हैं कि वो क्रिकेटर कौन है। डोपिंग को लेकर सबसे बड़ी खबर तब आई थी जब 2003 विश्वकप से ठीक पहले ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज स्पिनर शेन वार्न डोप परीक्षण में नाकाम रहे थे। इसलिए वॉर्न को विश्व कप छोड़ कर वापस घर जाना पड़ा और उन पर ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट बोर्ड की एंटी डोपिंग समिति ने साल भर का प्रतिबंध भी लगाया। वॉर्न ने प्रतिबंध के खिलाफ अपील करने का विचार किया था, लेकिन बाद में ऐसा नही किया। हालांकि शेन वॉर्न की गैरमौजूदगी के बावजूद ऑस्ट्रेलिया टीम ने 2003 का विश्व कप जीता था। उन्होंने फाइनल में भारत को हराया था। इसके बाद भारत में 2006 में हुई चैंपियन्स ट्रॉफी से पहले पाकिस्तानी तेज गेंदबाज शोएब अख्तर और मोहम्मद आसिफ भी डोप परीक्षण में असफल रहे थे।